Samachar Nama
×

3 मिनट के शानदार ड्रोन वीडियो में करे जयपुर Jal Mahal की वर्चुअल सैर, जानिए इसके इतिहास से लेकर घूमने के बजट तक सबकुछ 

3 मिनट के शानदार ड्रोन वीडियो में करे जयपुर Jal Mahal की वर्चुअल सैर, जानिए इसके इतिहास से लेकर घूमने के बजट तक सबकुछ 

जयपुर का नाम आते ही ज़ेहन में हवा महल, आमेर किला और रंग-बिरंगे बाज़ारों की तस्वीर उभरती है, लेकिन एक और स्थल है जो अपने रहस्य, सुंदरता और इतिहास के कारण सैलानियों को सम्मोहित करता है — जल महल। मान सागर झील के बीचोंबीच स्थित यह महल न केवल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है, बल्कि राजस्थान की गौरवशाली धरोहरों में से एक भी है।

जल महल का इतिहास: किसने और कब बनवाया?

जल महल का इतिहास करीब 18वीं सदी से जुड़ा है। इसका निर्माण मूलतः अमीरों की शिकार यात्राओं और झील के किनारे विश्राम के उद्देश्य से किया गया था। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, महाराजा माधो सिंह प्रथम (राजपूत कछवाहा वंश के शासक) ने इसे वर्ष 1750 के आसपास बनवाया था। बाद में उनके उत्तराधिकारियों ने इसे और भव्य रूप प्रदान किया।

मान सागर झील का निर्माण इससे पहले 1596 में आमेर के राजा भगवत दास ने करवाया था। यह झील मानसून के पानी को संरक्षित करने और इलाके में सूखा रोकने के लिए बनाई गई थी।

स्थापत्य और वास्तुकला: राजस्थान और मुग़ल शैली का संगम

जल महल की वास्तुकला को देखकर साफ़ समझ आता है कि यह राजस्थानी और मुग़ल स्थापत्य कला का अद्भुत मिश्रण है। महल को लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है और इसकी कुल 5 मंज़िलें हैं, जिनमें से 4 मंज़िलें पानी के अंदर डूबी रहती हैं। सिर्फ़ एक मंज़िल ही जल स्तर से ऊपर दिखाई देती है, जो इसे रहस्यमयी और बेहद आकर्षक बनाती है।

इस महल की छत पर बने चार सुंदर छत्रियाँ (डोम्स) और एक मध्यम आकार का केंद्रीय मंडप, इसकी शाही भव्यता का प्रतीक हैं। छत पर मौजूद बागवानी भी इसका एक प्रमुख आकर्षण है, जिसे "चार बाग" शैली में सजाया गया है।

जल महल का इनसाइड व्यू: भीतर क्या है खास?

हालांकि आमतौर पर यह महल जनता के लिए पूरी तरह से खुला नहीं है, लेकिन कई बार विशेष अनुमति के साथ इंटीरियर टूर कराए जाते हैं। महल के अंदर की दीवारों पर पारंपरिक राजस्थानी चित्रकारी, जालीदार झरोखे, और पत्थर की नक्काशी देखने को मिलती है।महल के अंदर राजसी बैठक, ध्यान कक्ष और जल-संचालन तंत्र भी मौजूद हैं, जो उस समय की इंजीनियरिंग प्रतिभा को दर्शाते हैं। आधुनिक समय में जल महल का संरक्षण कर इसे सस्टेनेबल टूरिज्म के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।महल के नीचे बनी परतों को ठंडक बनाए रखने के लिए इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि झील का पानी प्राकृतिक एयर-कूलिंग सिस्टम की तरह कार्य करता है।

जल महल की वर्तमान स्थिति और पर्यटन

जल महल का संरक्षण कार्य पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान सरकार और निजी संस्थाओं की मदद से बेहतर हुआ है। अब पर्यटक इसकी खूबसूरती को निहारने के लिए झील के किनारे बोटिंग का आनंद ले सकते हैं। रात के समय जल महल की लाइटिंग और झील में इसका प्रतिबिंब एक स्वप्निल दृश्य प्रस्तुत करता है।

बजट और घूमने का सही समय

जल महल के आस-पास घूमना और फोटोग्राफी करना निशुल्क है। लेकिन अगर आप बोटिंग करना चाहते हैं या विशेष इनसाइड टूर का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो प्राइवेट बोट टूर या आयोजनों के जरिए आपको अनुमति मिलती है, जिसका खर्च लगभग ₹300 से ₹1000 प्रति व्यक्ति तक हो सकता है।घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का होता है, जब मौसम सुहावना होता है और झील का जल स्तर स्थिर रहता है।

जल महल: तस्वीरों और यादों में बस जाने वाला अनुभव

जल महल ना केवल एक फोटोस्पॉट है बल्कि यह राजस्थान की संस्कृति, शिल्प, और वास्तुकला को बेहद शांत और संतुलित रूप में प्रस्तुत करता है। इसके चारों ओर अरावली पर्वत की छाया, दूर-दूर तक फैली झील और सूर्यास्त के समय का दृश्य इसे वास्तव में एक “राजसी रहस्य” बना देता है।जयपुर का नाम आते ही ज़ेहन में हवा महल, आमेर किला और रंग-बिरंगे बाज़ारों की तस्वीर उभरती है, लेकिन एक और स्थल है जो अपने रहस्य, सुंदरता और इतिहास के कारण सैलानियों को सम्मोहित करता है — जल महल। मान सागर झील के बीचोंबीच स्थित यह महल न केवल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है, बल्कि राजस्थान की गौरवशाली धरोहरों में से एक भी है।

जल महल का इतिहास: किसने और कब बनवाया?

जल महल का इतिहास करीब 18वीं सदी से जुड़ा है। इसका निर्माण मूलतः अमीरों की शिकार यात्राओं और झील के किनारे विश्राम के उद्देश्य से किया गया था। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, महाराजा माधो सिंह प्रथम (राजपूत कछवाहा वंश के शासक) ने इसे वर्ष 1750 के आसपास बनवाया था। बाद में उनके उत्तराधिकारियों ने इसे और भव्य रूप प्रदान किया।मान सागर झील का निर्माण इससे पहले 1596 में आमेर के राजा भगवत दास ने करवाया था। यह झील मानसून के पानी को संरक्षित करने और इलाके में सूखा रोकने के लिए बनाई गई थी।

स्थापत्य और वास्तुकला: राजस्थान और मुग़ल शैली का संगम

जल महल की वास्तुकला को देखकर साफ़ समझ आता है कि यह राजस्थानी और मुग़ल स्थापत्य कला का अद्भुत मिश्रण है। महल को लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है और इसकी कुल 5 मंज़िलें हैं, जिनमें से 4 मंज़िलें पानी के अंदर डूबी रहती हैं। सिर्फ़ एक मंज़िल ही जल स्तर से ऊपर दिखाई देती है, जो इसे रहस्यमयी और बेहद आकर्षक बनाती है।इस महल की छत पर बने चार सुंदर छत्रियाँ (डोम्स) और एक मध्यम आकार का केंद्रीय मंडप, इसकी शाही भव्यता का प्रतीक हैं। छत पर मौजूद बागवानी भी इसका एक प्रमुख आकर्षण है, जिसे "चार बाग" शैली में सजाया गया है।

जल महल का इनसाइड व्यू: भीतर क्या है खास?

हालांकि आमतौर पर यह महल जनता के लिए पूरी तरह से खुला नहीं है, लेकिन कई बार विशेष अनुमति के साथ इंटीरियर टूर कराए जाते हैं। महल के अंदर की दीवारों पर पारंपरिक राजस्थानी चित्रकारी, जालीदार झरोखे, और पत्थर की नक्काशी देखने को मिलती है।महल के अंदर राजसी बैठक, ध्यान कक्ष और जल-संचालन तंत्र भी मौजूद हैं, जो उस समय की इंजीनियरिंग प्रतिभा को दर्शाते हैं। आधुनिक समय में जल महल का संरक्षण कर इसे सस्टेनेबल टूरिज्म के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।महल के नीचे बनी परतों को ठंडक बनाए रखने के लिए इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि झील का पानी प्राकृतिक एयर-कूलिंग सिस्टम की तरह कार्य करता है।

जल महल की वर्तमान स्थिति और पर्यटन

जल महल का संरक्षण कार्य पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान सरकार और निजी संस्थाओं की मदद से बेहतर हुआ है। अब पर्यटक इसकी खूबसूरती को निहारने के लिए झील के किनारे बोटिंग का आनंद ले सकते हैं। रात के समय जल महल की लाइटिंग और झील में इसका प्रतिबिंब एक स्वप्निल दृश्य प्रस्तुत करता है।

बजट और घूमने का सही समय

जल महल के आस-पास घूमना और फोटोग्राफी करना निशुल्क है। लेकिन अगर आप बोटिंग करना चाहते हैं या विशेष इनसाइड टूर का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो प्राइवेट बोट टूर या आयोजनों के जरिए आपको अनुमति मिलती है, जिसका खर्च लगभग ₹300 से ₹1000 प्रति व्यक्ति तक हो सकता है।घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का होता है, जब मौसम सुहावना होता है और झील का जल स्तर स्थिर रहता है।

जल महल: तस्वीरों और यादों में बस जाने वाला अनुभव

जल महल ना केवल एक फोटोस्पॉट है बल्कि यह राजस्थान की संस्कृति, शिल्प, और वास्तुकला को बेहद शांत और संतुलित रूप में प्रस्तुत करता है। इसके चारों ओर अरावली पर्वत की छाया, दूर-दूर तक फैली झील और सूर्यास्त के समय का दृश्य इसे वास्तव में एक “राजसी रहस्य” बना देता है।

Share this story

Tags