जानिए कभी चर्मवती के नाम से जानी जाने वाली ये नदी कैसे बनी चम्बल ? वायरल फुटेज में जाने द्रौपदी से क्या है सम्बंध

भारत की नदियां केवल जलधाराएं नहीं हैं, बल्कि सभ्यताओं की जननी, संस्कृतियों की वाहक और धर्मग्रंथों की गवाह रही हैं। गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी नदियों की तरह ही चंबल नदी का भी एक रहस्यमय अतीत है, जो न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि पौराणिकता से भी जुड़ा हुआ है। खास बात यह है कि चंबल को एक समय चर्मवती नदी के नाम से जाना जाता था और इसके जन्म की कथा सीधे महाभारत और द्रौपदी से जुड़ती है।आइए जानते हैं आखिर क्या है चंबल का पौराणिक इतिहास, क्यों इसे ‘शापित नदी’ कहा गया और द्रौपदी से इसका क्या रहस्यपूर्ण संबंध है।
चंबल नदी का भूगोलिक परिचय
चंबल नदी मध्य प्रदेश के मऊ गाँव (इंदौर के पास) से निकलती है और उत्तर प्रदेश के इटावा के पास यमुना नदी में मिल जाती है। यह नदी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती है और अपनी गहरी घाटियों और बीहड़ों के कारण हमेशा चर्चा में रही है। लेकिन जितनी ये नदी आज 'डकैतों की पनाहगाह' के तौर पर जानी जाती है, उतनी ही दिलचस्प है इसकी पौराणिक पहचान।
चंबल का पुराना नाम था चर्मवती
‘चर्मवती’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है – ‘चर्म’ यानी चमड़ा और ‘वती’ यानी वह जो उसमें बहती हो। कहा जाता है कि प्राचीन काल में इस नदी के किनारे जानवरों की खाल धोई जाती थी, जिसके कारण इसका नाम चर्मवती पड़ा। लेकिन यह नाम सिर्फ व्यावसायिक नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक गहरा पौराणिक कारण भी है, जो सीधे महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।
महाभारत और द्रौपदी से जुड़ा चर्मवती का रहस्य
महाभारत में चर्मवती का उल्लेख एक शापित नदी के रूप में हुआ है। कथा के अनुसार, जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण किया और सभा में उपस्थित भीष्म, द्रोण, कर्ण और अन्य योद्धा मौन रहे, तब द्रौपदी ने क्रोधित होकर प्रतिज्ञा ली:जिस धरती पर मेरे साथ यह अपमान हुआ, उस भूमि को मैं शुद्ध नहीं मान सकती। मैं शपथ लेती हूं कि जब तक इस पाप के भागीदारों का रक्त इस धरती को लाल नहीं कर देता, तब तक मेरी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।"मान्यता है कि द्रौपदी के इस शाप के फलस्वरूप इस भूमि पर ऐसी परिस्थितियां बनीं कि यह क्षेत्र नरसंहार, हिंसा और विद्रोह का केंद्र बन गया। महाभारत के युद्ध में हजारों योद्धा इसी क्षेत्र में मारे गए और उनके खून से यह भूमि रंग गई। कहा जाता है कि इन्हीं घटनाओं के चलते इस नदी का नाम 'चर्मवती' पड़ा – एक ऐसी नदी जो खून और हिंसा की साक्षी बनी।
चंबल के बीहड़ और डकैतों का रहस्य
समय के साथ यह इलाका बीहड़ों में बदल गया, जहां कानून व्यवस्था कमजोर रही और अपराधियों ने इसे अपनी शरणस्थली बना लिया। फूलन देवी, पुतलीबाई, मान सिंह, मोहर सिंह, और मुकद्दम सिंह जैसे कुख्यात डकैत यहीं से जुड़े हुए हैं। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि यह शापितता का प्रभाव ही था कि यहां अपराध, हिंसा और विद्रोह की परंपरा चल पड़ी।
आधुनिक चंबल: अब बदल रही है पहचान
चंबल आज केवल बीहड़ों की या डकैतों की कहानी नहीं है। यह अब वन्य जीव संरक्षण, घड़ियाल प्रोजेक्ट, और पर्यटन की दृष्टि से एक नया चेहरा बना रही है। चंबल सफारी, नेशनल चंबल सेंचुरी, और वहां की जैव विविधता इसे नई पहचान दिला रही है।लेकिन आज भी बहुत से स्थानीय लोग इसे ‘शापित नदी’ मानते हैं। वे मानते हैं कि इस नदी में स्नान करना पवित्र नहीं, बल्कि खतरनाक हो सकता है। चंबल के आसपास के गांवों में आज भी द्रौपदी की कथा और चर्मवती का भय लोगों की लोककथाओं में जीवित है।