क्या आप भी कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में जानते हैं, यहाँ पहिये बताते हैं समय

ट्रेवल न्यूज़ डेस्क, कोणार्क ओडिशा का एक छोटा सा शहर है। यह शहर अपने सूर्य मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह विश्व धरोहर स्थल है। कोणार्क शब्द - कोण और अर्क से बना है, जिसका अर्थ है - सूर्य का किनारा। इस मंदिर में विदेशों से भी पर्यटक आते हैं।कोणार्क सूर्य मंदिर एक रथ के आकार में 12 जोड़ी पहियों के साथ बनाया गया है, जो वर्ष के 12 महीनों का प्रतीक है। और सात घोड़े इस रथ को खींच रहे हैं। ये सात घोड़े सात दिनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, इनमें से 4 पहियों को इस तरह से बनाया गया है कि ये आपको दिन में समय बता सकें।
कोणार्क सूर्य मंदिर पुरी, ओडिशा में है। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1250 ई. में गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने करवाया था, अर्थात कोणार्क का सूर्य मंदिर 772 वर्ष पुराना है।ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में 1200 कुशल कारीगरों ने 12 साल तक काम किया लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। यह भी बताया जाता है कि प्रमुख शिल्पकार दिसमुहरणा के पुत्र धर्मपद ने निर्माण पूरा किया और मंदिर निर्माण के बाद चंद्रभागा नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली।यह मंदिर जगन्नाथ पुरी से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को वर्ष 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इतिहासकारों का कहना है कि इस मंदिर को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थरों को भारत के बाहर से लाया गया था।