Samachar Nama
×

तीन मिनट के शानदार वीडियो में जाने भारत की शान अरावली पर्वतमाला के अज्ञात रहस्य, जो इतिहासकारों को भी कर देते है हैरान 

तीन मिनट के शानदार वीडियो में जाने भारत की शान अरावली पर्वतमाला के अज्ञात रहस्य, जो इतिहासकारों को भी कर देते है हैरान 

भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक अरावली पर्वत श्रृंखला न केवल भूगोल और पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपने भीतर कई ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पौराणिक रहस्यों को भी समेटे हुए है। यह पर्वत श्रृंखला भारत के पश्चिमी भाग में स्थित है और मुख्यतः राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात तक फैली हुई है। इसकी लंबाई लगभग 700 किलोमीटर है और यह उत्तर में दिल्ली से लेकर दक्षिण-पश्चिम में गुजरात के पालनपुर तक विस्तृत है।


धरती की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक
अरावली पर्वत माला को धरती की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में गिना जाता है। यह हिमालय से भी पुरानी है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, इसकी उत्पत्ति आज से लगभग 3.2 अरब साल पहले हुई थी। यह पर्वतमाला अब धीरे-धीरे क्षीण हो रही है, जबकि हिमालय अभी भी ऊँचाई पकड़ रहा है। बावजूद इसके, अरावली न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्रों में हरियाली और जलस्रोतों की रक्षा भी करता है।

पौराणिक मान्यताएं और धार्मिक महत्व
अरावली पर्वत माला का उल्लेख पुराणों और वेदों में भी मिलता है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसी पर्वतमाला के विभिन्न भागों में समय बिताया था। अलवर स्थित पांडुपोल मंदिर इसी संदर्भ में प्रसिद्ध है, जहां भीम ने कथित रूप से हनुमान जी से भेंट की थी।वहीं, माउंट आबू, जो अरावली की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर (1722 मीटर) पर स्थित है, जैन और हिंदू धर्म दोनों के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थल है। यहां स्थित देलवाड़ा जैन मंदिर अपनी संगमरमर की अद्भुत नक्काशी के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

रहस्यमयी स्थल और किवदंतियां
अरावली पर्वत माला में कई ऐसे स्थान हैं जिनसे जुड़ी रहस्यमयी कहानियां और किवदंतियां आज भी स्थानीय लोगों के बीच जीवित हैं। जैसे राजस्थान का भानगढ़ किला, जो अरावली की तलहटी में स्थित है और जिसे भारत का सबसे भूतहा किला माना जाता है।इसी तरह, अलवर और सरिस्का के जंगलों में मौजूद कुछ पुरातन खंडहरों को लेकर भी कई रहस्य प्रचलित हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे एक समय राजाओं के गुप्त साधना स्थल थे।

जैव विविधता और पारिस्थितिकी
अरावली पर्वत माला जैव विविधता के लिहाज़ से भी अत्यंत समृद्ध है। इसमें तेंदुआ, नीलगाय, लोमड़ी, सियार, और कई प्रजातियों के पक्षी और सरीसृप पाए जाते हैं। साथ ही यह पर्वतमाला दिल्ली और राजस्थान के बीच स्थित सरिस्का और रणथंभौर जैसे अभयारण्यों को पोषण और संरक्षण देती है।यह पर्वतमाला राजस्थान की रेगिस्तानी हवाओं को दिल्ली और NCR में घुसने से रोकती है, जिससे राजधानी के तापमान और प्रदूषण नियंत्रण में सहायता मिलती है।

खनिज संपदा और ऐतिहासिक महत्व
अरावली पर्वत माला खनिज संसाधनों से भी भरपूर है। यहां से तांबा, जस्ता, चूना पत्थर, संगमरमर और अन्य खनिज निकाले जाते हैं। प्राचीन काल में भी यहां की खनिज संपदा के कारण ही यह क्षेत्र राजाओं और साम्राज्यों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है।

Share this story

Tags