Samachar Nama
×

कुछ मिनटों के इस ड्रोन वीडियो में करे सरिस्का टाइगर रिजर्व की वर्चुअल सैर, देखते ही बना लेंगे यहां घूमने का प्लान 

कुछ मिनटों के इस ड्रोन वीडियो में करे सरिस्का टाइगर रिजर्व की वर्चुअल सैर, देखते ही बना लेंगे यहां घूमने का प्लान 

राजस्थान की प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता का जीवंत उदाहरण है सारिका टाइगर रिजर्व, जो अलवर जिले की अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों में बसा हुआ है। यह न सिर्फ बाघों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल है, बल्कि वन्यजीवों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक रोमांचक और शांति से भरपूर अनुभव भी प्रदान करता है। यहाँ की वनों की गहराई, शांत झीलें, दुर्लभ पक्षी प्रजातियाँ और ऐतिहासिक खंडहर इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाते हैं।


सारिका का इतिहास और बाघों की वापसी

सारिका कभी बाघों की बहुलता के लिए जाना जाता था, लेकिन 2004 में यह बाघविहीन हो गया, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। इसके बाद यहां Project Tiger के अंतर्गत पुनर्वास प्रयास किए गए और 2005 में रणथंभौर से बाघों को स्थानांतरित कर यहां दोबारा बसाया गया। आज यह रिजर्व फिर से बाघों की गर्जना से गूंजता है, जो संरक्षण की सफलता की कहानी बयां करता है।

जैव विविधता की अद्भुत दुनिया
सारिका टाइगर रिजर्व 866 वर्ग किलोमीटर में फैला है और इसमें घने सूखे पर्णपाती वन, घास के मैदान और झीलें हैं। यहाँ केवल बाघ ही नहीं, बल्कि तेंदुए, जंगली सूअर, नीलगाय, चीतल, सांभर, जंगली कुत्ते और लकड़बग्घा जैसे कई अन्य वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए यह किसी स्वर्ग से कम नहीं – यहाँ 280 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मोर, उल्लू, कठफोड़वा और प्रवासी पक्षी शामिल हैं।

पांडुपोल और धार्मिक महत्व
सारिका रिजर्व केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का केंद्र भी है। यहाँ स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम ने यहीं गदा से पर्वत फाड़कर मार्ग बनाया था। यह स्थान आज भी भक्तों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

सिलिसेढ़ झील और फोटोग्राफी का सौंदर्य
सारिका टाइगर रिजर्व के समीप स्थित सिलिसेढ़ झील इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाती है। शांत जलराशि, नीले आसमान का प्रतिबिंब और आसपास फैली हरियाली एक ऐसी पृष्ठभूमि बनाते हैं जो प्रकृति फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए आदर्श है। सुबह-सुबह यहां का दृश्य अत्यंत मोहक होता है।

जंगल सफारी: रोमांच का अनुभव
सारिका में जीप और कैन्टर सफारी का संचालन होता है जो सुबह और शाम के समय होती है। ट्रained गाइड और ड्राइवर आपको उन क्षेत्रों में ले जाते हैं जहाँ बाघों और अन्य जंगली जानवरों के देखे जाने की संभावना अधिक होती है। सफारी के दौरान यदि भाग्य साथ दे तो आप किसी बाघ को शिकार करते या झील के किनारे पानी पीते हुए देख सकते हैं – यह दृश्य जीवनभर के लिए यादगार बन जाता है।

इको-टूरिज्म और संरक्षण
सारिका टाइगर रिजर्व इको-टूरिज्म को बढ़ावा देता है और स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करता है। यहाँ के जंगल लॉज, कैंपिंग साइट्स और ईको-हट्स में रुककर पर्यटक प्रकृति के और भी करीब आते हैं। वन विभाग पर्यटकों को जंगल की मर्यादा, शांति और संरक्षण नियमों का पालन करने की सलाह देता है, जिससे वन्य जीवन में कोई बाधा न पहुंचे।

कैसे पहुँचें सारिका?
सारिका टाइगर रिजर्व की पहुंच जयपुर से लगभग 120 किलोमीटर और दिल्ली से 200 किलोमीटर की दूरी पर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन अलवर है और सड़क मार्ग से यहाँ पहुँचना बेहद आसान है। निजी वाहन या टैक्सी के माध्यम से आप सीधे मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुँच सकते हैं।

यात्रा के लिए सही समय
सारिका घूमने का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च तक होता है, जब मौसम सुहावना होता है और जानवरों की हलचल भी अधिक रहती है। गर्मियों में भी सफारी संभव है, लेकिन तापमान अधिक होने के कारण तैयारी के साथ जाना आवश्यक होता है।

सारिका टाइगर रिजर्व केवल एक बाघ संरक्षित क्षेत्र नहीं है, यह एक ऐसी जगह है जहाँ प्रकृति, पौराणिकता और रोमांच का अद्भुत संगम होता है। यदि आप प्राकृतिक शांति, वन्य जीवन का रोमांच और भारतीय विरासत का अनुभव करना चाहते हैं, तो सारिका निश्चित ही आपकी यात्रा सूची में होना चाहिए। यह स्थान हमें न केवल जैव विविधता की अद्भुत दुनिया से रूबरू कराता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि संरक्षण और सजगता से खोई हुई प्रकृति को वापस लाया जा सकता है।

Share this story

Tags