विजय स्तम्भ के अलावा ये 7 ऐतिहासिक स्थल है चित्तौड़गढ़ का प्रमुख आकर्षण, वीडियो में देखे यहां घूमने की फुल ट्रेवल गाइड

राजस्थान की वीरभूमि मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ न सिर्फ इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज एक अद्वितीय नगर है, बल्कि यह आज भी अपने गौरवशाली अतीत, युद्धों के किस्सों और बलिदानों के प्रतीकों के साथ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जब भी कोई चित्तौड़गढ़ की बात करता है, सबसे पहले विजय स्तम्भ की भव्यता सामने आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चित्तौड़गढ़ सिर्फ विजय स्तम्भ तक ही सीमित नहीं है? यहां कई ऐसे ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल हैं, जिन्हें एक बार जरूर देखना चाहिए।
विजय स्तम्भ: गौरव और वीरता का प्रतीक
चित्तौड़गढ़ के किले के अंदर स्थित विजय स्तम्भ को महाराणा कुम्भा ने 1448 ई. में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में बनवाया था। यह स्तम्भ 9 मंजिलों का है और इसकी वास्तुकला में हिंदू देवी-देवताओं, पौराणिक दृश्यों और समकालीन इतिहास की झलक मिलती है। लेकिन विजय स्तम्भ देखने के बाद चित्तौड़ का भ्रमण यहीं समाप्त नहीं होता।
1. चित्तौड़गढ़ किला – राजस्थान की आन-बान-शान
भारत के सबसे बड़े किलों में गिना जाने वाला चित्तौड़गढ़ किला 700 एकड़ में फैला हुआ है और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। यह किला ना केवल वास्तुकला की दृष्टि से अनुपम है, बल्कि रानी पद्मिनी, महाराणा प्रताप और रानी कर्णावती जैसी ऐतिहासिक हस्तियों की गाथाओं का साक्षी भी है। किले के अंदर कई महल, मंदिर, झीलें और स्तम्भ स्थित हैं जो इसकी भव्यता को दर्शाते हैं।
2. रानी पद्मिनी महल – प्रेम, सौंदर्य और बलिदान की कहानी
चित्तौड़गढ़ के इस महल को रानी पद्मिनी के नाम से जाना जाता है, जिनकी सुंदरता के चर्चे दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी तक पहुंचे थे। यह वही स्थान है जहां से अलाउद्दीन ने शीशे में रानी का प्रतिबिंब देखा था। इस महल के चारों ओर पानी की खाई और उसके बीच में स्थित यह महल राजस्थानी जल महलों की अनोखी मिसाल है।
3. कीर्ति स्तम्भ – जैन धर्म की गौरवगाथा
विजय स्तम्भ की तरह ही चित्तौड़गढ़ में स्थित कीर्ति स्तम्भ भी एक प्रमुख आकर्षण है, जिसे 12वीं सदी में जैन व्यापारी जीजा भट्ट ने बनवाया था। यह स्तम्भ जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। इस पर बारीकी से की गई नक्काशी और जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ इसकी विशेषता हैं।
4. मीराबाई मंदिर – भक्ति और त्याग की प्रतीक
मीराबाई, जो भगवान कृष्ण की परम भक्त थीं, का जीवन चित्तौड़ से जुड़ा रहा है। किले परिसर में स्थित यह मंदिर मीरा की भक्ति भावना और उनकी कृष्ण भक्ति की स्मृति को जीवंत करता है। यहां भक्तजन दूर-दूर से आते हैं और कीर्तन में लीन होते हैं।
5. फतेह प्रकाश महल – राजसी जीवन की झलक
महाराणा फतेह सिंह द्वारा बनवाया गया यह महल वर्तमान में एक संग्रहालय के रूप में उपयोग में लिया जाता है। यहां मेवाड़ के शाही जीवन, अस्त्र-शस्त्र, मूर्तियां, पेंटिंग्स और दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं जो इतिहास प्रेमियों को चित्तौड़ के समृद्ध अतीत से जोड़ती हैं।
6. गोमुख कुंड – तप और साधना का स्थल
किले के अंदर एक प्राकृतिक जल स्रोत गोमुख कुंड है, जिसे एक गाय के मुख से जल निकलने के कारण यह नाम मिला। यह कुंड धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां आने वाले श्रद्धालु स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।
7. सात बहनियों का मंदिर – लोक आस्था का केन्द्र
यह मंदिर स्थानीय आस्था से जुड़ा हुआ है और कहा जाता है कि यह सात कन्याओं को समर्पित है जिन्हें देवी स्वरूप माना जाता है। यह स्थल खासतौर पर महिलाओं और परिवारों के बीच लोकप्रिय है।