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माही डैम से त्रिपुरा सुंदरी मंदिर तक वायरल डॉक्यूमेंट्री में देखिये बांसवाड़ा शहर के प्रमुख आकर्षण, अआप भी बना लेंगे घूमने का मन 

माही डैम से त्रिपुरा सुंदरी मंदिर तक वायरल डॉक्यूमेंट्री में देखिये बांसवाड़ा शहर के प्रमुख आकर्षण, अआप भी बना लेंगे घूमने का मन 

राजस्थान को जब भी पर्यटन की दृष्टि से देखा जाता है, तो जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर या जोधपुर जैसे शहरों का नाम सबसे पहले दिमाग में आता है। लेकिन इसी राज्य का एक बेहद सुंदर, शांत और प्रकृति की गोद में बसा जिला है — बांसवाड़ा, जिसे "छोटा कश्मीर" भी कहा जाता है। यह इलाका न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि आदिवासी संस्कृति, झीलों और मंदिरों के चलते अब पर्यटकों के लिए नया आकर्षण बनता जा रहा है।

झीलों का शहर: बांसवाड़ा

बांसवाड़ा को "झीलों का शहर" भी कहा जाता है क्योंकि यहां 30 से अधिक छोटी-बड़ी झीलें हैं। माही नदी पर बना माही बांध न केवल क्षेत्र को सिंचाई में सहायता प्रदान करता है, बल्कि उसका दृश्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इसके आसपास हरियाली और शांत वातावरण एक पिकनिक या शांत अवकाश के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

माही डैम और कागदी पिकनिक स्पॉट

बांसवाड़ा का माही डैम एक प्रमुख आकर्षण है। यहाँ बना कागदी पिकनिक स्थल (Kagdi Pick Up Weir) खासतौर पर मानसून के समय पर्यटकों की भीड़ से गुलजार रहता है। यहां झरने, हरे-भरे मैदान और शुद्ध हवा मिलती है, जो शहर की भीड़भाड़ से दूर आने वाले लोगों के लिए सुकूनदायक होती है।

तलवाड़ा और त्रिपुरा सुंदरी मंदिर

बांसवाड़ा जिले में स्थित तलवाड़ा ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यहाँ का त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, जिसे “टारता माता मंदिर” भी कहा जाता है, शक्ति की उपासना का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर की भव्यता, स्थापत्य और धार्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। नवरात्रि के समय यहां विशेष उत्सव मनाया जाता है और दूर-दराज से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

आदिवासी संस्कृति और परंपरा की झलक

बांसवाड़ा में बड़ी संख्या में भील जनजाति निवास करती है। यहां की जीवनशैली, लोकनृत्य, परंपरागत वेशभूषा और आदिवासी मेले पर्यटकों को एक अलग अनुभव प्रदान करते हैं। खासकर गवरी नृत्य और भगोरिया हाट जैसी परंपराएं बाहरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बनती जा रही हैं। यदि कोई सच्चे ग्रामीण और आदिवासी भारत को समझना चाहता है, तो बांसवाड़ा उसके लिए एक आदर्श गंतव्य है।

आवागमन और ठहरने की सुविधा

बांसवाड़ा सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और उदयपुर से इसकी दूरी लगभग 165 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा उदयपुर में स्थित है, जिससे यहां पहुंचना काफी आसान हो जाता है। बांसवाड़ा में अब कई अच्छे होटल, गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट्स भी विकसित हो चुके हैं, जो पर्यटकों को हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराते हैं।

सरकारी प्रयास और इको-टूरिज्म की संभावना

राजस्थान सरकार और पर्यटन विभाग अब बांसवाड़ा को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यहां के वन क्षेत्र, पक्षी विहार, और झरनों को ध्यान में रखते हुए सस्टेनेबल टूरिज्म की योजनाएं बनाई जा रही हैं। इससे ना सिर्फ स्थानीय रोजगार बढ़ेगा, बल्कि पर्यटक भी प्रकृति के करीब रहकर एक शांत और समृद्ध अनुभव प्राप्त कर सकेंगे।

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