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माही डैम से त्रिपुरा सुंदरी मंदिर तक वीडियो में जानिए बांसवाड़ा में क्या-क्या है खास और क्यों है ये एक अनदेखा स्वर्ग ?

माही डैम से त्रिपुरा सुंदरी मंदिर तक वीडियो में जानिए बांसवाड़ा में क्या-क्या है खास और क्यों है ये एक अनदेखा स्वर्ग ?

राजस्थान की छवि जैसे ही हमारे मन में आती है, तो जेहन में रेगिस्तान, ऊँट, जयपुर का हवा महल या जोधपुर का मेहरानगढ़ किला घूम जाता है। परंतु इसी रंगीले राजस्थान में एक जिला ऐसा भी है जिसे "राजस्थान का अनदेखा स्वर्ग" कहा जाता है — और वो है बांसवाड़ा।राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित बांसवाड़ा, अपनी हरियाली, झीलों, आदिवासी संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। अक्सर पर्यटन के मुख्य नक्शे में इसकी चर्चा कम होती है, लेकिन जो एक बार यहां आता है, वह इसकी खूबसूरती का कायल हो जाता है।


बांसवाड़ा: हरियाली का घर
बांसवाड़ा को "सिटी ऑफ हंड्रेड आइलैंड्स" भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की माही नदी में कई छोटे-छोटे टापू (आइलैंड) हैं, जो इसे एक अद्भुत रूप देते हैं। राजस्थान जैसे शुष्क राज्य में जहां अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी हैं, वहाँ बांसवाड़ा अपनी हरियाली और जल संपन्नता के लिए एक चमत्कार की तरह है।यहाँ का वातावरण साल भर अपेक्षाकृत ठंडा और सुखद रहता है। खासकर मानसून के मौसम में जब झरने बहने लगते हैं और पहाड़ हरे हो जाते हैं, तब यह क्षेत्र एक असली ‘स्वर्ग’ जैसा प्रतीत होता है।

 प्रमुख पर्यटन स्थल
1. माही डैम:

माही नदी पर बना यह विशाल बांध न सिर्फ बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सुंदर पर्यटन स्थल भी है। यहां सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य देखने लायक होते हैं।

2. कागदी पिकअप वियर:
यहाँ पर लोग पिकनिक मनाने, फोटोशूट करने और जलधारा का आनंद लेने आते हैं। बरसात में यह जगह बेहद आकर्षक हो जाती है।

3. त्रिपुरा सुंदरी मंदिर:
यह शक्ति की उपासना का प्रमुख केंद्र है और स्थानीय आदिवासियों की गहरी आस्था इस मंदिर से जुड़ी है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां से घाटी का दृश्य मन मोह लेता है।

4. आनंद सागर झील:
राजा जगमल सिंह द्वारा बनवाई गई यह कृत्रिम झील शहर के बीचों-बीच है और यहां शाम को लोग परिवार के साथ समय बिताने आते हैं।

5. सिंगपुर और घाटोल के झरने:
मानसून के दौरान जब ये झरने बहते हैं, तो आसपास का दृश्य किसी हिल स्टेशन जैसा लगने लगता है।

समृद्ध आदिवासी संस्कृति
बांसवाड़ा की लगभग 75% जनसंख्या आदिवासी समुदायों की है, जिनमें प्रमुख हैं भील, मीणा और गरासिया। ये समुदाय अपनी परंपराओं, लोक गीतों, नृत्य और पोशाकों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ के गवरी, गरबा और डूंगर नृत्य जैसे लोक नृत्य किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम की शान होते हैं।यहाँ के आदिवासी मेलों में पारंपरिक बाजे, रंग-बिरंगे कपड़े, और हर्षोल्लास से भरे आयोजन दिखते हैं जो राजस्थान की जनजातीय विरासत को जीवंत रखते हैं।

कैसे पहुंचें बांसवाड़ा?
बांसवाड़ा, राजस्थान के दक्षिणी छोर पर स्थित है और इसकी सीमाएँ मध्य प्रदेश और गुजरात से मिलती हैं।
रेलवे स्टेशन: निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन रतलाम (म.प्र.) है, जो लगभग 80 किमी दूर है।
एयरपोर्ट: निकटतम एयरपोर्ट उदयपुर (160 किमी) है।
सड़क मार्ग: जयपुर, उदयपुर और अहमदाबाद से सीधी बसें और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।

खान-पान और लोक स्वाद
बांसवाड़ा के खानपान में राजस्थान और गुजरात दोनों की झलक मिलती है। यहाँ का मक्का रोटला, रबड़ी, बेसन गट्टा, और महुआ की शराब स्थानीय लोगों की खास पसंद है।इसके अलावा आदिवासी व्यंजन जैसे बांबू शूट की सब्ज़ी और वन्य कंद मूल भी देखने को मिलते हैं जो स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।

क्यों एक बार जरूर जाना चाहिए बांसवाड़ा?
प्राकृतिक शांति: हरे-भरे पहाड़, शांत झीलें और बहते झरने – यह सब आपको शांति का अनुभव कराते हैं।
कम भीड़भाड़: अन्य प्रसिद्ध हिल स्टेशनों की तरह यहाँ भीड़ नहीं होती, जिससे आप प्राकृतिक सौंदर्य को निजी रूप से अनुभव कर सकते हैं।
सांस्कृतिक समृद्धि: अगर आप असली भारत देखना चाहते हैं, तो यहाँ की आदिवासी संस्कृति एक जीवंत उदाहरण है।
फोटोग्राफी और ट्रेकिंग: बांसवाड़ा फोटोग्राफर्स और ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए एक छुपा खजाना है।

बांसवाड़ा वास्तव में राजस्थान का एक "अनदेखा स्वर्ग" है — न सिर्फ इसके प्राकृतिक सौंदर्य के कारण, बल्कि इसकी लोक-संस्कृति, सरलता और शांति के लिए भी। यह स्थान हर उस व्यक्ति के लिए एक तोहफा है जो भीड़ से दूर, प्रकृति के करीब और संस्कृति से जुड़ना चाहता है।अगर आपने अभी तक बांसवाड़ा नहीं देखा है, तो अगली छुट्टियों में इसे अपनी यात्रा सूची में जरूर जोड़ें – क्योंकि राजस्थान का यह हरा-भरा कोना आपको ज़िंदगी की एक नई ताजगी का अनुभव कराएगा।

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