अगर इतिहास और प्रकृति से है लगाव तो एक बार जरूर जाएं कुंभलगढ़ जहां हर पत्थर सुनाता है वीरता की कहानी, वीडियो में देखे ट्रिप की पूरी डिटेल

राजस्थान के राजसी गौरव और शौर्यगाथाओं से भरी धरती पर बसा कुंभलगढ़ न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह छोटा-सा कस्बा, जो राजसमंद जिले में स्थित है, इतिहास प्रेमियों, ट्रैवलर्स और प्रकृति के दीवानों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा यह स्थल अपनी प्राचीन विरासत, अद्भुत किले, जैव विविधता और रहस्यमय वातावरण के कारण वैश्विक पर्यटकों का ध्यान खींचता है।
कुंभलगढ़ किला: भारत की दूसरी सबसे लंबी दीवार
कुंभलगढ़ का नाम आते ही सबसे पहले जिसका ज़िक्र होता है वह है — कुंभलगढ़ किला, जिसे 15वीं शताब्दी में राणा कुम्भा ने बनवाया था। यह किला 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसकी दीवार लगभग 36 किलोमीटर लंबी है, जो इसे चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार बनाती है। इस किले ने न केवल मेवाड़ के शासकों की रक्षा की बल्कि यह महाराणा प्रताप की जन्मस्थली भी है, जिससे इसकी ऐतिहासिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।
इस किले की वास्तुकला, ऊंचाई और रणनीतिक स्थिति इसे अभेद्य बनाती है। सात विशाल द्वार, 360 से अधिक मंदिर और चारों ओर फैली हरियाली इसे एक सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र भी बनाते हैं।
प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग: कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
इतिहास के साथ अगर प्रकृति से भी आपको लगाव है, तो कुंभलगढ़ आपके लिए एक आदर्श जगह है। यहां स्थित कुंभलगढ़ वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी में तेंदुआ, भालू, नीलगाय, चीतल, भैंसे, भेड़िए और कई तरह की पक्षियों की प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। जंगल सफारी के जरिए पर्यटक इस वन्य जीवन को करीब से अनुभव कर सकते हैं।
ट्रैकिंग और रोमांच की तलाश
अरावली की पहाड़ियों से घिरा कुंभलगढ़ ट्रैकिंग और ट्रेकर्स के लिए भी बेहतरीन डेस्टिनेशन बन चुका है। खासकर मानसून और सर्दियों में यहां की घाटियां और जंगल रोमांच का अलग ही अनुभव कराते हैं।
स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण
कुंभलगढ़ न केवल किला या जंगल के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के मंदिर, जैसे कि नीलकंठ महादेव मंदिर, स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हैं। मंदिरों की जटिल नक्काशी, गुंबदों की बनावट और पत्थरों पर की गई नयनाभिराम कलाकृति, राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करती है।
कुंभलगढ़ महोत्सव: संस्कृति का रंगारंग संगम
हर साल दिसंबर में आयोजित होने वाला कुंभलगढ़ महोत्सव भी इस शहर की पहचान बन चुका है। इस तीन दिवसीय उत्सव में लोक नृत्य, संगीत, हस्तशिल्प, और पारंपरिक खान-पान का संगम होता है। देश-विदेश से पर्यटक इस उत्सव का हिस्सा बनने आते हैं और राजस्थान की जीवंत संस्कृति को नजदीक से महसूस करते हैं।
कैसे पहुंचे कुंभलगढ़?
कुंभलगढ़ पहुँचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन फलोदी और हवाई अड्डा उदयपुर है, जो लगभग 85 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या बस के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रुकने और खाने की उत्तम व्यवस्था
कुंभलगढ़ में आपको हर बजट के अनुरूप होटल, रिसॉर्ट और होमस्टे मिल जाएंगे। पारंपरिक राजस्थानी व्यंजन जैसे दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी और केर-सांगरी यहां के खाने में खास स्थान रखते हैं।