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कुम्भलगढ़ किला! वो ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स जो आज तक दुनिया का कोई किला नहीं तोड़ सका, वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानिए इसकी 7 अद्भुत खूबियाँ

कुम्भलगढ़ किला! वो ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स जो आज तक दुनिया का कोई किला नहीं तोड़ सका, वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानिए इसकी 7 अद्भुत खूबियाँ

राजस्थान की वीरभूमि में स्थित कुम्भलगढ़ किला सिर्फ स्थापत्य का एक अद्भुत नमूना ही नहीं, बल्कि इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसा गढ़ है, जिसने समय की अनेक कसौटियों पर अपनी महानता साबित की है। अरावली की पहाड़ियों पर स्थित यह किला, राजस्थान के राजसमंद ज़िले में स्थित है और यह न केवल अपनी मजबूती बल्कि अपने अटूट रिकॉर्ड्स के लिए भी प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ के बाद यह मेवाड़ का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण किला माना जाता है।


कुम्भलगढ़ का निर्माण 15वीं सदी में महाराणा कुम्भा ने करवाया था और यह लगभग 84 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह किला सिर्फ अपनी ऊँचाई और वास्तुकला के कारण ही नहीं, बल्कि अपने अनूठे कीर्तिमानों के लिए भी जाना जाता है, जिनमें से कई तो आज भी अटूट हैं। आइए जानते हैं ऐसे कुछ रिकॉर्ड्स, जो कुम्भलगढ़ को दुनिया के सबसे विशिष्ट किलों में शुमार करते हैं।

1. दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार
कुम्भलगढ़ किला सबसे पहले अपनी प्राचीर (दीवार) के लिए प्रसिद्ध है। यह दीवार करीब 36 किलोमीटर लंबी है, जो इसे दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार बनाती है – चीन की ग्रेट वॉल के बाद। इस दीवार की चौड़ाई इतनी है कि उस पर एक साथ आठ घोड़े दौड़ सकते हैं। इसका उद्देश्य था – दुश्मनों को प्रवेश से रोकना और राज्य की सीमाओं की रक्षा करना। आज भी यह दीवार वैसी ही दृढ़ता से खड़ी है, जैसे सैकड़ों वर्ष पहले थी।

2. मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा प्रताप का जन्मस्थान
इतिहास में अमर हुए महाराणा प्रताप का जन्म इसी कुम्भलगढ़ किले में हुआ था। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक गौरव है। महाराणा प्रताप को भारत के सबसे वीर और स्वाभिमानी राजाओं में गिना जाता है, जिन्होंने मुगलों के आगे कभी सिर नहीं झुकाया। उनके जन्म का यह स्थान आज भी श्रद्धा और गर्व का केंद्र बना हुआ है।

3. अजेय किला – दुश्मनों के लिए अजेय पहेली
इतिहास में यह किला कभी भी सीधे युद्ध में पराजित नहीं हुआ। इसके मजबूत और घुमावदार रास्ते, ऊँचाई पर स्थित महल, और प्राकृतिक सुरक्षा इसकी रणनीतिक शक्ति को दर्शाते हैं। हालांकि मुगलों और मराठों ने कई बार इस पर चढ़ाई की, लेकिन कुम्भलगढ़ हमेशा से ही अपने पराक्रम के लिए प्रसिद्ध रहा है। इसकी बनावट ऐसी है कि दुश्मन कई बार बिना लड़े ही लौट गए।

4. 360 से अधिक मंदिरों का घर
कुम्भलगढ़ किला धार्मिक आस्था का भी केंद्र रहा है। इसके भीतर 360 से अधिक मंदिर स्थित हैं – जिनमें से 300 से अधिक जैन मंदिर और शेष हिंदू मंदिर हैं। यह किला आध्यात्मिक रूप से भी उतना ही समृद्ध है जितना की सामरिक दृष्टि से। इनमें से नेहरू मंदिर, वेदी मंदिर, गणेश मंदिर और गोलरा देवी मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय हैं।

5. यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल
कुम्भलगढ़ किला 2013 में यूनेस्को की विश्व धरोहर (World Heritage Site) सूची में शामिल किया गया। यह उपलब्धि इस किले की वैश्विक महत्ता को दर्शाती है। इसे “हिल फोर्ट्स ऑफ राजस्थान” श्रेणी में अन्य प्रमुख किलों जैसे चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर और जैसलमेर के साथ शामिल किया गया।

6. भारत का सबसे दुर्गम किला
कुम्भलगढ़ किला समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे भारत के सबसे दुर्गम (Difficult to Access) किलों में से एक माना जाता है। इसकी बनावट और गहराई में बसी रणनीति, आक्रमणकारियों के लिए इसे भेदना लगभग असंभव बनाती थी।

7. रात में दिखता है सिर्फ 1 ही प्रवेश द्वार
एक और रोचक तथ्य यह है कि किले का मुख्य द्वार ‘राम पोल’ रात के समय दूर से सिर्फ एक ही द्वार की तरह दिखता है। यह विशेष स्थापत्य तकनीक किले की सुरक्षा के लिहाज से बनाई गई थी ताकि रात में हमला करने वाले शत्रु भ्रमित हो जाएं और मुख्य प्रवेश खोज न पाएं।

कुम्भलगढ़ किला सिर्फ ईंट और पत्थरों का ढांचा नहीं है, यह राजस्थान की वीरता, वास्तुकला, और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। इसके रिकॉर्ड्स और गौरवशाली इतिहास ने इसे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में एक विशेष स्थान दिलाया है। हर भारतीय को इस ऐतिहासिक धरोहर पर गर्व करना चाहिए, और एक बार जरूर इसका भ्रमण करना चाहिए।अगर आप इतिहास और वीरता से प्रेरित होते हैं, तो कुम्भलगढ़ किला आपके लिए एक अनमोल अनुभव साबित होगा।

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