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शीश महल से गुप्त सुरंग तक 3 मिनट के वीडियो में जानिए आमेर फोर्ट के 15 अनसुने रहस्य, जो आपको यहां घूमने के लिए कर देंगे मजबूर 

शीश महल से गुप्त सुरंग तक 3 मिनट के वीडियो में जानिए आमेर फोर्ट के 15 अनसुने रहस्य, जो आपको यहां घूमने के लिए कर देंगे मजबूर 

जयपुर की धरती पर बसे अमेर किले की पहचान सिर्फ एक पर्यटन स्थल के रूप में नहीं, बल्कि राजपूताना गौरव, वास्तुकला की भव्यता और रहस्यमयी कहानियों से भी जुड़ी हुई है। आमतौर पर पर्यटक इसकी ऊँची प्राचीरों, शीश महल, दीवान-ए-आम और गणेश पोल जैसी जगहों को देखकर वापस लौट जाते हैं, लेकिन इस ऐतिहासिक किले के कई ऐसे अनछुए पहलू हैं जो आज भी इतिहासप्रेमियों और शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

किला नहीं, महलों का समूह है
आमेर फोर्ट दरअसल सिर्फ एक किला नहीं, बल्कि कई महलों, मंदिरों और बगीचों का समुच्चय है – जैसे दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल, सुख निवास आदि।

सिर्फ राजपूत नहीं, मुगल वास्तुकला का भी अद्भुत मेल
आमेर किला राजपूत स्थापत्य शैली का तो प्रतीक है ही, साथ ही इसमें मुग़ल शैली की छाप भी स्पष्ट देखी जा सकती है। खासकर बाग़ों और नक्काशी में।

शीश महल में सिर्फ एक दीपक से रोशन हो जाता था पूरा कक्ष
शीश महल की दीवारों और छतों में लगे हज़ारों छोटे-छोटे शीशों की खास बनावट ऐसी है कि सिर्फ एक दीया जलाने से पूरा कमरा चमक उठता है।

संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर की जुगलबंदी
आमेर किले का निर्माण मुख्यतः लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से किया गया है – जो इसकी शाही छवि को और निखारता है।

एक छिपा हुआ सुरंग मार्ग
आमेर फोर्ट से जयगढ़ किले तक एक गुप्त सुरंग जाती है, जो युद्ध के समय शाही परिवार के सुरक्षित भागने के लिए बनाई गई थी। अब यह आम पर्यटकों के लिए भी खुली है।

“जल महल” जैसा एक कम-ज्ञात बाग: केसर क्यारी
आमेर किले के सामने मौजूद “केसर क्यारी” एक आयताकार बाग है, जो मावठा झील के बीच स्थित है। कहा जाता है कि यहाँ कभी केसर के पौधे भी उगाए जाते थे।

कभी आमेर नहीं, ‘अंबर’ था इसका नाम
आमेर का प्राचीन नाम "अंबर" था, जो देवी अंबिका के नाम पर पड़ा। बाद में उच्चारण के बदलाव से यह "आमेर" बन गया।

यंत्र आधारित कूलिंग सिस्टम – सुख निवास
किले के “सुख निवास” कक्ष में पानी की धाराओं और हवाओं के संगठित प्रवाह से प्राकृतिक ठंडक दी जाती थी, जो प्राचीन ‘AC’ की तरह कार्य करता था।

राजा मानसिंह का सपना था आमेर फोर्ट
किले का निर्माण राजा मानसिंह प्रथम ने 1592 में शुरू करवाया था, और उनके उत्तराधिकारियों ने इसे विस्तार दिया।

शीश महल में फोटोग्राफी पर कभी प्रतिबंध था
शीश महल के शीशों पर कैमरे की फ्लैश से नुकसान हो सकता था, इसलिए कई वर्षों तक वहाँ फोटोग्राफी की अनुमति नहीं थी।

हर दिन सुबह 8 बजे होती है "गज पूजा"
किले में पर्यटकों को आकर्षित करने वाले हाथी राइड से पहले पारंपरिक रूप से गज (हाथी) पूजा की जाती है।

जयगढ़ किले से जुड़े खजाने की कहानियाँ
कहा जाता है कि आमेर से जुड़े जयगढ़ किले में कभी अकबर के खजाने को सुरक्षित रखा गया था – जो अब भी कई मिथकों का हिस्सा है।

हथनी पोल – हाथियों के गुजरने वाला भव्य दरवाज़ा
आमेर किले की “हथनी पोल” इतनी बड़ी और मजबूत बनाई गई थी कि उस पर से एक साथ कई हाथी गुजर सकते थे।

राजाओं के 'गुप्त जासूस' यहां से करते थे निगरानी
शीश महल के ऊपरी हिस्से में बने छुपे झरोखों से राजपरिवार और जासूस गतिविधियों पर नजर रखते थे।

लाइट एंड साउंड शो में जीवंत होता है इतिहास
आमेर फोर्ट में हर शाम होने वाला लाइट एंड साउंड शो राजस्थान के गौरवशाली इतिहास और आमेर की कहानियों को आवाज़ और रोशनी के माध्यम से पेश करता है।

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