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Surekha Sikri Birthday भारतीय अभिनेत्री और टेलीविजन कलाकार सुरेखा सीकरी के जन्मदिन पर जानें इनके रोचक फैक्ट्स

सुरेखा सीकरी (अंग्रेज़ी: Surekha Sikri, जन्म- 19 अप्रॅल, 1945, नई दिल्ली; मृत्यु- 16 जुलाई, 2021, मुम्बई) एक भारतीय अभिनेत्री और टेलीविजन कलाकार थीं। वह मुख्य तौर से हिंदी सिनेमा में सक्रिय थीं। वर्ष 2018 में आयी बॉलीवुड....
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मनोरंजन न्यूज डेस्क् !!! सुरेखा सीकरी (अंग्रेज़ी: Surekha Sikri, जन्म- 19 अप्रॅल, 1945, नई दिल्ली; मृत्यु- 16 जुलाई, 2021, मुम्बई) एक भारतीय अभिनेत्री और टेलीविजन कलाकार थीं। वह मुख्य तौर से हिंदी सिनेमा में सक्रिय थीं। वर्ष 2018 में आयी बॉलीवुड फिल्म 'बधाई हो' और धारावाहिक टेलीविजन शो 'बालिका बधु' (2008) के लिए सुरेखा सीकरी को जाना जाता है। धारावाहिक 'बालिका वधु' ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। वह हिंदी रंगमंच में वर्ष 1978 से लेकर 2021 तक सक्रिय थीं। सुरेखा सीकरी ने अपने कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1978 में राजनीतिक ड्रामा फिल्म 'क़िस्सा कुर्सी का है' से की थी।

परिचय

सुरेखा सीकरी का जन्म 19 अप्रैल, 1945 ई. को देश की आज़ादी से पूर्व नई दिल्ली में हुआ था। अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आगे कि पढ़ाई जीईसी अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश से की और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से वर्ष 1968 में रंगमंच और नाटक में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।[1]

परिवार

सुरेखा जी के पिता वायु सेना में कार्यरत थे और उनकी माता एक शिक्षिका थीं। उनका विवाह हेमंत रेगे से हुआ था। उनके एक पुत्र है जिसका नाम राहुल सीकरी है, जो मुम्बई में अभिनय के क्षेत्र में काम करता है। पति हेमंत रेगे का 20 अक्तूबर, 2009 को निधन हो गया। इनकी बहन का नाम परवीन था, जिसका विवाह वर्ष 1970 में बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह से हुआ था। उनकी बेटी अभिनेत्री हिबा शाह है।

कॅरियर

सुरेखा सीकरी अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद काफी समय तक नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में रिपर्टरी कंपनी के साथ काम करती रही। उसके बाद उन्होंने अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1978 में राजनीतिक ड्रामा फिल्म 'क़िस्सा कुर्सी का है' से की। सुरेखा सीकरी ने फिल्म 'तमस' (1988), 'मामो' (1995) और 'बधाई हो' (2018) के लिए तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।

पुरस्कार व सम्मान

  • सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
  • सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री, फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार
  • सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री, स्क्रीन पुरस्कार

परंपराओं की वाहक अभिनेत्री

एक विदेशी कंपनी को जब अपना हिंदी मनोरंजन चैनल लॉन्च करने के लिए ऐसी अदाकारा की तलाश हुई जो परदे पर पूरे रुआब के साथ परंपराओं की वाहक बन सके तो सबको एक साथ नाम सूझा, सुरेखा सीकरी यानी कलर्स चैनल को देश में लॉन्च करने वाले धारावाहिक ‘बालिका वधू’ की दादी सा। और, जब एक फिल्म में एक ऐसी सास के लिए कलाकार की जरूरत महसूस हुई जो अधेड़ उम्र की अपनी बहू के फिर से मां बनने को लेकर हो रही आलोचनाओं के समय उसके पक्ष में खड़ी दिख सके तो फिर सबको एक ही नाम सूझा, सुरेखा सीकरी यानी फिल्म ‘बधाई हो’ की दुर्गा देवी कौशिक। जीतू की मां। नकुल की दादी। ये दोनों किरदार सुरेखा सीकरी के अभिनय जीवन के चौथे पड़ाव के हैं। सुरेखा सीकरी ने दो बातें बहुत संजीदा तौर पर कही थीं, "मैं अभिनय से कभी रिटायर होना नहीं चाहती और मेरी दिली इच्छा है कि मैं अमिताभ बच्चन के साथ काम कर सकूं"।[2]

फिल्म ‘बधाई हो’ के लिए मिला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार उनके करियर का तीसरा पुरस्कार रहा। इससे पहले अभिनय के लिए वह 1988 में आई सीरीज ‘तमस’ और 1994 में रिलीज हुई फिल्म ‘मम्मो’ के लिए भी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी थीं। लेकिन ‘बधाई हो’ तक आते आते जमाना बदल चुका था। ट्विटर, फेसबुक और टीवी न्यूज चैनलों पर अपने बारे में इतना सब कुछ देखने के बाद सुरेखा के चेहरे पर उस दिन एक अलग ही तेज था। कहने लगीं, '40 साल हो गए मुझे अभिनय करते करते लेकिन लोगों को या कहें कि नई पीढ़ी को अब जाकर पता चला है। खैर, मुझे इसका गिला नहीं। जब भी जो भी काम मैंने किया अपने दिली सुकून के लिए किया। इनाम मिलते हैं तो किसे खुशी नहीं होती। मुझे और भी बहुत खुशी होती अगर मैं अपने पैरों पर खड़े होकर ये पुरस्कार ले पाती।'

पत्रकार बनने की इच्छा

सुरेखा सीकरी एक टीवी सीरीज़ शूटिंग के लिए महाबलेश्वर में थीं और वहीं नहाते समय बाथरूम में गिर गईं। सिर पर चोट लगी। इलाज में देर हुई और वह लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहीं। खबर उड़ी कि उनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं है। ये बात उनको पता चली तो उन्होंने इस पर सख्त एतराज किया। बेचारगी उनको कभी अच्छी नहीं लगी। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निकलने के बाद उन्होंने दिल्ली में खूब थिएटर किया। मुंबई आने के बाद भी उनका रंगमंच से लगाव बना रहा। हालांकि, अभिनय की बजाय उनकी मंशा जीवन में एक पत्रकार बनने की ज्यादा रही।

ये उन दिनों की बात है जब सुरेखा अलीगढ़ में पढ़ती थीं। कॉलेज में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की टोली आई। ‘किंग लीयर’ नाटक हुआ और सुरेखा की बहन ने ठान लिया कि उन्हें अभिनेत्री बनना है। लेकिन, बाद में उनका मन बदल गया और घर वालों की सहमति से सुरेखा सीकरी ने कॉलेज में बंटे एनएसडी के फॉर्म हासिल कर एक फॉर्म अपने नाम से भर दिया। ऑडीशन, इंटरव्यू सब में अव्वल नंबर। 1968 में सुरेखा सीकरी अलीगढ़ से दिल्ली आ गईं अभिनय सीखने। तब से वह लगातार अभिनय करती रहीं। हादसे के बाद जब वह अस्पताल से घर लौटीं तो भी उनके पास फिल्मों के प्रस्ताव आते रहे। इनमें से दो खास प्रस्ताव का वह जिक्र भी बातों बातों में करतीं। इनमें से एक था समलैंगिक बच्चों के अभिभावक का रोल और दूसरा था बीते जमाने की एक काल्पनिक अभिनेत्री नाजिया का रोल।[2]

मृत्यु

पॉपुलर शो 'बालिका वधू' समेत कई बड़े शोज और फिल्मों का हिस्सा रहीं दिग्गज अदाकारा सुरेखा सीकरी का 75 साल की उम्र में 16 जुलाई, 2021 को निधन हुआ। शुक्रवार (16 जुलाई) की सुबह दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया। एक्ट्रेस लंबे वक्त से बीमार चल रही थीं। साल 2020 में सुरेखा सीकरी को दूसरी बार ब्रेन स्ट्रोक आया था। तभी से उनकी तबीयत खराब चल रही थी। 2018 में सुरेखा सीकरी को पैरालाइटिक स्ट्रोक आया था।

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