फिल्मस्टार्स और क्रिकेटर्स की पहली पसंद बना झालाना लेपर्ड सफारी, वायरल वीडियो में देखे जानें इसकी लोकप्रियता का राज और इतिहास

जयपुर की खूबसूरत वादियों में बसा झालाना लेपर्ड सफारी अब केवल एक वन्यजीव स्थल नहीं रहा, बल्कि यह सेलिब्रिटीज और नेचर लवर्स के बीच एक प्रतिष्ठित डेस्टिनेशन बन चुका है। बॉलीवुड से लेकर क्रिकेट की दुनिया के सितारे तक, सबको अपनी ओर आकर्षित करने वाला यह जंगल सफारी आज हर नेचर टूरिस्ट की बकेट लिस्ट में शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सफारी का इतिहास क्या है और क्यों ये इतना लोकप्रिय होता जा रहा है?
जंगल के बीच बसा एक शहरी रोमांच
राजस्थान की राजधानी जयपुर से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित झालाना लेपर्ड सफारी, अरावली की पहाड़ियों में फैला एक घना वन क्षेत्र है। यह भारत का पहला ऐसा शहरी सफारी क्षेत्र है, जो किसी बड़े शहर के इतने करीब स्थित है और फिर भी प्राकृतिक वन्य जीवन को पूरी तरह से संरक्षित रखे हुए है। लगभग 24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस सफारी क्षेत्र में सबसे खास बात है—यहां आसानी से देखे जा सकने वाले तेंदुए।जहां आमतौर पर तेंदुए जैसे शर्मीले जानवरों को देखने के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है, वहीं झालाना सफारी में यह अनुभव कुछ ही पलों में हासिल हो सकता है। यही वजह है कि बॉलीवुड अभिनेता, क्रिकेट स्टार्स, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स और विदेश से आने वाले टूरिस्ट भी इस जंगल की ओर खिंचे चले आते हैं।
फिल्मस्टार्स और क्रिकेटर्स की पसंद
पिछले कुछ वर्षों में इस सफारी ने कई नामचीन हस्तियों की मेजबानी की है। अभिनेता रणदीप हुड्डा, जो स्वयं एक नेचर लवर और वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट हैं, झालाना सफारी के कायल हैं। इसके अलावा सैफ अली खान, जो खुद भी वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में रुचि रखते हैं, वे भी यहां के सफर को बेहद खास मानते हैं।क्रिकेट की दुनिया की बात करें तो ईशांत शर्मा, रविचंद्रन अश्विन जैसे क्रिकेटर्स भी झालाना के रोमांचकारी अनुभव का हिस्सा बन चुके हैं। सेलिब्रिटीज के सोशल मीडिया पोस्ट्स ने इस जगह को नई पहचान दी है और लाखों फैन्स के बीच इसकी लोकप्रियता को और भी बढ़ा दिया है।
झालाना का इतिहास
झालाना क्षेत्र कभी जयपुर के शाही परिवार के शिकार स्थल के रूप में जाना जाता था। तत्कालीन समय में इसे 'शिकारी इलाका' कहा जाता था और यहां बड़ी संख्या में तेंदुए, हिरण और अन्य वन्यजीव पाए जाते थे। लेकिन समय के साथ-साथ जब शिकार पर रोक लगी और पर्यावरण संरक्षण के नियम सख्त हुए, तब इस क्षेत्र को संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र में तब्दील कर दिया गया।2017 में झालाना को औपचारिक रूप से "लेपर्ड सफारी" के रूप में विकसित किया गया। यह राजस्थान का पहला ऐसा प्रोजेक्ट था जो शहरी क्षेत्र के भीतर रहते हुए भी वन्यजीव संरक्षण और इको-टूरिज्म का शानदार उदाहरण बना। यहां लगभग 30 से अधिक तेंदुए, साथ ही जैकल, हाइना, मोर, नीलगाय, सांभर, और विविध पक्षियों की प्रजातियाँ भी देखने को मिलती हैं।
क्यों है खास झालाना सफारी?
लेपर्ड साइटिंग की गारंटी जैसी संभावना: झालाना भारत के उन गिने-चुने स्थलों में से है जहां तेंदुआ देखने की संभावना सबसे अधिक है।
शहर के भीतर रोमांच: जयपुर जैसे व्यस्त शहर से महज 15-20 मिनट की दूरी पर एक ऐसा वाइल्ड अनुभव मिलना अपने आप में अद्भुत है।
फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग: यहां की प्राकृतिक रोशनी, पहाड़ी बैकड्रॉप और खुले इलाके वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के लिए बेहद अनुकूल माने जाते हैं।
सस्टेनेबल टूरिज्म का बेहतरीन उदाहरण: झालाना सफारी केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जागरूकता, रोजगार और संरक्षण का मॉडल भी है।
फ्यूचर विजन
राज्य सरकार और वन विभाग की ओर से झालाना को और विकसित करने के प्रयास लगातार जारी हैं। यहां पर्यटकों की सुविधा के लिए इको-फ्रेंडली जीप्स, प्रशिक्षित गाइड्स, और ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम की व्यवस्था है। आने वाले वर्षों में इसे इंटरनेशनल वाइल्डलाइफ डेस्टिनेशन के रूप में प्रमोट करने की योजना भी बनाई जा रही है।