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हजारों किलोमीटर का सफर तय कर मंगोलिया से जैसलमेर पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी, वायरल वीडियो में देखे डेजर्ट नेशनल पार्क की जैव विविधता

हजारों किलोमीटर का सफर तय कर मंगोलिया से जैसलमेर पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी, वायरल वीडियो में देखे डेजर्ट नेशनल पार्क की जैव विविधता

राजस्थान के थार मरुस्थल की तपती रेत और विस्तृत समतल भूमि केवल सूखे और वीराने की प्रतीक नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र अपने भीतर जैव विविधता की समृद्ध दुनिया को भी संजोए हुए है। जैसलमेर जिले में स्थित डेजर्ट नेशनल पार्क (Desert National Park) इस विविधता का अनूठा उदाहरण है, जो न केवल भारत के वन्य जीव प्रेमियों के लिए बल्कि विश्वभर के पर्यावरण वैज्ञानिकों और पक्षीविदों के लिए भी एक विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हर वर्ष हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर मंगोलिया, साइबेरिया और मध्य एशिया जैसे क्षेत्रों से प्रवासी पक्षियों का एक विशाल समूह यहां शीतकालीन प्रवास के लिए आता है।


4000 किमी की उड़ान: एक चमत्कारी यात्रा

डेजर्ट नेशनल पार्क में आने वाले प्रमुख प्रवासी पक्षियों में डेमोज़ेल क्रेन (Demoiselle Crane), कर्टन (Curlew), ग्रेटर फ्लेमिंगो, हर्पर और साइबेरियन ईगल जैसे नाम प्रमुख हैं। इन पक्षियों में से कई मंगोलिया से उड़कर करीब 4000 किलोमीटर की दूरी तय कर राजस्थान की रेत पर पहुंचते हैं। यह यात्रा न केवल उनकी जीवटता को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि जैसलमेर जैसे शुष्क क्षेत्रों में भी प्रकृति ने उन्हें एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान किया है।डेमोज़ेल क्रेन, जिन्हें हिंदी में "कुण्डल" या "कुंज" के नाम से भी जाना जाता है, खासतौर पर स्थानीय लोगों के बीच श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं। जब ये पक्षी थार की रेत पर उतरते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो रेगिस्तान जीवंत हो उठा हो।

डेजर्ट नेशनल पार्क: रेगिस्तान में जीवन की हलचल
डेजर्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर जिले की सम और सुधासरी के मध्य फैला हुआ है। यह पार्क लगभग 3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यह थार रेगिस्तान की पारिस्थितिकी का प्रतिनिधित्व करता है। यहां का भूदृश्य ऊबड़-खाबड़, रेतीली टीलों से भरा हुआ है, जो इसे विशिष्ट बनाता है। खास बात यह है कि इस पार्क में आपको ऐसी कई प्रजातियां देखने को मिलती हैं जो केवल शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में ही पाई जाती हैं।यहां पाए जाने वाले प्रमुख स्थायी जीवों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Godawan), चिंकारा, रेगिस्तानी लोमड़ी, बिल्ली रूपी काराकल, भेड़िया, काला हिरण, सांप और कई तरह के छिपकली प्रजाति शामिल हैं। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, जो अब संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल है, डेजर्ट नेशनल पार्क की पहचान बन चुका है। यह पक्षी केवल भारत के कुछ ही हिस्सों में पाया जाता है और इसकी सबसे बड़ी आबादी जैसलमेर में ही है।

पक्षियों के लिए आदर्श निवास क्यों?
पारंपरिक रूप से माना जाता है कि रेगिस्तान पक्षियों के लिए कठिन क्षेत्र हो सकता है, लेकिन जैसलमेर का यह पार्क खास है। यहां की खुली भूमि, जल स्रोतों की उपलब्धता, शांत वातावरण और जैविक भोजन की उपस्थिति इसे प्रवासी पक्षियों के लिए आदर्श गंतव्य बनाती है।सर्दियों में जब मंगोलिया और साइबेरिया में बर्फबारी होती है और तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे चला जाता है, तब ये पक्षी हजारों किलोमीटर का कठिन सफर तय करके भारत के अपेक्षाकृत गर्म और सुरक्षित क्षेत्रों में आकर अपना अस्थायी निवास बना लेते हैं। जैसलमेर का मौसम, इन पक्षियों के शरीर के लिए उपयुक्त होता है और उन्हें यहां पर्याप्त भोजन भी मिलता है।

 जैव विविधता और स्थानीय संस्कृति का संगम
डेजर्ट नेशनल पार्क केवल वन्यजीवों और पक्षियों की दृष्टि से ही समृद्ध नहीं है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति, लोककथाओं और पारंपरिक जीवनशैली से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। यहां के ग्रामीण लोग इन प्रवासी पक्षियों को शुभ मानते हैं और उनके स्वागत के लिए स्थानीय आयोजन भी होते हैं। खासतौर पर कुंज पक्षी (डेमोज़ेल क्रेन) के आगमन को लोग अच्छे भाग्य का संकेत मानते हैं।

संरक्षण की चुनौतियां और प्रयास
हालांकि इस क्षेत्र की जैव विविधता सराहनीय है, लेकिन इसके संरक्षण की राह में कई चुनौतियां हैं। शुष्कता, जल स्रोतों की कमी, मानवीय दखल, अंधाधुंध पर्यटन और अतिक्रमण जैसी समस्याएं इस पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रही हैं। हालांकि राजस्थान सरकार और वन विभाग की ओर से संरक्षण के कई प्रयास किए जा रहे हैं। वन्य जीव प्रेमियों और वैज्ञानिकों की निगरानी में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए विशेष प्रजनन केंद्र (Breeding Center) की स्थापना की गई है, जो आशाजनक परिणाम दे रहा है।

डेजर्ट नेशनल पार्क यह दर्शाता है कि जीवन केवल हरे-भरे जंगलों या पहाड़ों में नहीं, बल्कि शुष्क रेगिस्तान की तपती रेत में भी पनपता है। 4000 किलोमीटर की लंबी उड़ान भरने वाले प्रवासी पक्षियों का यहां हर वर्ष आना न केवल प्रकृति का अद्भुत चमत्कार है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि यदि हम प्रकृति को उसका स्थान दें, तो वह हजारों किलोमीटर दूर से भी हमें अपनाने चली आती है।यह पार्क आज एक ऐसा स्थान बन चुका है, जहाँ रेत में भी जीवन खिलता है, और आकाश में रंग-बिरंगी उड़ानों के साथ पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है।

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