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शिमला, मनाली से भी ज्यादा खूबसूरत और एडवेंचरस है हिमाचल का करसोग

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       यात्रा समाचार डेस्क!!! हिमाचल प्रदेश की यात्रा के लिए गर्मियां सबसे अच्छा मौसम हैं, जब आप बिना किसी डर के यहां हर चीज का आनंद ले सकते हैं। हिमाचल आने वाले सबसे ज्यादा पर्यटकों की सूची में शिमला, मनाली, स्पीति, तीर्थन घाटी जैसी जगहें शामिल हैं, जहां पहुंचना आसान है और एक से दो दिन में घूमा जा सकता है, लेकिन और भी कई ऐसी जगहें हैं, जो पर्यटकों की नजरों से दूर हैं। इससे इन जगहों की खूबसूरती आज भी बरकरार है। ऐसी ही एक जगह है करसोग। जो अपने घने जंगलों के साथ-साथ सेब के बागों के लिए भी जाना जाता है।

करसोग हालांकि मंडी जिले के भीतर आता है लेकिन मंडी से दूरी 125 किमी है। शिमला से करसोग की दूरी महज 100 किमी है। शिमला से करसोग का रास्ता बहुत ही शानदार है। सेब, नाशपाती, चीड़, नीबू और देवदार के पेड़ों को देखकर अक्सर यह पता नहीं चल पाता कि 100 किलोमीटर का सफर कब पूरा हो जाता है।

करसोग हरे-भरे पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। करसोग में धान, मक्का की भी खेती होती है। तो दूर-दूर तक फैले खेत भी इस जगह की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

कमरू नाग ट्रेक

आप यहां ट्रेकिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं। करसोग से 22 किमी की दूरी पर रोहंडा है, जहां लोग बस से जाते हैं। यहीं से कामरू नाग ट्रेकिंग शुरू होती है। बर्फ से ढके पहाड़ों के मनमोहक दृश्य आपकी ट्रेकिंग को मजेदार बना देते हैं।

ममलेश्वर मंदिर

करसोग घाटी में ममलेश्वर मंदिर भी देखने लायक है, जहां पांडवों ने अपने वनवास के दौरान कुछ समय बिताया था। यह मंदिर पत्थर और लकड़ी के चबूतरे पर बना है। मंदिर में एक धुन है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत काल से जल रही है। कहा जाता है कि जब भीम ने राक्षसों को मुक्त किया था तब यह धूना जल गया था और तभी से यह धूना जल रहा है।

कामक्ष मंदिर

कामाक्ष मंदिर करसोग से लगभग 7 किमी दूर स्थित है। इस मंदिर के निर्माण में लकड़ी और स्लेट का प्रयोग किया गया है। यहां कामक्ष मां चतुर्भुज सिंहासन पर विराजमान हैं। अगर आप यहां आएं तो इस मंदिर के दर्शन करना न भूलें।

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