दो मिनट के इस शानदार वीडियो में करे झालाना लेपर्ड सफारी का वर्चुअल टूर, जाने कैसे शहरी आबादी के बीच रहते है 45 शिकारी

राजस्थान की राजधानी जयपुर सिर्फ अपने किलों, महलों और राजसी इतिहास के लिए ही नहीं जानी जाती, बल्कि यहां एक ऐसा जंगल भी है जो शहर के बीचों-बीच बसा है, और जिसमें आज भी तेंदुए पूरी तरह खुलेआम घूमते हैं। यह जगह है — झालाना लेपर्ड सफारी, जो दुनिया की सबसे अनोखी और आश्चर्यजनक सफारी में से एक मानी जाती है।झालाना लेपर्ड सफारी, जयपुर शहर के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है और इसकी खास बात यह है कि यह 40 लाख से अधिक की शहरी आबादी के बीच स्थित एक प्राकृतिक अभयारण्य है, जहां करीब 45 तेंदुए (लेपर्ड) पूरी आज़ादी से विचरण करते हैं। यह तथ्य ही इस सफारी को दुनिया में अलग पहचान दिलाता है, क्योंकि आमतौर पर लेपर्ड जैसे शिकारी जीव इतने घनी आबादी वाले इलाके में नहीं पाए जाते।
शहर के बीच एक जंगली जीवन
झालाना अभयारण्य पहले शाही शिकारगाह हुआ करता था, जिसे बाद में संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया। 2017 में इसे पर्यटकों के लिए "लेपर्ड सफारी" के रूप में खोला गया, और तब से यह न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का बड़ा केंद्र बन चुका है।इस सफारी का क्षेत्रफल करीब 20 वर्ग किलोमीटर है, जो जयपुर जैसे महानगर के हिसाब से काफी छोटा माना जा सकता है, लेकिन यहां की बायोडायवर्सिटी बेहद समृद्ध है। यहां सिर्फ तेंदुए ही नहीं, बल्कि सियार, नीलगाय, साही, लोमड़ी, लकड़बग्घा, चीतल और 300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं।
45 लेपर्ड्स की मौजूदगी और उनका व्यवहार
झालाना लेपर्ड सफारी में तेंदुओं की संख्या लगभग 45 के आसपास है। ये तेंदुए पूरी तरह खुले जंगल में रहते हैं और अपने-अपने क्षेत्रों को लेकर स्पष्ट विभाजन रखते हैं। इनके क्षेत्र निर्धारण की जानकारी सफारी गाइड्स के पास होती है और उसी के अनुसार सफारी रूट तय किए जाते हैं, जिससे पर्यटकों को तेंदुए देखने का अधिकतम मौका मिल सके।इस सफारी की सबसे खास बात यह है कि यहां लेपर्ड साइटिंग की सफलता दर करीब 90% से भी अधिक है, जो किसी भी जंगल सफारी के लिए अविश्वसनीय मानी जाती है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि जंगल का इलाका अपेक्षाकृत छोटा है और तेंदुए इंसानों की मौजूदगी के आदी हो चुके हैं।
सफारी अनुभव: रोमांच और सुरक्षा साथ-साथ
यह सफारी एक निर्धारित रूट पर ओपन जिप्सी गाड़ियों से कराई जाती है। हर सफारी लगभग 2.5 घंटे की होती है और दिन में दो स्लॉट्स में उपलब्ध रहती है — सुबह और शाम। सफारी के दौरान पर्यटक जंगल की खूबसूरती के साथ-साथ तेंदुओं की चुपचाप झाड़ियों में छिपने, पेड़ों पर चढ़ने या पानी पीने की अद्भुत झलकियां देख सकते हैं।पर्यटकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है। प्रशिक्षित गाइड्स, अनुभवी ड्राइवर्स और वन विभाग की निगरानी में सफारी चलाई जाती है। यहां की सफारी में किसी भी तरह की लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होती।
पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय सहभागिता
झालाना लेपर्ड सफारी ना केवल एक पर्यटन केंद्र है, बल्कि यह एक जागरूकता अभियान की तरह भी कार्य करती है। यहां के गाइड्स स्थानीय लोग ही होते हैं जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इससे उन्हें रोजगार भी मिलता है और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है।इसके साथ ही, सफारी से होने वाली आय का एक हिस्सा जंगल की सुरक्षा और जैव विविधता के संरक्षण में लगाया जाता है। यह मॉडल पर्यावरणीय पर्यटन और स्थानीय विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन चुका है।