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Manohar Lal Khattar Birthday भारत के उत्तरी राज्य हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता मनोहर लाल खट्टर के जन्मदिन पर जानें इनके अनसुने किस्से
 

मनोहर लाल खट्टर (अंग्रेज़ी: Manohar Lal Khattar, जन्म: 5 मई, 1954) भारत के उत्तरी राज्य हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं....
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मनोहर लाल खट्टर (अंग्रेज़ी: Manohar Lal Khattar, जन्म: 5 मई, 1954) भारत के उत्तरी राज्य हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। इन्होंने अक्टूबर 2014 में सम्पन्न हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद 26 अक्टूबर, 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हिमाचल प्रदेश में संघ के प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर को राजनीति में नरेन्द्र मोदी लेकर आए। रोहतक के रहने वाले खट्टर को करनाल सीट से लड़ाया गया था। जब हिमाचल प्रदेश में नरेंद्र मोदी प्रभारी हुआ करते थे, तब खट्टर सह प्रभारी थे।

जीवन परिचय

मनोहर लाल खट्टर का जन्म 5 मई, 1954 में रोहतक के निदाना गांव में हुआ था। खट्टर के पिता पंजाबी समुदाय से ताल्लुक रखते थे और पेशे से दुकानदार थे। खट्टर का परिवार 1947 में भारत-पाक बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से भारत आ गया था। खट्टर ने रोहतक के पंडित नेकी राम शर्मा कॉलेज से 10वीं पास की थी। जिसके बाद दिल्ली आकर सदर बाज़ार में बिजनेस करने लगे। दिल्ली आने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की। ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद पूरी उम्र शादी ना करने का फैसला लेते हुए आरएसएस में शामिल हो गए।

हेडमास्टर से मुख्यमंत्री तक

बचपन में दोस्तों के बीच 'हेडमास्टर' नाम से लोकप्रिय खट्टर रोहतक के रहने वाले हैं। उनके दादा भगवान दास खट्टर अपने परिवार के साथ देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से निंदाना आए थे। मनोहर लाल 4 साल के थे तो उनके पिता हरबंस लाल खट्टर रोहतक ज़िले के ही बनियानी गांव में आ गए। निंदाना में उनके दादा और पिता की दुकान थी जबकि बनियानी में उन लोगों ने खेती के लिए जमीन ख़रीदी थी। उनकी प्राइमरी स्कूल की शिक्षा इसी गांव में हुई और पड़ोस के गांव माली आनंदपुर से मैट्रिक किया। क़रीबी दोस्तों के मुताबिक़ खट्टर स्कूली दिनों में काफ़ी गंभीर स्वभाव के थे, जिसके कारण साथी उन्हें 'हेडमास्टर' कहकर बुलाते थे। खट्टर के भाई चरणजीत के मुताबिक़, मनोहर मेडिकल की तैयारी करना चाहते थे लेकिन पिता चाहते थे कि बिजनेस में समय दें। 1974 के आसपास मनोहर भाइयों के साथ दिल्ली के रानी बाग आए और बिजनेस शुरू किया। 1976 में वह आरएएसएस के संपर्क में आए और इमर्जेंसी में संपर्क बढ़ता गया।

1980 में वह संघ से पूर्णकालिक तौर पर जुड़ गए। मनोहर लाल खट्टर पर युवावस्था में परिवार की ओर से शादी के लिए जबर्दस्त दबाव था। परिजन चाहते थे कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रचारक परंपरा को छोड़ घर बसा लें, लेकिन खट्टर ने विवाह नहीं किया। खट्टर को 1994 में हरियाणा बीजेपी में प्रदेश संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। 1996 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने बंसीलाल की पार्टी हरियाणा विकास पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। इस चुनाव की रणनीति बनाने में खट्टर की बड़ी भूमिका रही थी। 2002 में पार्टी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का प्रभारी बनाया। लोकसभा चुनाव में खट्टर को हरियाणा में चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। 60 साल के खट्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़रीबियों में शुमार हैं। 90 के दशक में जब नरेंद्र मोदी हरियाणा के प्रभारी थे, तब खट्टर प्रदेश बीजेपी में संगठन मंत्री थे। मनोहर लाल खट्टर के भाई चरणजीत के मुताबिक़ परिवार ने कभी नहीं सोचा था कि वह मुख्यमंत्री होंगे। खट्टर के एक भाई जगदीश दिल्ली में रहते हैं और एक भाई गुलशन बनियानी गांव में ही खेती देखते हैं। बनियानी में ही मनोहर लाल खट्टर के नाम दो-ढाई एकड़ जमीन और पैतृक घर है। दो भाई रोहतक में रहते हैं।

राजनीतिक परिचय

मनोहर लाल खट्टर 1977 में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक) से जुड़े थे और 40 सालों से संघ और पिछले दो दशकों से भाजपा का हिस्सा हैं। साल 2002 में मनोहर लाल खट्टर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव का जिम्मा दिया गया था और साल 2004 में उन्हें दिल्ली और राजस्थान सहित 12 राज्यों में चुनावों की जिम्मेदारी दी गई थी। उसके बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश का रिजनल संगठन महामंत्री बनाया गया था। संघ में अपनी सेवा देने के बाद खट्टर 1994 में भाजपा में शामिल हो गए और 2000 से 2014 तक भाजपा हरियाणा के जनरल सेक्रेटरी रहे। वर्तमान में वे भाजपा नेशनल एग्जीवक्यूटिव कमेटी के सदस्य भी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क़रीबी खट्टर ने 2014 में पहली बार करनाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को 47 सीटें मिली, जबकि दूसरे नंबर इनेलो रही जिसे 19 सीटें मिली। राज्य में पिछले एक दशक से राज कर रही कांग्रेस को 15 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही।


 

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