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कुंभलगढ़ किले के साथ जरूर करे घने जंगलों और दुर्लभ जीवों से भरे कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सैर, वीडियो में खूबसूरती देख हो जाएंगे दीवाने 

कुंभलगढ़ किले के साथ जरूर करे घने जंगलों और दुर्लभ जीवों से भरे कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सैर, वीडियो में खूबसूरती देख हो जाएंगे दीवाने 

राजस्थान को अगर किलों और महलों की धरती कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, लेकिन जब बात कुम्भलगढ़ किले की होती है, तो इसके साथ जुड़ी प्राकृतिक धरोहर कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का नाम लेना भी उतना ही जरूरी हो जाता है। यह अभयारण्य ना सिर्फ जैव विविधता का अद्भुत केंद्र है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों, रोमांच के शौकीनों और पर्यावरण से जुड़ने की चाह रखने वालों के लिए एक स्वर्ग से कम नहीं है।

कुंभलगढ़ का गौरवशाली इतिहास और उसका प्राकृतिक पड़ोसी
राजसमंद जिले में स्थित, कुंभलगढ़ किला एक ऐतिहासिक धरोहर है जिसे महाराणा कुम्भा ने 15वीं शताब्दी में बनवाया था। इसकी दीवारें इतनी विशाल हैं कि यह चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार कहलाती है। यह किला न केवल अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो इसे एक रणनीतिक और प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।इन्हीं घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच फैला है कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, जो राजस्थान के सबसे खूबसूरत और जैविक रूप से समृद्ध जंगलों में से एक माना जाता है। यह अभयारण्य लगभग 610 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और यह अरावली रेंज का ही हिस्सा है।

अभयारण्य में फैली जैव विविधता और रोमांच
कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के उन कुछ गिने-चुने स्थलों में से एक है जहां प्रकृति ने अपनी विविधता की झलक खुले दिल से दिखाई है। यहाँ आपको भेड़िए, चितल, नीलगाय, सांभर, भालू, लकड़बग्घा, और कभी-कभी तेंदुआ भी देखने को मिल सकता है। यह अभयारण्य भारतीय भेड़िए के संरक्षण के लिए भी प्रसिद्ध है, जो अब धीरे-धीरे दुर्लभ होते जा रहे हैं।इसके अलावा यहां 120 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रवासी पक्षी भी हैं जो सर्दियों में यहां आकर इस क्षेत्र को और भी जीवंत बना देते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए यह एक परफेक्ट स्पॉट है जहाँ वे बाइनोक्यूलर के माध्यम से इन उड़ते जीवों की जीवनशैली का आनंद ले सकते हैं।

जंगल सफारी और ट्रेकिंग: रोमांच से भरपूर अनुभव
कुंभलगढ़ अभयारण्य में पर्यटकों के लिए जंगल सफारी की व्यवस्था है, जो सुबह और शाम दोनों समय उपलब्ध रहती है। जीप सफारी के माध्यम से आप जंगल की गहराई में जा सकते हैं और वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं।साथ ही, ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए भी यह जगह किसी खजाने से कम नहीं है। ट्रेकिंग ट्रेल्स आपको पहाड़ियों, जंगलों और झीलों के माध्यम से एक अद्भुत यात्रा पर ले जाती हैं, जहाँ हर मोड़ पर प्रकृति की एक नई कहानी मिलती है। ठांठी घाटी से कुम्भलगढ़ फोर्ट तक की ट्रेकिंग बहुत लोकप्रिय है और यह ट्रेल आपको इतिहास और प्रकृति दोनों का अनुभव करवाती है।

कुंभलगढ़ फेस्टिवल और सांस्कृतिक अनुभव
हर साल राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित कुंभलगढ़ फेस्टिवल इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और लोक कलाओं की सुंदर झलक पेश करता है। इस दौरान आप लोक नृत्य, पारंपरिक संगीत, हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। जब ऐतिहासिक किले की दीवारों के बीच रंग-बिरंगे कपड़ों में लोक कलाकार नृत्य करते हैं, तब ये अनुभव जिंदगी भर के लिए यादगार बन जाते हैं।

कैसे पहुंचें और कब जाएं?
कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य और किला उदयपुर से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उदयपुर हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा आसानी से कुम्भलगढ़ पहुंचा जा सकता है।यहां आने का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च तक होता है, जब मौसम ठंडा और सुहावना होता है। गर्मियों में यहां का तापमान बढ़ जाता है जिससे ट्रेकिंग और सफारी का अनुभव थोड़ा कठिन हो सकता है।

ठहरने की व्यवस्था
कुंभलगढ़ क्षेत्र में कई अच्छे होटल, रिसॉर्ट्स और होमस्टे मौजूद हैं जो सभी बजट की यात्राओं को ध्यान में रखते हुए बने हैं। कुछ रिसॉर्ट्स तो जंगल के बिल्कुल करीब होते हैं, जिससे आप सुबह उठते ही पक्षियों की चहचहाहट और हवा में ताजगी का अनुभव कर सकते हैं।

कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि यह एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र, इतिहास और प्रकृति का संगम, और आध्यात्मिकता से जुड़ने का अवसर है। यदि आप कुम्भलगढ़ किला देखने जा रहे हैं, तो वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा जरूर करें। यह न केवल आपकी यात्रा को पूरा करेगा, बल्कि आपको वह अनुभव देगा जो शब्दों में बांध पाना कठिन है।

राजस्थान की शुष्क धरती में बसी यह हरियाली और जीवन से भरपूर जगह बताती है कि प्रकृति और संस्कृति जब एक साथ मिलती हैं, तो एक अद्वितीय सौंदर्य का जन्म होता है – और यही है कुंभलगढ़।

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