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पानी में डूबी है जल महल की 5 में से 4 मंजिलें फिर भी कैसे सदियों से अडिग खड़ा है ये खूबसूरत महल, वीडियो में देखे इसके अनसुने पहलू 

पानी में डूबी है जल महल की 5 में से 4 मंजिलें फिर भी कैसे सदियों से अडिग खड़ा है ये खूबसूरत महल, वीडियो में देखे इसके अनसुने पहलू 

राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जल महल ना सिर्फ स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है, बल्कि यह ऐतिहासिक और रहस्यमयी तथ्यों से भी भरपूर है। मानसागर झील के बीचोंबीच स्थित यह महल दूर से देखने में मानो पानी पर तैरता हुआ प्रतीत होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह महल सिर्फ ऊपर से एक मंजिला नजर आता है, जबकि इसकी कुल पांच मंजिलें हैं? जी हां, जल महल की चार मंजिलें पानी के नीचे छिपी हुई हैं और ये बात आज भी लाखों लोगों को हैरान कर देती है।


जल महल: इतिहास और निर्माण की कहानी
जल महल का निर्माण 18वीं सदी में राजा माधो सिंह प्रथम द्वारा करवाया गया था। इस महल का उद्देश्य मुख्य रूप से गर्मियों की छुट्टियां बिताने, शिकार विश्राम स्थल और राजसी जलविहार के लिए किया गया था। यह महल आमेर महल और जयपुर शहर के बीच स्थित मानसागर झील के मध्य में बना हुआ है। झील को कृत्रिम रूप से उस समय के राजाओं ने बनवाया था ताकि आसपास के सूखे इलाकों में जल की उपलब्धता बनी रहे।माना जाता है कि जल महल के निर्माण में राजस्थानी और मुग़ल स्थापत्य शैली का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। इसकी छत पर सुंदर छतरियां, राजस्थानी झरोखे और लाल पत्थरों से निर्मित गुंबद इसे अलग ही भव्यता प्रदान करते हैं।

पांच मंजिला रहस्य: क्यों दिखती है सिर्फ एक?
जल महल के रहस्य की सबसे अनोखी बात यह है कि यह महल वास्तव में पांच मंजिला है, लेकिन जब आप झील के किनारे खड़े होकर इसे देखते हैं तो केवल ऊपरी मंजिल ही नजर आती है। इसकी बाकी चार मंजिलें झील के पानी में डूबी हुई रहती हैं। यह बात पर्यटकों के लिए सबसे रोमांचक अनुभवों में से एक है।जल महल की वास्तुकला इस प्रकार बनाई गई है कि मानसून के दौरान जब झील पूरी तरह भर जाती है, तब भी महल की संरचना को कोई नुकसान नहीं होता। इसका निर्माण इस तकनीक से किया गया है कि पानी अंदर प्रवेश नहीं करता। यहां तक कि सालों से डूबी चार मंजिलें भी इतनी मजबूत बनी हैं कि समय के साथ भी उनका स्वरूप अधिक नहीं बदला।

अनसुने फैक्ट्स जो जल महल को बनाते हैं खास
नौका द्वारा ही पहुंचा जा सकता है: जल महल के अंदर जाने का कोई सीधा रास्ता नहीं है। झील के बीचोंबीच स्थित होने के कारण यहां केवल नाव द्वारा ही पहुंचा जा सकता है।
मछलियों के लिए स्वर्ग: मानसागर झील में हजारों मछलियां हैं और जल महल का शांत वातावरण इनका एक प्राकृतिक घर बन चुका है।
पानी में रचना का अद्भुत उदाहरण: जल महल का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि झील का जलस्तर चाहे जितना बढ़े, महल को कोई हानि नहीं होती। यह प्राचीन जल-प्रबंधन तकनीकों का उत्कृष्ट उदाहरण है।
छत पर बगीचा: जल महल की छत पर एक खूबसूरत बगीचा भी है, जिसे राजसी सैर-सपाटे के लिए बनाया गया था। इस बगीचे में विशेष प्रकार के पौधे और फूल लगाए गए थे, जिनकी खुशबू झील की ठंडी हवाओं के साथ पूरे क्षेत्र को महका देती थी।
जल महल में प्रवेश वर्जित: वर्तमान समय में जल महल आम जनता के लिए खुला नहीं है। इसके अंदर जाने की अनुमति सिर्फ विशेष सरकारी अथवा शोध गतिविधियों के लिए ही दी जाती है।
पुनः संरक्षण प्रयास: जल महल की भव्यता को फिर से जीवित करने के लिए राजस्थान सरकार और कई पर्यावरण संस्थानों द्वारा इसके संरक्षण और पुनर्निर्माण का कार्य किया गया है। मानसागर झील की सफाई, जल महल की दीवारों की मरम्मत और आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण इसके अंतर्गत किया गया।
शाम की रौशनी में जल महल: सूरज ढलने के बाद जब जल महल को रोशनी से सजाया जाता है, तो यह दृश्य किसी स्वप्नलोक से कम नहीं लगता। झील में जल महल का प्रतिबिंब और चारों ओर फैली रौशनी एक अद्वितीय वातावरण रचती है।

पर्यटन के नजरिए से जल महल का महत्व
जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक आमेर किले, हवा महल और सिटी पैलेस के साथ जल महल को देखे बिना यात्रा अधूरी मानते हैं। यह महल न सिर्फ स्थापत्य प्रेमियों के लिए एक अजूबा है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। मानसागर झील में प्रवासी पक्षियों का झुंड, आसपास की अरावली की पहाड़ियां और शांत जलराशि इसे एक शानदार प्राकृतिक स्थल बनाते हैं।

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