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जयपुर के बीचोबीच बसी ऐसी अनोखी बस्ती जहां इंसानों के साथ रहते हैं 40 तेंदुए, वीडियो में देखे सबको चौकाने वाली रोमियो-जूलियट की कहानी

जयपुर के बीचोबीच बसी ऐसी अनोखी बस्ती जहां इंसानों के साथ रहते हैं 40 तेंदुए, वीडियो में देखे सबको चौकाने वाली रोमियो-जूलियट की कहानी

शहरी इलाकों में बसी कॉलोनियों के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे। यहां चौड़ी और साफ-सुथरी सड़कें होती हैं, सड़क के दोनों तरफ पेड़ लगे होते हैं। ज्यादातर घरों के बाहर लग्जरी कारें नजर आती हैं और कुछ घरों के गेट पर दुकानें भी नजर आती हैं। कुछ कॉलोनियां ऐसी होती हैं जहां ऊंची-ऊंची इमारतें और खूब सारी गाड़ियां होती हैं, लेकिन राजधानी जयपुर की एक कॉलोनी के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जयपुर शहर के बीचों-बीच बसी इस कॉलोनी में कोई इंसान नहीं रहता। कॉलोनी के आसपास बसी सैकड़ों कॉलोनियों में लाखों की आबादी रहती है। आइए, आज इस अद्भुत कॉलोनी के बारे में जानते हैं।

20 वर्ग किलोमीटर में 40 तेंदुए होना हैरानी की बात

चारों तरफ लाखों लोगों की आबादी वाले इलाके के बीचों-बीच बसी एक कॉलोनी है, जिसका नाम है झालाना लेपर्ड सफारी। करीब 20 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगल को कॉलोनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि हर कॉलोनी में अलग-अलग लोगों के अलग-अलग घर होते हैं। इसी तरह झालाना लेपर्ड सफारी में भी अलग-अलग तेंदुओं के लिए अलग-अलग जगह तय की गई है। फिलहाल यहां 40 तेंदुए हैं। झालाना के जंगल में इन सभी तेंदुओं के लिए अलग-अलग जगह तय है। कोई भी तेंदुआ दूसरे इलाके में नहीं जाता। वे दूसरे इलाके से किसी को अपने इलाके में नहीं आने देते। हालांकि, झालाना का जंगल अब 40 तेंदुओं के लिए छोटा पड़ रहा है। ऐसे में कुछ तेंदुए आमागढ़ के जंगल की ओर जाने लगे हैं।

झालाना के तेंदुओं के नाम भी खास
झालाना के जंगल में कंक्रीट मुक्त इस कॉलोनी में रहने वाले तेंदुओं के नाम भी खास हैं। हर तेंदुए के नाम के पीछे एक बड़ी वजह है। जैसे, एक तेंदुए का नाम आरती है। उस मादा तेंदुए का नाम आरती इसलिए रखा गया क्योंकि उसके इलाके में एक मंदिर है जहां रोजाना आरती होती है। यह मादा तेंदुआ अपने इलाके में घूमती नजर आए या न आए, लेकिन शाम को जब आरती होती है तो वह मंदिर के आसपास नजर आती है। इसीलिए उसका नाम आरती रखा गया है।

यूरोप और अफ्रीका के जंगलों में भी नहीं है ऐसी कॉलोनी जयपुर निवासी वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट का कहना है कि वे दुनिया के कई देशों के जंगलों में घूम चुके हैं, लेकिन झालाना लेपर्ड सफारी जैसा जंगल उन्होंने कभी नहीं देखा। चौहान ने वन्यजीवों पर झालाना-द लैंड ऑफ लेपर्ड नाम से किताब भी लिखी है। वे अफ्रीका, यूरोप, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में कई बार घूम चुके हैं। जयपुर के झालाना में जैसी कॉलोनी और घना जंगल है, वैसा कहीं नहीं है। शहर के बीचों-बीच तेंदुओं की इतनी बड़ी आबादी जयपुर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। हैरानी की बात यह है कि महज 20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 40 तेंदुए हैं और वे अपने ही इलाके में रहते हैं। राजसी चेहरे वाला राणा, बड़े पंजों वाला बिगफुट झालाना के नर तेंदुए का नाम राणा है। इसका चेहरा राजसी है और यह अन्य तेंदुओं से ज्यादा आक्रामक है। यह वन्यजीव प्रेमियों और फोटोग्राफरों का पसंदीदा तेंदुआ है। इसका नाम राणा है क्योंकि इसका चेहरा बहुत ही शानदार है। इसी तरह तेंदुए का पंजा दूसरे तेंदुओं से काफी बड़ा होता है। वन्यजीव प्रेमी और वनकर्मी पैरों के निशान देखकर ही समझ जाते हैं कि ये किस तेंदुए के पदचिह्न हैं। इस तेंदुए का नाम बिगफुट इसलिए रखा गया क्योंकि इसके पंजे बड़े हैं।

मिसेज खान, फ्लोरा मछली और नाथवाली तेंदुआ का नाम ऐसे पड़ा

झालाना के जंगल में एक पहाड़ी इलाका है जहां पहले खनन होता था। अब यहां खनन प्रतिबंधित है। इस इलाके पर राज करने वाली मादा तेंदुआ का नाम मिसेज खान है। रणथंभौर के बाघों में सबसे बड़ी बाघिन का नाम मछली था जिसने वहां कई बाघों को जन्म दिया था। इसी तरह झालाना के जंगलों में एक मादा तेंदुआ है जो सबसे बूढ़ी है और यहां चार पीढ़ियों को जन्म दे चुकी है। इसी वजह से इस मादा तेंदुआ का नाम फ्लोरा मछली रखा गया। तेंदुए की नाक पर नथनी जैसा निशान होता है। ऐसा लगता है जैसे उसने किसी महिला का आभूषण नाथ पहना हुआ है। इसलिए उस तेंदुए का नाम नाथवाली रखा गया।

तेंदुओं के जोड़े का नाम है रोमियो जूलियट, एक तेंदुआ ऐसे बना बहादुर

झालाना के जंगलों में नर और मादा तेंदुओं का जोड़ा हमेशा साथ रहता है। इसलिए इस जोड़े के तेंदुओं का नाम रोमियो जूलियट रखा गया है। आमतौर पर ये साथ ही रहते हैं। वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह जोड़ा आकर्षण का खास केंद्र बना हुआ है। तेंदुआ अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता है। यह झालाना में पर्यटन के लिए घूमने वाले वाहनों से बिल्कुल भी नहीं डरता, बल्कि कई बार बीच सड़क पर आकर बैठ जाता है। बड़े जानवरों का शिकार यह आसानी से कर लेता है। इसी बहादुरी के कारण इस तेंदुए का नाम बहादुर रखा गया है। यहां रहने वाले सभी तेंदुओं के नाम के पीछे कोई खास वजह जरूर है।

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