विजय स्तम्भ की बुलंदियों से झांकता है राजपूती शौर्य! वीडियो में देखे नजदीकी 5 ऐतिहासिक स्थल, जो हर सैलानी को एकबार जरूर देखने चाहिए
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित विजय स्तम्भ केवल एक स्थापत्य चमत्कार नहीं, बल्कि वीरता, शौर्य और स्वाभिमान का प्रतीक है। यह स्मारक न सिर्फ चित्तौड़ के गौरवशाली अतीत को दर्शाता है, बल्कि इतिहास के उन सुनहरे पन्नों की झलक भी देता है, जो आज भी आने वाले पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को प्रेरित करते हैं। 37.19 मीटर ऊंचे इस स्तम्भ की हर एक दीवार पर इतिहास खुद में उकेरा हुआ प्रतीत होता है।
विजय स्तम्भ: एक गाथा पराक्रम की
विजय स्तम्भ का निर्माण मेवाड़ के महान राजा राणा कुम्भा ने 1448 ईस्वी में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय के उपलक्ष्य में करवाया था। यह नौ मंजिला स्तम्भ पूरी तरह से चूने के पत्थरों और सफेद संगमरमर से बनाया गया है, जिसकी दीवारों पर हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख खुदे हुए हैं। अंदर की ओर घुमावदार सीढ़ियां हैं, जिनके जरिए आप शीर्ष पर पहुंचकर चित्तौड़गढ़ के विशाल किले और पूरे नगर का विहंगम दृश्य देख सकते हैं।यह स्तम्भ केवल स्थापत्य कला का नमूना नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से मेवाड़ की पहचान का अभिन्न हिस्सा है।
आस-पास छिपे हैं कई ऐतिहासिक और दर्शनीय खजाने
1. चित्तौड़गढ़ किला – पराक्रम की धरती:
विजय स्तम्भ चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित है। यह किला एशिया के सबसे बड़े किलों में से एक माना जाता है। करीब 700 एकड़ में फैला यह किला 7 द्वारों से घिरा हुआ है और यहां की प्राचीरें इतिहास की तमाम लड़ाइयों और जौहर की गाथाओं की साक्षी हैं।
2. कीर्ति स्तम्भ – जैन आस्था का प्रतीक:
विजय स्तम्भ से थोड़ी ही दूरी पर स्थित कीर्ति स्तम्भ भी एक दर्शनीय स्थान है। यह जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है। यह भी एक ऊंचा टॉवर है, जिसमें उत्कृष्ट जैन वास्तुकला की झलक मिलती है।
3. रानी पद्मिनी महल – सौंदर्य और बलिदान की कथा:
विजय स्तम्भ के समीप स्थित पद्मिनी महल चित्तौड़ की सबसे प्रसिद्ध जगहों में से एक है। यहीं से सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब देखा था और उसके बाद चित्तौड़ के इतिहास में वह जौहर की भीषण घटना घटी जिसने स्त्रियों के आत्मसम्मान की अमर गाथा लिख दी।
4. मीरा मंदिर – भक्ति की पराकाष्ठा:
विजय स्तम्भ से कुछ दूरी पर स्थित यह मंदिर प्रसिद्ध संत मीरा बाई को समर्पित है। यह स्थान भक्ति रस, अध्यात्म और प्रेम की अनुभूति देता है। मीरा का श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण आज भी यहां आने वालों को भावविभोर कर देता है।
5. गौमुख कुंड – रहस्यमयी जल स्रोत:
यह कुंड किले के भीतर स्थित एक अद्भुत जल स्रोत है, जिससे निरंतर जल बहता रहता है। इसकी बनावट और पानी का रहस्यमय स्रोत आज भी वैज्ञानिकों और पर्यटकों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।
स्थापत्य और मूर्तिकला का बेजोड़ संगम
विजय स्तम्भ की दीवारों पर उकेरी गई देवी-देवताओं की मूर्तियां, कथाएं और राजा राणा कुम्भा के युद्धों की जानकारी इसे स्थापत्य कला का जीवंत दस्तावेज बना देती है। यहां संस्कृत और स्थानीय भाषाओं में लेख खुदे हुए हैं, जो इसे शोधकर्ताओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाते हैं।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
प्रत्येक वर्ष हजारों देसी-विदेशी पर्यटक चित्तौड़गढ़ किला और विशेषकर विजय स्तम्भ को देखने आते हैं। इसकी ऊंचाई पर चढ़कर चारों ओर देखने का अनुभव न केवल मन को रोमांचित करता है, बल्कि इतिहास की गंभीरता भी महसूस कराता है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है।

