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3 मिनट के शानदार वीडियो में जानिए तीर्थराज पुष्कर से जुड़ी रोचक बातें, आप भी फौरन यहां बना लेंगे घूमने का प्लान 

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भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक पुष्कर राजस्थान के अजमेर जिले के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। 510 मीटर की ऊंचाई पर तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा यह शहर राजस्थान के 'कमल के फूल' के नाम से जाना जाता है। पुष्कर को हिंदू धर्म के पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है, जो इसे हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनाता है। पुष्कर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी संस्कृति, परंपराएं और त्यौहार भी इसे देश और दुनिया में एक विशेष स्थान दिलाते हैं।


पुष्कर का अनोखा ऊंट मेला
पुष्कर शहर अपने आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ ऊंट मेले के लिए भी प्रसिद्ध है। यह मेला न केवल भारत का बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा ऊंट मेला है। हर साल यहां करीब 50,000 ऊंट लाए जाते हैं, जो राजस्थान के विभिन्न इलाकों से ऊंट चराने वालों, जिप्सियों और स्थानीय संगीतकारों के साथ मेले में हिस्सा लेते हैं। यहां ऊंट दौड़, जिप्सी संगीत पर आदिवासी नृत्य, मूंछ प्रतियोगिता और रस्साकशी जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जो पर्यटकों के लिए एक अद्भुत अनुभव होता है। यह मेला मुख्य रूप से ऊंटों और घोड़ों की खरीद-फरोख्त से शुरू होता है। मेले में देश भर से ही नहीं बल्कि दुनिया भर से 200,000 से अधिक पर्यटक आते हैं, जो पुष्कर के इस अनोखे मेले का आनंद लेते हैं।

गुलाबों का पुष्कर
पुष्कर न केवल एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है, बल्कि इसे 'राजस्थान के गुलाब उद्यान' के रूप में भी जाना जाता है। यह शहर गुलाब की खेती के लिए प्रसिद्ध है और यहां उगाए जाने वाले गुलाब न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं। पुष्कर के हरे-भरे गुलाब के बगीचों को देखने हर साल हजारों पर्यटक आते हैं और यहां की खूबसूरती और प्राकृतिक वैभव का आनंद लेते हैं।

ब्रह्मा मंदिर का अनूठा इतिहास
पुष्कर का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल भगवान ब्रह्मा का मंदिर है। इस मंदिर का धार्मिक महत्व अनूठा है क्योंकि पूरी दुनिया में ब्रह्मा को समर्पित केवल पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन मंदिर पुष्कर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा ने पुष्कर झील में कमल का फूल गिराया था, जिसके बाद इस स्थान का महत्व बढ़ गया। हालांकि इस मंदिर का कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह करीब 2000 साल पुराना है। इसे मुगल शासक औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था, लेकिन बाद में स्थानीय शासकों ने इसका पुनर्निर्माण करवाया।

सावित्री देवी मंदिर और ब्रह्मा का श्राप
पुष्कर के धार्मिक इतिहास से जुड़ी एक और रोचक कहानी देवी सावित्री और भगवान ब्रह्मा की है। ऐसा कहा जाता है कि जब ब्रह्मा ने अपनी दूसरी पत्नी से विवाह किया, तो उनकी पहली पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया कि पुष्कर के अलावा पूरी दुनिया में उनकी पूजा कहीं नहीं होगी। यही वजह है कि भगवान ब्रह्मा का मुख्य मंदिर पुष्कर में ही है। पुष्कर में सावित्री मंदिर भी स्थित है, जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहां से पूरे शहर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है।

पुष्कर की सांस्कृतिक विरासत
पुष्कर एक ऐसा शहर है जो न केवल अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी विविधता और सांस्कृतिक विरासत भी इसे खास बनाती है। पुष्कर मेला और यहां की गुलाब की खेती इस शहर को बाकी जगहों से अलग पहचान दिलाती है। हर साल नवंबर में जब सर्दियों की हल्की ठंड शुरू होती है, तो पुष्कर की अद्भुत सुंदरता और इसके मंदिरों की भव्यता यहां आने वाले हर व्यक्ति को मंत्रमुग्ध कर देती है।

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