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वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानिए रणकपुर जैन मंदिर की सात ख़ास बातें, जो आपको यहां घूमने के लिए कर देंगी मजबूर 

वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानिए रणकपुर जैन मंदिर की सात ख़ास बातें, जो आपको यहां घूमने के लिए कर देंगी मजबूर 

राजस्थान की शान, अरावली की गोद में बसे रणकपुर के जैन मंदिर को लेकर जितनी तारीफें की जाएं, कम हैं। मार्बल की शानदार कलाकारी, अलौकिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर यह मंदिर पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं। पर क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर से जुड़ी कुछ ऐसी अनकही बातें भी हैं, जो आमतौर पर गाइड्स नहीं बताते? आइए, आज हम आपको रणकपुर जैन मंदिर की उन्हीं रहस्यमयी, ऐतिहासिक और अनदेखी बातों से रूबरू कराते हैं, जो इस अद्भुत धरोहर को और भी विशेष बनाती हैं।

1. मंदिर नहीं, संगमरमर की भूलभुलैया है रणकपुर

रणकपुर मंदिर को यदि संगमरमर की भूलभुलैया कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह मंदिर अपने 1444 स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है, और हैरानी की बात ये है कि इन सभी स्तंभों की नक्काशी एक-दूसरे से भिन्न है। यहां तक कि अगर आप एक ही स्तंभ को दूसरी बार ढूंढना चाहें, तो शायद न कर सकें। गाइड आपको इसकी संख्या तो बताएंगे, लेकिन इस बात को कम ही लोग समझाते हैं कि हर स्तंभ पर अलग-अलग देवताओं, पशु-पक्षियों, मिथकीय आकृतियों की अत्यंत सूक्ष्म नक्काशी है, जो इसे एक जीता-जागता कला संग्रहालय बनाते हैं।

2. छाया का रहस्य – सूर्य नहीं छूता गर्भगृह को

रणकपुर जैन मंदिर की रचना वास्तुशास्त्र के इतने सटीक नियमों के अनुसार की गई है कि मंदिर के मुख्य गर्भगृह में सूर्य की किरणें कभी भी सीधा प्रवेश नहीं करतीं। चाहे कितनी भी तेज धूप हो, मंदिर का यह हिस्सा सदैव छाया में रहता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह निर्माण तकनीक का अद्वितीय उदाहरण है, परंतु आध्यात्मिक दृष्टि से इसे देव ऊर्जा के संरक्षण का प्रतीक माना जाता है।

3. एक रात में बने थे कुछ हिस्से? – लोककथा या रहस्य

स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर का कुछ हिस्सा एक ही रात में बना था। कहते हैं कि देवताओं की कृपा से एक विशेष रात को मूर्तिकारों ने चमत्कारिक रूप से कई हिस्सों का निर्माण कर डाला। हालांकि ऐतिहासिक साक्ष्य इस बात की पुष्टि नहीं करते, लेकिन मंदिर के कुछ स्तंभ और छतें आज भी इतनी रहस्यमयी शैली में बनी हैं कि यह लोककथा सच लगने लगती है।

4. एक स्तंभ जो ज़मीन से अलग है

मंदिर का एक स्तंभ ऐसा है जो जमीन को पूरी तरह से नहीं छूता। जब आप उसे नजदीक से देखेंगे तो पता चलेगा कि उसकी नींव और जमीन के बीच एक महीन अंतर है। माना जाता है कि यह जैन स्थापत्य की परंपराओं में ‘माया’ का प्रतीक है — जो यह दर्शाता है कि स्थायित्व एक भ्रम है। गाइड्स अक्सर इसकी ओर ध्यान नहीं दिलाते, जबकि यह मंदिर के दर्शन और दर्शनशास्त्र दोनों का केंद्र बिंदु है।

5. मंदिर में कोई घंटी क्यों नहीं होती?

ज्यादातर हिंदू मंदिरों में हम पूजा के समय घंटियों की आवाज़ सुनते हैं, लेकिन रणकपुर जैन मंदिर में एक भी घंटी नहीं है। इसके पीछे मान्यता है कि जैन दर्शन में ध्यान, मौन और आत्म-चिंतन को सर्वोपरि माना गया है। घंटियों की ध्वनि से ध्यान भंग हो सकता है, इसलिए यहां शुद्ध मौन को महत्व दिया जाता है। यह तथ्य अक्सर पर्यटकों की नजर से छूट जाता है।

6. स्तंभों से बहती है हवा – प्राकृतिक वातानुकूलन

रणकपुर मंदिर की संरचना कुछ इस प्रकार है कि इसमें वर्ष भर ठंडक बनी रहती है। यह अपने आप में प्राकृतिक वातानुकूलन (Natural Air Conditioning) का एक बेजोड़ उदाहरण है। स्तंभों की जगह और बनावट कुछ ऐसी है कि गर्मियों में भी मंदिर के अंदर ठंडक महसूस होती है। यह जानकारी गाइड अक्सर छोड़ देते हैं, लेकिन वास्तुकला प्रेमियों के लिए यह एक शोध का विषय है।

7. कृत्रिम प्रकाश की आवश्यकता नहीं

मंदिर के अंदर कहीं भी कृत्रिम रोशनी की आवश्यकता नहीं होती। सूरज की रोशनी दिनभर इतने व्यवस्थित ढंग से मंदिर के प्रत्येक कोने तक पहुंचती है कि दिन में दीपक जलाने की जरूरत नहीं पड़ती। यह बात अपने आप में उस युग के आर्किटेक्ट्स की प्रतिभा को दर्शाती है।

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