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रात के अंधेरे में विजय स्तम्भ से आती रहस्यमयी आवाज़ें! वीडियो देखकर रात को नहीं आएगी नींद

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राजस्थान का चित्तौड़गढ़ अपने गौरवशाली इतिहास, युद्धों और वीरता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसी चित्तौड़गढ़ के किले में स्थित है एक अद्भुत स्मारक – विजय स्तम्भ, जिसे राणा कुंभा ने 15वीं शताब्दी में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय की याद में बनवाया था। दिन में हजारों सैलानी इस ऐतिहासिक स्थल को देखने आते हैं, लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, इस स्तम्भ के चारों ओर एक रहस्यमयी चुप्पी छा जाती है, और तब शुरू होती हैं वो कहानियाँ... जो आपके होश उड़ा सकती हैं।

क्या सच में आती हैं अजीब आवाज़ें?

हाल के वर्षों में कई पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि रात के समय विजय स्तम्भ से रहस्यमयी आवाज़ें आती हैं। कभी घुंघरुओं की छनछनाहट, कभी किसी के चलने की धीमी आहट, और कभी-कभी किसी के धीरे-धीरे बोलने की आवाज़ें सुनाई देती हैं – वो भी तब, जब आसपास कोई नहीं होता। कई लोगों का मानना है कि यह आवाजें उन आत्माओं की हो सकती हैं जो चित्तौड़ के युद्धों या जौहर के दौरान मारी गई थीं।

वायरल हो चुका है डरावना वीडियो

हाल ही में एक यूट्यूब वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ युवाओं ने विजय स्तम्भ के आसपास रात को शूटिंग की। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जैसे ही रात गहराती है, कैमरे में कुछ अनजान ध्वनियाँ रिकॉर्ड होती हैं, और एक जगह तो मोबाइल कैमरे की लाइट बार-बार बंद होती है। इसके अलावा वीडियो में एक सदस्य को अचानक अजीब सिहरन और घबराहट महसूस होती है, मानो कोई अदृश्य शक्ति उनके करीब हो।

वैज्ञानिक क्या कहते हैं?

हालांकि, विशेषज्ञों और पुरातत्व विभाग का मानना है कि इन आवाज़ों का कोई अलौकिक कारण नहीं है। उनके अनुसार, पत्थर की दीवारें, बंद जगह, और ठंडी हवाएं इस प्रकार की ध्वनियाँ उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे भ्रम पैदा हो सकता है। लेकिन सवाल यह उठता है – हर बार आवाज़ें एक ही पैटर्न में क्यों आती हैं?

लोककथाओं में भी है जिक्र

चित्तौड़गढ़ की लोककथाओं में भी विजय स्तम्भ को एक आध्यात्मिक शक्ति से जुड़ा स्थान माना गया है। कुछ बुज़ुर्गों का मानना है कि युद्ध में बलिदान देने वाले वीरों की आत्माएँ आज भी इस किले और स्तम्भ की परिक्रमा करती हैं। खासकर अमावस्या की रात को, जब अंधेरा और सन्नाटा घना होता है।

निष्कर्ष

भले ही विज्ञान इस रहस्य को अंधविश्वास बताए, लेकिन जो लोग खुद इन घटनाओं का अनुभव कर चुके हैं, उनके लिए ये डरावने पल जीवनभर के लिए यादगार बन जाते हैं। विजय स्तम्भ आज भी वीरता और इतिहास का प्रतीक है, लेकिन रात के सन्नाटे में इसकी छाया कुछ और ही कहानी कहती है।

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