Samachar Nama
×

क्या सच में आज भी चित्तौड़ के विजय स्तम्भ में भटकती है राणा कुंभा की आत्मा? इस वीडियो में देखें क्या है सच्चाई

safds

चित्तौड़गढ़ का किला भारत की सबसे ऐतिहासिक और वीरता से भरी धरती पर बसा हुआ है। इस किले का सबसे प्रसिद्ध स्मारक है — विजय स्तम्भ, जिसे 1448 में राणा कुंभा ने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय के बाद बनवाया था। यह स्तम्भ एक अद्भुत स्थापत्य चमत्कार है, लेकिन इसके साथ-साथ जुड़ी हुई हैं कई रहस्यमयी और डरावनी कहानियाँ। उन्हीं में से एक है — क्या आज भी राणा कुंभा की आत्मा इस स्तम्भ में भटकती है?

कौन थे राणा कुंभा?

राणा कुंभा मेवाड़ के सबसे महान और पराक्रमी शासकों में से एक थे। उन्होंने चित्तौड़ की रक्षा करते हुए कई युद्ध लड़े और अपने शासनकाल में कई भव्य इमारतें बनवाईं, जिनमें विजय स्तम्भ सबसे प्रमुख है। कहा जाता है कि उन्होंने इस स्तम्भ को सिर्फ विजय की याद में नहीं, बल्कि अपनी आध्यात्मिक आस्था और तांत्रिक साधना के प्रतीक के रूप में भी बनवाया था।

रहस्यमयी घटनाएं विजय स्तम्भ में

स्थानीय लोगों और पर्यटकों के अनुसार, विजय स्तम्भ के अंदर और आस-पास रात के समय अजीब सी घटनाएं होती हैं। कई लोगों ने रात को हल्की सी पदचाप, घुंघरुओं की आवाज़, या दूर से आती किसी योद्धा की सी गूंजती हुई आवाजें महसूस की हैं। कुछ लोगों का दावा है कि जब वे अकेले विजय स्तम्भ के अंदर चढ़े, तो उन्हें ऐसा लगा जैसे कोई उनके पीछे चल रहा हो — लेकिन पीछे कोई नहीं था।

क्या ये राणा कुंभा की आत्मा है?

कुछ लोककथाओं के अनुसार, राणा कुंभा की आत्मा आज भी विजय स्तम्भ की परिक्रमा करती है। कहा जाता है कि उन्हें अपने अंतिम वर्षों में विश्वासघात और राजनीतिक षड्यंत्रों का सामना करना पड़ा, और वे अपने ही परिवार के द्वारा मारे गए। यही कारण है कि उनकी आत्मा अब भी चित्तौड़ की रक्षा कर रही है — विशेष रूप से उस स्तम्भ की, जो उन्होंने अपने हाथों से बनवाया था।

वीडियो में क्या है?

हमारे इस वीडियो में हमने दिखाया है:

  • रात के समय विजय स्तम्भ के अंदर रिकॉर्ड किए गए रहस्यमयी साउंड क्लिप्स,

  • कुछ पर्यटकों के बयान जिन्होंने अंदर अजीब ऊर्जा महसूस की,

  • और इतिहासकारों व स्थानीय पुजारियों की राय कि क्या यह सब मनोवैज्ञानिक भ्रम है या आत्मिक सत्य

विज्ञान क्या कहता है?

विशेषज्ञों का कहना है कि पत्थर की पुरानी इमारतों में आवाजों का गूंजना सामान्य बात है। बंद जगह, ठंडी हवा और मन की कल्पना कई बार डरावने अनुभव का कारण बनती है। लेकिन विज्ञान यह नहीं समझा सकता कि हर बार एक ही जगह और एक ही अनुभव क्यों दोहराया जाता है?

निष्कर्ष

राणा कुंभा की आत्मा विजय स्तम्भ में है या नहीं — यह कह पाना कठिन है। लेकिन एक बात निश्चित है: यह स्मारक सिर्फ पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि इतिहास, वीरता और शायद आत्मा की उपस्थिति से जुड़ा एक रहस्यपूर्ण स्थल है।

Share this story

Tags