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हिमाचल में मौजूद है शिमला जैसा ही करसोग,घूमने से पहले जान लें यह बड़ी जानकारी 

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ट्रेवल न्यूज़ डेस्क, हिमाचल आने वाले सबसे ज्यादा पर्यटकों की सूची में शिमला, मनाली, स्पीति, तीर्थन घाटी जैसी जगहें शामिल हैं, जिन तक पहुंचना आसान है और इन जगहों को एक से दो दिनों में कवर किया जा सकता है, लेकिन ऐसी और भी कई जगहें हैं। जो आज भी पर्यटकों की नजरों से दूर हैं। इसी वजह से इन जगहों की खूबसूरती आज भी बरकरार है। ऐसी ही एक जगह है करसोग। जो अपने घने जंगलों के साथ-साथ सेब के बागानों के लिए भी जाना जाता है।वैसे तो करसोग मंडी जिले के अंतर्गत आता है लेकिन मंडी से यहां की दूरी 125 किलोमीटर है. शिमला से करसोग की दूरी महज 100 किमी है। शिमला से करसोग की सड़क बेहद शानदार है। सेब, नाशपाती, चीड़, कैल और देवदार के पेड़ों को देखकर 100 किलोमीटर का सफर कब पूरा हो जाता है, कई बार पता ही नहीं चलता।करसोग हरे-भरे पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। करसोग में धान और मक्का की भी खेती होती है। तो दूर-दूर तक फैले खेत भी इस जगह की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

कामरू नाग ट्रेक
यहां आकर आप ट्रैकिंग का मजा भी ले सकते हैं। रोहंडा करसोग से 22 किमी दूर है, जहां तक लोग बस से जाते हैं। यहां से कामरू नाग ट्रेकिंग शुरू होती है। बर्फ से ढके पहाड़ों के मनभावन दृश्य आपके ट्रेकिंग के मजे को बढ़ा देते हैं।

ममलेश्वर मंदिर
करसोग घाटी में ममलेश्वर मंदिर भी देखने लायक है, जहां पांडवों ने अपने वनवास के दौरान कुछ समय बिताया था। यह मंदिर पत्थर और लकड़ी से बने चबूतरे पर बना है। मंदिर में एक धूना है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत काल से जल रहा है। कहा जाता है कि यह धूना तब जलाया गया था जब भीम ने राक्षसों से छुटकारा पाया था और तब से यह जल रहा है।

कामक्ष मंदिर
कामाक्षा मंदिर करसोग से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को बनाने में लकड़ी और स्लेट का इस्तेमाल किया गया है। यहां कामक्ष मां चतुर्भुज सिंहासन पर विराजमान हैं। अगर आप यहां आएं तो इस मंदिर के दर्शन करना न भूलें।

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