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वीडियो में करे रियासतकालीन राजस्थान के ब्लैक एंड वाइट दर्शन, देखकर आपका भी टाइम ट्रेवल करने का होने लगेगा मन 

वीडियो में करे रियासतकालीन राजस्थान के ब्लैक एंड वाइट दर्शन, देखकर आपका भी टाइम ट्रेवल करने का होने लगेगा मन 

राजस्थान, जो आज अपनी रंगीन परंपराओं, भव्य महलों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों के लिए जाना जाता है, कभी अपने रियासतकाल में एक बिल्कुल अलग दृश्य प्रस्तुत करता था — एक ऐसा दृश्य जिसे यदि ब्लैक एंड वाइट तस्वीरों में देखा जाए, तो इतिहास की गहराई और उसकी खामोशी को महसूस किया जा सकता है। आज हम बात करते हैं रियासतकालीन राजस्थान के ब्लैक एंड वाइट दर्शन की, यानी उस समय की छवियों और अनुभवों की जो आज भी हमारे इतिहास में जीवित हैं, पर एक धुंधली परछाई की तरह।


जब समय ठहर गया था: रियासतों की शांति और शक्ति

ब्रिटिश काल में राजस्थान ‘राजपूताना’ कहलाता था और यह 22 से अधिक रियासतों में बंटा हुआ था। जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, अलवर, भरतपुर, और धौलपुर जैसी रियासतें अपनी अलग-अलग पहचान और शासन शैली के लिए जानी जाती थीं। इन रियासतों का प्रशासन, सेना, और संस्कृति एक अद्भुत सम्मिलन था जो समय के साथ आज के आधुनिक भारत की नींव में जुड़ता गया।ब्लैक एंड वाइट तस्वीरों में जब इन राजाओं के दरबार, शाही जुलूस, हाथियों की सवारी और बंदूकधारी सैनिकों को देखा जाता है, तो महसूस होता है कि राजस्थान का अतीत एक सजीव छवि की तरह जीवित है। तस्वीरों में दिखते हैं राजा-महाराजा अपने अंगरक्षकों के साथ, पगड़ी में सजे हुए, और उनके पीछे दिखते हैं सेवक, जो हमेशा तैयार रहते थे शाही आदेश की पूर्ति के लिए।

महिलाओं की दुनिया: पर्दों के पीछे की शान
रियासतकाल में महिलाओं की स्थिति भी रहस्यमय और प्रभावशाली थी। ज़नाना महलों में रहने वाली रानियां और राजकुमारियां भले ही आम जनता से दूर रहती थीं, परंतु उनकी भूमिका रणनीति, सांस्कृतिक संरक्षण और शाही परंपराओं में बेहद अहम थी। ब्लैक एंड वाइट फोटोग्राफ्स में उनका प्रतिबिंब शायद ही देखने को मिले, पर उनके आभूषण, कांच की चूड़ियों और भारी घाघरा-ओढ़नी के आभास से उनकी मौजूदगी महसूस की जा सकती है।

शिल्प, संगीत और धर्म: आत्मा का रंग
राजस्थानी कला, संगीत और स्थापत्य शैली उस समय भी अपने शिखर पर थी। मीनाकारी, ज़री का काम, पत्थर की नक्काशी और हवेलियों की दीवारों पर चित्रित धार्मिक दृश्य आज भी उस काल की कलात्मक आत्मा को व्यक्त करते हैं। ब्लैक एंड वाइट में जब हवामहल या मेहरानगढ़ किले की तस्वीरें देखी जाती हैं, तो उनमें मौजूद छायाएं और रेखाएं मानो उस दौर की नीरवता को अभिव्यक्त करती हैं।संगीत की दुनिया में भी राजस्थानी रियासतों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। दरबारों में ढोलक, सारंगी और कमायचा जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज, लोक गायन और कथाओं की प्रस्तुति होती थी। आज भले ही ये दृश्य रंगीन कार्यक्रमों में देखने को मिलते हैं, लेकिन उस समय की तस्वीरों में संगीत की संजीवता मौन रहकर भी बोलती थी।

सामाजिक अंतर और समय की गति
रियासतकालीन राजस्थान में सामाजिक ढांचे में गहरी असमानताएं थीं। जहां एक ओर राजाओं के जीवन में विलासिता और वैभव था, वहीं आम जनता श्रम, उपेक्षा और कठोर मौसम से जूझ रही थी। ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें जब किसी किसान की सूनी आंखों, ऊँट के साथ चलते व्यापारी या मिट्टी के घर में काम करती स्त्री को दिखाती हैं, तो उस दौर का यथार्थ और दर्द दोनों उभरकर सामने आते हैं।राजस्थान का वो समय, जब तस्वीरें कम और कहानियां ज़्यादा थीं, अपनी एक अलग पहचान रखता है। ब्लैक एंड वाइट दर्शन केवल एक रंगहीन कल्पना नहीं, बल्कि एक ऐसा आईना है जो अतीत की खूबसूरती और उसकी विडंबनाओं को साथ-साथ दिखाता है।

स्वतंत्रता और समापन की ओर
1947 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद राजस्थान की रियासतें भारत संघ में शामिल हुईं और धीरे-धीरे राजतंत्र का अंत हुआ। जयपुर के महाराजा मान सिंह, बीकानेर के गंगा सिंह जैसे शासकों ने राजनीतिक समझदारी दिखाते हुए इस बदलाव को स्वीकार किया। आजादी के बाद की तस्वीरों में वही शाही चेहरे अब लोकतंत्र में नई भूमिका निभाते नजर आते हैं। यही ब्लैक एंड वाइट दर्शन का सबसे खूबसूरत पहलू है—एक युग का परिवर्तन।

आज जब हम रियासतकालीन राजस्थान के ब्लैक एंड वाइट चित्रों को देखते हैं, तो वे सिर्फ धरोहर नहीं, बल्कि चेतना हैं। वे चित्र समय को कैद करते हैं – उसके सौंदर्य को भी और उसकी सीमाओं को भी। वे हमें बताते हैं कि राजस्थान केवल रंगों की भूमि नहीं, बल्कि संघर्ष, सत्ता और संस्कारों की भी भूमि है।ब्लैक एंड वाइट दर्शन हमें अतीत को देखने की एक नई दृष्टि देते हैं — एक ऐसी दृष्टि जो रंगों से परे जाकर भावनाओं, विचारों और अनुभवों को जीवंत करती है। और यही है राजस्थान का असली वैभव – समय से भी आगे जाकर आत्मा में उतर जाना।

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