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आखिर कब और क्यों बनाया गया रामनिवास बाग में स्थित अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, 2 मिनत के शानदार वीडियो में देखे 135 साल पुराना इतिहास 

आखिर कब और क्यों बनाया गया रामनिवास बाग में स्थित अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, 2 मिनत के शानदार वीडियो में देखे 135 साल पुराना इतिहास 

जयपुर, जिसे 'पिंक सिटी' कहा जाता है, ना केवल अपने किलों और महलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि कला, संस्कृति और इतिहास के जीवंत उदाहरणों के लिए भी जाना जाता है। ऐसे ही एक शानदार धरोहर स्थल का नाम है – अल्बर्ट हॉल म्यूजियम। यह राजस्थान का सबसे पुराना और समृद्ध म्यूजियम है, जो जयपुर के राम निवास गार्डन परिसर में स्थित है। इसकी भव्य वास्तुकला, समृद्ध ऐतिहासिक संग्रह और कलात्मक प्रस्तुतियाँ हर साल लाखों सैलानियों और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।


अल्बर्ट हॉल का इतिहास

अल्बर्ट हॉल का निर्माण 19वीं सदी में हुआ था। इसका शिलान्यास 1876 में उस समय के वेल्स के राजकुमार प्रिंस अल्बर्ट एडवर्ड (जो आगे चलकर किंग एडवर्ड सप्तम बने) की जयपुर यात्रा के दौरान किया गया था। इस भवन का निर्माण कार्य 1880 में शुरू हुआ और इसे 1887 में जनता के लिए खोला गया।मूल रूप से इसे एक टाउन हॉल के रूप में बनवाया गया था, लेकिन जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय की इच्छा थी कि इसे एक संग्रहालय के रूप में उपयोग किया जाए, ताकि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और कला को संरक्षित किया जा सके। बाद में, इसे म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया और सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने इसके वास्तुकार की भूमिका निभाई।

अद्भुत वास्तुकला और शैली
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम की वास्तुकला इंडो-सरसेनिक शैली (Indo-Saracenic Architecture) में की गई है, जो भारतीय, मुगल और गोथिक यूरोपीय स्थापत्य का सुंदर मिश्रण है। इसकी बाहरी संरचना बलुआ पत्थरों से बनी हुई है, जिसमें जटिल नक्काशी, मेहराबें, गुंबद, और झरोखे इस इमारत को और भी भव्य बनाते हैं।

इस भवन के चारों ओर खूबसूरत बाग, झील और छायादार वृक्ष इसकी सुंदरता को और भी निखारते हैं। भवन के अंदर की गैलरियों में रोशनी और जगह की कलात्मक व्यवस्था पर्यटकों को अनूठा अनुभव देती है।

कलाशैली और संग्रह
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम में 16 गैलरियाँ हैं, जिनमें विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वस्तुएँ संग्रहीत हैं। ये गैलरियाँ निम्नलिखित प्रकार की हैं:
मूर्तिकला गैलरी: यहाँ भारत के विभिन्न क्षेत्रों से लायी गई प्राचीन मूर्तियाँ हैं, जिनमें मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की कलाकृतियाँ शामिल हैं।
मिनीएचर पेंटिंग्स: राजस्थानी, मुग़ल और पर्शियन शैली की लघु चित्रकला यहाँ दर्शकों को बहुत प्रभावित करती हैं।
हथियार और शस्त्रागार गैलरी: तलवारें, भाले, कवच और पुराने युद्धक औजार यहां देखे जा सकते हैं।
मिस्र की ममी: इस संग्रहालय की खास बात यह है कि यहाँ एक असली मिस्र की ममी भी रखी गई है, जिसे 2300 साल पुराना माना जाता है।
कपड़े और वस्त्र: राजस्थानी लोक परंपराओं में उपयोग होने वाले कपड़े, कशीदाकारी वस्त्र और रजवाड़ी पोशाकें भी यहाँ प्रदर्शित हैं।
संगीत वाद्य यंत्र, लकड़ी की कलाकृतियाँ, हाथ से बने कालीन और मिट्टी के प्राचीन बर्तन – ये सब दर्शकों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखाते हैं।

एंट्री फीस और समय
पर्यटकों के लिए यह म्यूजियम सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है (राष्ट्रीय छुट्टियों को छोड़कर)।

प्रवेश शुल्क (Entry Fee):
भारतीय पर्यटक: ₹50 प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटक: ₹300 प्रति व्यक्ति
विद्यार्थियों के लिए विशेष छूट (ID कार्ड आवश्यक)

रात्रि दर्शन (Night Viewing):
रात को म्यूजियम को सुंदर लाइटिंग से सजाया जाता है और विशेष समय पर रात्रि भ्रमण की सुविधा दी जाती है – जिसकी अलग से फीस होती है।

समय:
सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
रात्रि दर्शन: 7:00 बजे से 10:00 बजे तक (विशेष आयोजन पर)

कैसे पहुंचें?
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, जयपुर के रामनिवास गार्डन के पास स्थित है और शहर के किसी भी कोने से टैक्सी, ऑटो या लोकल बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है। जयपुर रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड से इसकी दूरी करीब 4-5 किलोमीटर है।

विशेष आकर्षण और सुझाव
संग्रहालय में फोटोग्राफी की अनुमति है (कुछ गैलरियों में नहीं)
ऑडियो गाइड या ट्रेंडेड गाइड की सुविधा भी उपलब्ध है
बच्चों और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह एक शानदार शैक्षिक भ्रमण स्थल है
म्यूजियम के बाहर रंग-बिरंगे कबूतरों का झुंड और रामनिवास बाग की हरियाली फोटोग्राफी के लिए बेहतरीन है

अल्बर्ट हॉल म्यूजियम केवल एक इमारत नहीं, बल्कि यह राजस्थान की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और कला का अद्वितीय संगम है। यह संग्रहालय न सिर्फ भारत के गौरवशाली अतीत की झलक दिखाता है, बल्कि यह वर्तमान पीढ़ी को उसकी जड़ों से जोड़ने का भी कार्य करता है। जयपुर यात्रा के दौरान अल्बर्ट हॉल म्यूजियम को जरूर देखें – यह एक ऐसा अनुभव है जो ज्ञान, सौंदर्य और गौरव से भरपूर है।

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