दुनिया की सबसे महंगी साड़ी जिसको पहनना है हर लड़की का सपना, जिसका डिजाइनर ही एक मर्द था, कीमत जानकर होश न उड़ गए तो कहना
कीमती से भी कीमती, महंगे-हीरे-मोती और रत्नों से जड़ी दुनिया की सबसे मंहगी साड़ी ऐसी कि आज भी हर लड़की बस इस साड़ी को पहनने का सपना ही देखती है। क्योंकि जितनी इसकी कीमत है उसको जानकर सबके होश उड़ जाएंगे। कीमत है 40 लाख रुपए। देश के केरल राज्य के त्रावणकोर में ये साड़ी मिलती है।
बताया जाता है कि इस सबसे महंगी साड़ी में बेशकीमती 12 रत्न जड़े हैं। 12 रत्न जड़े होने के अलावा ये एक ऐसी पेंटिंग पर आधारित है जिसे भारतीय इतिहास के सबसे ज्यादा चर्चित और ब्रिटिश राज के भारत का सबसे मशहूर भारतीय चित्रकार, जिसके एक चित्र की कीमत आज भी हजारों डॉलर्स में है।
नाम है राजा रवि वर्मा। राजा रवि वर्मा का जन्म आज ही के दिन 29 अप्रैल 1848 में केरल के एक छोटे से गांव किलिमन्नूर में हुआ था।
अपनी युवा अवस्था में राजा रवि वर्मा अपने अलग विचार और पेंटिंग्स को लेकर इतने चर्चित थे कि ब्रिटिश राज के अंग्रेज तक इनकी पेंटिंग के कायल थे।
इनकी पेंटिग्स के लिए अंग्रेजों में कितनी रुचि थी इसका उदाहरण वर्तमान में भी मिलते हैं। वर्ष 2007 में उनकी एक एतिहासिक पेंटिंग 6 करोड़ रुपए यानी 1.24 मिलियन डॉलर में बिकी थी। इस पेंटिंग में ब्रिटिश राज के दौरान त्रावरणकोर के महाराज और उनके भाई को मद्रास के गवर्नर का स्वागत करते हुए दिखाया गया था।
राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स से जुड़े विवाद
राजा रवि वर्मा के पेंटिंग्स में खास बात ही ये थी कि उनकी पेंटिंग्स में धर्म ग्रंथों में घटित हुईं घटनाओं को अलग ही ढंग से पेश किया गया। ज्यादातर चित्र महिला आधारित थे। धर्म ग्रंथों की कहानियों में घटित हुई कहानियों में नारी के हालातों पर ही उनके चित्रों का फोकस रहता था। जिसकी वजह से कई विचारक, पेंटर और पोंगा पंडित इनकी इन पेंटिंग्स को नकार दिया करते थे। ये आज भी एक बहस का विषय है कि रवि राजा वर्मा जो पेंटिंग्स बनाया करते थे वो गलत थीं या सही।
दरअसल, राजा रवि वर्मा ने अपनी पेंटिंग्स में महाभारत के द्रोपदी से लेकर रामराज्य में महिला स्थिति का मार्मिक चित्रण किया। वर्मा ने अपनी पेंटिंग्स धर्म ग्रंथों में स्त्री चित्रण जो किया उसमें विवाद बनने का सबसे बड़ा कारण दो थे एक, नारी को नग्न दिखाने की कोशिश की और दूसरा, महाभारत काल से लेकर विभिन्न कालों में देवियों के साथ हुए व्यवहार को ऐसे पेश किया जैसे उनके साथ भेदभाव हो रहा हो।
कई बुद्धिजीवियों का मानना रहा कि उनकी पेंटिंग्स में फैक्ट्स को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया।
उदाहरण के लिए वर्ष 2014 में आई “रंग रसिया” फिल्म को लिया जा सकता है। ये फिल्म राजा रवि वर्मा के जीवन पर आधारित थी। इस फिल्म में उनकी पेंटिंग्स एक नारी पर आधारित थी जिसमें कुछ अश्लील दृश्य भी रहे। इस फिल्म के रिलीज होने से पहले ही विवाद गहरा गया था और चारों तरफ पक्ष-विपक्ष राजा रवि वर्मा के जीवन पर बहस करने लगे थे।
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