गंगानहर से इंदिरा गांधी नहर तक का सफर, वीडियो में देखे कैसे भारत की सबसे बड़ी नहर ने राजस्थान को बदल दिया ?

गंगा को धरती पर लाने का श्रेय भगीरथ को दिया जाता है लेकिन रेगिस्तान में नदी लाने का श्रेय या फिर राजस्थान की भागीरथी किसे कहा जाता है। जी हां, राजस्थान की भागीरथी जिसे आज भी यहां के लोग पूजते हैं। इसे बेहद रोचक कहानी कहें या फिर रोचक इतिहास जिसे राजस्थान के लोग अपना गौरव मानते हैं। रेगिस्तान का नाम सुनते ही मन में दूर-दूर तक फैले रेत के टीले और चारों तरफ सूखा जैसी तस्वीर उभरती है। दरअसल रेगिस्तान का सीना चीरकर पानी निकालने के बारे में सोचकर ही पसीने छूट जाते हैं। लेकिन यह सपना कभी देखा गया था जो बाद में हकीकत बन गया। आइए जानते हैं इंदिरा गांधी नहर की मुख्य विशेषताएं क्या हैं इंदिरा गांधी नहर को राजस्थान की भागीरथी कहा जाता है। पहले इस नहर को 'राजस्थान नहर' के नाम से जाना जाता था। इंदिरा गांधी नहर का नाम सुनते ही ऐसा लगता है कि इस नहर का निर्माण इंदिरा गांधी ने करवाया होगा। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। आइए जानते हैं इंदिरा गांधी नहर परियोजना का जनक किसे कहा जाता है। ट्रेंडिंग नहीं
छप्पनिया अकाल' ने मचाई थी भारी तबाही
इंदिरा गांधी नहर बनने से पहले लोगों को पीने का पानी लाने के लिए कई मील पैदल चलना पड़ता था। तब राजस्थान में पानी की तलाश करना युद्ध लड़ने जैसा था। फिर 1899 में उत्तर भारत में भयंकर अकाल पड़ा। इस भयंकर अकाल से राजस्थान बुरी तरह प्रभावित हुआ। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, नागौर, चूरू और बीकानेर इलाके सूखे से बुरी तरह प्रभावित हुए। चूंकि यह अकाल विक्रम संवत 1956 में पड़ा था, इसलिए इसे स्थानीय भाषा में 'छप्पनिया अकाल' भी कहा जाता है। इस अकाल को ब्रिटिश गजेटियर में 'द ग्रेट इंडियन फेमिन 1899' के नाम से दर्ज किया गया।
महाराजा गंगा सिंह ने रेगिस्तान में नदी लाने की पहल की
इस अकाल को देखकर बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने रेगिस्तान में नदी लाने की पहल की। उन्होंने उस रेगिस्तान में पानी लाने की पहल की, जहां से राहगीर चाहकर भी गुजरना नहीं चाहते थे। इस क्षेत्र में भीषण गर्मी के कारण लोग इन इलाकों की ओर देखना तो दूर, इधर से गुजरना भी पसंद नहीं करते थे। गर्मी की लहरें ऐसी थीं कि ऐसा लगता था जैसे आग के गोले शरीर का पीछा कर रहे हों।
तब बीकानेर राज्य के नए राजा महाराजा गंगा सिंह का राज्याभिषेक हुआ। महाराजा गंगा सिंह का जन्म राजा लाल सिंह की तीसरी संतान के रूप में हुआ था। जिनके बड़े भाई डूंगर सिंह थे। महाराजा गंगा सिंह का जन्म 3 अक्टूबर 1880 को हुआ था। महाराजा गंगा सिंह के जन्म के समय देश पहले ही ब्रिटिश शासन के अधीन आ चुका था और गुलामी की जंजीरों में कैद था।
महाराजा गंगा सिंह को छोटी सी उम्र में ही बड़ी जिम्मेदारी मिल गई थी
महाराजा गंगा सिंह ने अपने बड़े भाई डूंगर सिंह की मृत्यु के बाद बीकानेर राज्य का कार्यभार संभाला था। एक वीर योद्धा होने के साथ-साथ वे करणी माता के बहुत बड़े भक्त भी थे। महज सात साल की उम्र में राजा बन चुके महाराजा गंगा सिंह को छोटी सी उम्र में ही बड़ी जिम्मेदारी मिल गई थी। महाराजा गंगा सिंह राजस्थान में पानी की कमी से अच्छी तरह वाकिफ थे।
महाराजा ने देखा था छप्पनिया अकाल का दिल दहला देने वाला मंजर
दरअसल, महाराजा गंगा सिंह ने वर्ष 1899 में राजस्थान में छप्पनिया अकाल का दिल दहला देने वाला मंजर देखा था। उन्होंने इन इलाकों के लोगों को पानी के लिए मरते और तड़पते देखा था। तभी से उन्होंने राजस्थान के लोगों के लिए एक सपना देखा था। वह सपना था रेगिस्तान में दूर-दूर तक फैले रेत के टीलों के बीच एक नदी का प्रवाह करना। उन्हें कलयुग का भगीरथ भी कहा जाता है। आज भी राजस्थान के लोग उनकी पूजा करते हैं।
महाराजा गंगा सिंह को कहा जाता है कलयुग का भगीरथ
महाराजा गंगा सिंह, जिन्हें कलयुग का भगीरथ कहा जाता है, ने रेगिस्तान में एक नदी का सपना देखा था, लेकिन आज की तरह उस समय न तो तकनीक थी और न ही हाईटेक इंजीनियर। वह पंजाब से बात करके सतलुज नदी से राजस्थान के जैसलमेर तक नहर निकालना चाहते थे। इससे पूरे राजस्थान में पानी की समस्या हल हो जाती।
महाराजा गंगा सिंह ने बसने के लिए मुफ्त जमीन दी थी महाराजा गंगा सिंह ने जब पंजाब से बात की तो पंजाब पानी देने के लिए राजी हो गया। जिसके बाद सतलुज नदी से नहर निकालकर राजस्थान को पानी दिया गया। उनके महान प्रयासों और मेहनत को देखते हुए इस नहर का नाम गंग नहर रखा गया। नहर तो आ गई लेकिन उस सूखी और रेतीली जमीन पर कोई खेती करने को तैयार नहीं था। ऐसे में राजा गंगा सिंह ने खुद लोगों को खेती करने के लिए बुलाया। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को बसने के लिए मुफ्त जमीन भी दी, ताकि बीकानेर की बंजर जमीन को हरा-भरा बनाया जा सके।