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Shyama Charan Shukla Death Anniversary मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्यामा चरण शुक्ल की पुण्यतिथि पर जानें इनका जीवन परिचय

श्यामा चरण शुक्ल (अंग्रेज़ी: Shyama Charan Shukla, जन्म- 27 फ़रवरी, 1925, रायपुर, आज़ादी पूर्व; मृत्यु- 14 फ़रवरी, 2007) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। श्यामा चरण शुक्ल तीन बार मध्य प्रदेश के......
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मध्य प्रदेश न्यूज डेस्क !! श्यामा चरण शुक्ल (अंग्रेज़ी: Shyama Charan Shukla, जन्म- 27 फ़रवरी, 1925, रायपुर, आज़ादी पूर्व; मृत्यु- 14 फ़रवरी, 2007) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। श्यामा चरण शुक्ल तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे लेकिन तीनों ही बार वह पाँच साल का कार्यकाल पूर्ण नहीं कर सके। वह तीन बार 26 मार्च 1969 से 28 जनवरी 1972 तक, फिर 23 दिसंबर 1975 से 29 अप्रॅल 1977 तक और फिर 9 दिसंबर 1989 से 4 मार्च 1990 तक मुख्यमंत्री रहे।

  • श्यामा चरण शुक्ल के पिता रविशंकर शुक्ल भी मुख्यमंत्री रहे थे लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा था कि श्यामा चरण शुक्ल भी एक दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। वह भी एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि तीन बार।
  • सोचा तो किसी ने ये भी नहीं था कि तीनों बार श्यामा चरण शुक्ल 5 साल का कार्यकाल पूरा करने से रह जायेंगे।
  • श्यामा चरण शुक्ल ने जब होश संभाला था तो उनके घर में 52 कमरे थे और मेहमाननवाज़ी के लिए नौकरों की पूरी की पूरी पलटन थी। ऐसा कुछ नहीं था जो पिता के पास नहीं था और जो नहीं था, वो पिता का रसूख दिलवा सकता था।
  • बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बीटेक करने के बाद श्यामा चरण शुक्ल ने पिता की तरह वकालत की और फिर नेतागिरी।
  • वरिष्ठतम राजनीतिज्ञ श्यामा चरण शुक्ल ने अपना राजनीतिक जीवन वर्ष 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ से शुरू किया। उन्हें तत्कालीन मध्य प्रदेश की राजनीति में प्रारंभ से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहने का गौरव प्राप्त रहा।
  • श्यामा चरण शुक्ल रायपुर जिला कांग्रेस के अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी तक सदा ही महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे।
  • दैनिक महाकौशल के संपादक श्यामा चरण शुक्ल ने 1962 में राज्य विधानसभा में प्रवेश किया और निरंतर निर्वाचित होते रहे।
  • उन्हें वर्ष 1969-1972, 1975-1977 तथा वर्ष 1989-1990 में मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री रहने का गौरव मिला।
  • 1990 में वह राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता रहे और फिर छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय रहे।

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