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Birthday of Dattatraya Ramchandra Kaperkar भारतीय गणितज्ञ दत्तात्रय रामचंद्र कापेरकर के जन्मदिन पर जानें इनके कुछ रोचक फैक्ट्स

दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर (अंग्रेज़ी: Dattathreya Ramchandra Kaprekar; जन्म- 17 जनवरी, 1905, डहाणू, महाराष्ट्र; मृत्यु- 1986 देवळाली, महाराष्ट्र) भारतीय गणितज्ञ थे। इन्होंने संख्या सिद्धान्त के क्षेत्र में अनेक योगदान दिया, जिनमें....
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इतिहास न्यूज डेस्क !! दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर (अंग्रेज़ी: Dattathreya Ramchandra Kaprekar; जन्म- 17 जनवरी, 1905, डहाणू, महाराष्ट्र; मृत्यु- 1986 देवळाली, महाराष्ट्र) भारतीय गणितज्ञ थे। इन्होंने संख्या सिद्धान्त के क्षेत्र में अनेक योगदान दिया, जिनमें से कापरेकर संख्या तथा कापरेकर स्थिरांक प्रमुख हैं। दत्तात्रय रामचन्द्र द्वारा कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की खोज हुई हैं।

संक्षिप्त परिचय

दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर का जन्म 17 जनवरी, 1905 को डहाणू, महाराष्ट्र में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा थाने और पुने में, तथा स्नातक की शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय से हुई थी। लेकिन उन्होंने गणित या किसी अन्य विषय में स्नातकोत्तर डिग्री की पढ़ाई नहीं की थी। वे नासिक में स्कूल टीचर थे। गणित में उच्च शिक्षा न प्राप्त करने के बावजूद उन्होंने नंबर थ्योरी पर काम किया। कुछ स्थिरांक (constant) और बहुत सी संख्यायें (numbers) उनके नाम से जाने जाते हैं। वे मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में जाने माने व्यक्ति थे।[1] उच्च शिक्षा न प्राप्त करने के कारण भारत में गणितज्ञों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिये था। उनके पेपर भी निम्न श्रेणी के गणित की पत्रिकाओं में छपते थे। वे गणित के सम्मेलनों में अपने पैसे से जाते थे और अंको पर व्याख्यान देते थे। उन्हें कहीं से पैसों की मदद नहीं मिल पाती थी चूंकि वे केवल स्कूल टीचर थे। उन्हें भारत में सम्मान तब मिला जब उनके बारे में मार्टिन गार्डनर ने साईंटिफिक अमेरिकन के मार्च, 1975 अंक में, उनके बारे में लिखा।

कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या

अब कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की बात करते है। ये दोनों संख्याये भी हमारे कम चर्चित महाराष्ट्रियन गणितज्ञ कापरेकर जी की खोजी हुई हैं। कापरेकर संख्या : किसी दिये हुये आधार पर (हम सामान्यतया 10 आधार वाली दशमलव प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं ) कोई संख्या (शून्य या उससे बड़ी) जिसके वर्ग को दो ऐसे गुणकों में विभाजित किया जा सके कि उन्हें जोड़कर हम पुनः प्रारम्भिक संख्या को प्राप्त कर सकें, ऐसी संख्या को कापरेकर संख्या कहते हैं।

हर्षद संख्या

हर्षद संख्याओ का एक मजेदार गुण होता है, ये संख्याये अपने अंको के योग से भाज्य होती है। काप्रेकर ने इन्हे हर्षद संख्या अर्थात् आनंददायक संख्या कहा था। उदाहरण के लिये संख्या लेते है 12। अब 1+2=3 संख्या 12 अपने अंको के योग 3 से भाज्य है अर्थात् वह हर्षद संख्या है। इन संख्याओं को गणीतज्ञ Ivan M. Niven के नाम पर निवेन संख्या भी कहते है।

निधन

दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर का निधन 1986 को देवळाली, महाराष्ट्र में हुआ था।

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