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जवाई बांध कैसे बना 49 लाख लोगों की जीवनरेखा? 3 मिनट के शानदार ड्रोन वीडियो में करे इस अद्भुतजगह की वर्चुअल सैर 

जवाई बांध कैसे बना 49 लाख लोगों की जीवनरेखा? 3 मिनट के शानदार ड्रोन वीडियो में करे इस अद्भुतजगह की वर्चुअल सैर 

राजस्थान के पाली जिले में स्थित जवाई बांध (Jawai Dam) न केवल एक जलस्रोत है, बल्कि यह क्षेत्र की जीवनरेखा बन चुका है। 1957 में जब इसकी नींव रखी गई थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह बांध आने वाले वर्षों में लगभग 49 लाख लोगों की जिंदगी का आधार बन जाएगा। आज यह बांध पाली, जालोर, सिरोही और आसपास के इलाकों में जल आपूर्ति, सिंचाई और पर्यावरणीय संतुलन के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


जीवनदायिनी बन चुका है जवाई बांध
करीब 21 किलोमीटर लंबा और 61 फीट ऊंचा यह बांध जवाई नदी पर बनाया गया है, जो लूणी नदी की सहायक है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में जलसंकट से राहत देना था, लेकिन समय के साथ यह जलस्रोत सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और पशुपालन जैसे कई क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाने लगा। आज इसके जल से हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित किया जाता है और दर्जनों गांवों और कस्बों को पीने का पानी उपलब्ध होता है।विशेष बात यह है कि यह बांध न केवल किसानों और नागरिकों को राहत देता है, बल्कि क्षेत्र में बसे पशु-पक्षियों और वन्यजीवों के लिए भी जलस्रोत के रूप में कार्य करता है। यही कारण है कि इसे राजस्थान की 'ग्रामीण जीवनरेखा' के रूप में देखा जाता है।

पर्यटन की दृष्टि से भी है खास
जवाई बांध का प्राकृतिक सौंदर्य लोगों को दूर-दूर से खींच लाता है। यहां का शांत वातावरण, फैली हुई हरियाली, आसमान को चूमते पहाड़ और जल में झलकती सूर्य की किरणें मिलकर एक ऐसा दृश्य रचती हैं जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। खासकर सुबह और शाम के समय यहां का नजारा बेहद आकर्षक होता हैपर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां अब लेपर्ड सफारी, बर्ड वॉचिंग और नेचर ट्रेकिंग जैसी गतिविधियाँ शुरू की गई हैं। जवाई क्षेत्र लेपर्ड (तेंदुए) की संख्या के लिए जाना जाता है। पहाड़ी इलाकों में इन वन्यजीवों को देखना एक रोमांचकारी अनुभव होता है। यही नहीं, यहां पर सारस, बगुला, पेंटेड स्टॉर्क और फ्लेमिंगो जैसे पक्षी भी देखने को मिलते हैं, जिससे यह जगह बर्ड वॉचिंग प्रेमियों के लिए भी खास बन जाती है।

स्थानीय आजीविका और रोजगार का स्रोत
जवाई बांध न केवल जीवनदायिनी जल उपलब्ध कराता है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आजीविका का साधन भी बन गया है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या के चलते यहां होमस्टे, कैंपिंग साइट्स, लोकल गाइड्स और जीप सफारी सर्विसेज जैसे व्यवसायों का विस्तार हुआ है। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है।

जल प्रबंधन की मिसाल
राजस्थान जैसे सूखे राज्य में जल प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है, लेकिन जवाई बांध इस दिशा में एक सफल उदाहरण बनकर उभरा है। बांध के जल को बेहद व्यवस्थित ढंग से गांवों और शहरों तक पहुँचाया जाता है। मानसून के समय जल संग्रहण और सूखे समय में वितरण की नीति यहां काफी प्रभावी मानी जाती है।वर्तमान में सरकार और जल विभाग मिलकर इस बांध के जरिए नए जल परियोजनाओं को भी जोड़ने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। इससे न केवल सिंचाई क्षेत्र बढ़ेगा, बल्कि औद्योगिक और शहरी जल आपूर्ति की स्थिति भी बेहतर होगी।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व
जवाई क्षेत्र का धार्मिक दृष्टि से भी खास महत्त्व है। बांध के आसपास कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जैसे कि देवगिरी गुफा मंदिर, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं। त्योहारों के समय यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है और पूरा वातावरण आध्यात्मिक हो जाता है।

संरक्षण की चुनौती और समाधान
हालांकि जवाई बांध का महत्व जितना बढ़ा है, उतनी ही इसकी संरक्षण और साफ-सफाई की जिम्मेदारी भी बढ़ी है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ती पर्यटक गतिविधियाँ और अतिक्रमण जैसी समस्याएँ इसके अस्तित्व के लिए खतरा बन सकती हैं। इसके लिए स्थानीय प्रशासन, ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों को मिलकर जागरूकता अभियान, जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

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