बहुत खास है वाराणसी का Kashiraj Kali Mandir,मिलता है प्राचीन और आधुनिक कला का अनोखा मिश्रण

ट्रेवल न्यूज़ डेस्क,,उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशीराज काली मंदिर 200 साल पुराना है। इसका निर्माण तत्कालीन काशी नरेश के परिवार ने करवाया था। वास्तुकला के हिसाब से यह मंदिर भक्तों और कला प्रेमियों को बहुत पसंद आता है। मंदिर की वास्तुकला और कारीगरों द्वारा की गई शिल्पकला वाकई आगंतुकों को आश्चर्य से भर देती है।
भारत की विकसित पाषाण कला का प्रमाण
यह मंदिर पूरी तरह से पत्थर की मदद से बनाया गया है, जिसे रथ के आकार में बनाया गया है। मंदिर की दीवारों और खंभों पर उकेरी गई पत्थर की पंखुड़ियां, घंटियां और छल्ले उस समय भी भारत की अत्यधिक विकसित पाषाण कला के ठोस प्रमाण हैं। यहां बनाए गए डिजाइन से लेकर नक्काशी की बारीकियां तक, सब कुछ इतना सटीक है कि यह कल्पना करना मुश्किल है कि उस समय जब तकनीक इतनी विकसित नहीं थी, बिना किसी आधुनिक उपकरण के उन्होंने इसे कैसे उकेरा होगा।
मंदिर के खंभे बेहद खास हैं
कहा जाता है कि यह मंदिर राजा की निजी संपत्ति थी। काशी राज काली मंदिर के नाम के साथ-साथ इसे वाराणसी का गुप्त मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर परिसर का भारी नक्काशीदार द्वार उस युग के स्थापत्य कौशल का उदाहरण है। मंदिर के द्वार और स्तंभों पर शेर, हाथी, नर्तक, देवी-देवताओं को इतनी खूबसूरती से उकेरा गया है कि यह कला देखने लायक है।
प्राचीन और आधुनिक कला का मिश्रण
मंदिर पर की गई कलाकृति को छिपा हुआ खजाना भी कहा जाता है। खास बात यह है कि इस कलाकृति को देखने पर ऐसा लगेगा कि मंदिर निर्माण के लिए ये कलाकृतियां लकड़ी पर उकेरी गई हैं, लेकिन जब इन्हें छुआ जाता है तो पता चलता है कि यह कलाकृति लकड़ी पर नहीं बल्कि पत्थर पर की गई है। मंदिर की वास्तुकला प्राचीन और आधुनिक कला का मिश्रण है।
गर्भगृह में मौजूद है शिवलिंग
मां काली को समर्पित 18वीं सदी के इस मंदिर के गर्भगृह में गौतमेश्वर शिवलिंग भी है। यह भी कहा जाता है कि उस समय गौतम ऋषि का यहां आश्रम था और उन्होंने यहां शिवलिंग की स्थापना कर इसकी पूजा की थी। इसी वजह से इस शिवलिंग को गौतमेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। मंदिर के निर्माण के पीछे मान्यता है कि तत्कालीन राजा को इस स्थान पर एक अलौकिक शक्ति का आभास हुआ था और उनके परिवार ने शक्ति के सम्मान में इस मंदिर का निर्माण कराया था। नवरात्रि के दौरान यहां नौ दिनों तक बड़ी धूमधाम से उत्सव का आयोजन किया जाता है।