पाली जिले में बना जवाई बांध कैसे बना किसानों की उम्मीद और पर्यावरण प्रेमियों का पसंदीदा ठिकाना, वीडियो में करे वर्चुअल सैर

राजस्थान जैसे सूखे और अर्ध-शुष्क राज्य में जल का महत्व जीवन से जुड़ा हुआ है। यहां के अधिकांश जिलों में बारिश सीमित होती है, और गर्मी में पानी का संकट आम बात है। ऐसे में, पाली जिले में स्थित जवाई बांध न केवल एक विशाल जलस्रोत है बल्कि यह राजस्थान के 49 लाख लोगों की जीवन रेखा भी है। इस बांध का महत्व केवल पानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सिंचाई, वन्यजीव संरक्षण, पर्यटन और अर्थव्यवस्था से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
इतिहास और निर्माण की कहानी
जवाई बांध का निर्माण कार्य 1946 में शुरू हुआ था और इसे 1957 में पूर्ण किया गया। इसे ब्रिटिश इंजीनियरिंग तकनीक के आधार पर तैयार किया गया, और यह आज भी मजबूती से खड़ा है। यह बांध पाली जिले के सुमेरपुर और शिवगंज तहसीलों के बीच स्थित है, और इसका निर्माण जवाई नदी पर हुआ था, जो लूनी नदी की सहायक नदी है।बांध की कुल जल संग्रहण क्षमता लगभग 7887 मिलियन क्यूबिक फीट (MCFT) है, और यह करीब 13.45 किलोमीटर लंबा है। इसका जलग्रहण क्षेत्र इतना व्यापक है कि यह पाली, जोधपुर और जालोर जिलों को पानी मुहैया करवाने में सक्षम है।
सिंचाई और पेयजल का प्रमुख स्रोत
पाली और आसपास के क्षेत्रों की कृषि मुख्यतः इस बांध पर निर्भर है। करीब 3 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई जवाई बांध से की जाती है। खास बात यह है कि यह क्षेत्र मुख्यतः खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए अनुकूल है। किसान जवाई बांध के जल पर निर्भर होकर गेहूं, बाजरा, ग्वार, सरसों, चना आदि की खेती करते हैं।इसके साथ ही, जवाई बांध पाली शहर सहित जोधपुर, बाड़मेर और जालोर जिलों के कई कस्बों और गांवों के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत भी है। खासकर गर्मियों में, जब अन्य स्रोत सूख जाते हैं, तब यही बांध लाखों लोगों की प्यास बुझाता है।
वन्यजीव और पर्यावरण का संरक्षण
जवाई बांध के आसपास फैला क्षेत्र वन्यजीवों के लिए भी सुरक्षित आश्रय स्थल है। यहां पर लेपर्ड (तेंदुआ) की स्थायी आबादी पाई जाती है, जो पूरे भारत में एक अनोखा उदाहरण है। इसके अलावा, मगरमच्छ, लोमड़ी, नीलगाय और कई प्रवासी पक्षी यहां अक्सर देखे जाते हैं।जवाई लेपर्ड सफारी अब धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नक्शे पर अपनी पहचान बना रही है। खासतौर पर नवंबर से मार्च तक, जब जलाशय और पहाड़ों का सौंदर्य अपने चरम पर होता है, सैलानी बड़ी संख्या में यहां आते हैं।
पर्यटन के लिए उभरता आकर्षण
पिछले कुछ वर्षों में जवाई बांध क्षेत्र एक प्रमुख इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। यहां की लेपर्ड सफारी, डैम साइट से सूर्यास्त का दृश्य, और आसपास के ग्रामीण अनुभव पर्यटकों को खासा लुभाते हैं। कई रिसॉर्ट्स, कैंपिंग साइट्स और सफारी टूर ऑपरेटर्स अब यहां सक्रिय हो चुके हैं।फोटोग्राफर्स के लिए भी जवाई बांध क्षेत्र किसी स्वर्ग से कम नहीं। पहाड़ियों के बीच बहता पानी, विचरण करते तेंदुए, और खुले आसमान में उड़ते पक्षियों का नज़ारा अद्भुत अनुभव देता है।
चुनौतियां और भविष्य की जरूरतें
हालांकि जवाई बांध की महत्ता असंदिग्ध है, परंतु यह कई चुनौतियों से भी जूझ रहा है। जलभराव की अनियमितता, बारिश पर निर्भरता, सिल्टिंग (गाद जमना), और अतिक्रमण जैसी समस्याएं इसके दीर्घकालिक अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न खड़े करती हैं। जल स्रोतों की सुरक्षा और बांध की नियमित सफाई आज के समय की बड़ी जरूरत बन चुकी है।राज्य सरकार ने जवाई बांध के विकास और संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, परंतु इन योजनाओं का पूर्ण क्रियान्वयन और स्थानीय जनभागीदारी आज भी एक चुनौती बना हुआ है।