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Basavaraj Somappa Bommai Birthday भारतीय राज्य कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज सोमप्पा बोम्मई के जन्मदिन पर जानें इनके जीवन संघर्ष के बारे में 
 

भारतीय राज्य कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने 28 जुलाई, 2021 से 10 मई, 2023 तक मुख्यमंत्री पद पर कार्य किया.....
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(अंग्रेज़ी: Basavaraj Somappa Bommai, जन्म- 28 जनवरी, 1960) भारतीय राज्य कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने 28 जुलाई, 2021 से 10 मई, 2023 तक मुख्यमंत्री पद पर कार्य किया। बसवराज बोम्मई अपने से पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदयुरप्पा के इस्तीफे के बाद राज्य के नये मुख्यमंत्री बनाये गये थे। 27 जुलाई, 2021 को बी. एस. येदयुरप्पा ने खुद बसवराज बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा था, जिसका मंत्री के. एस. ईश्वरप्पा और बाकी सभी विधायकों ने समर्थन किया था। जनता दल से राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत करने वाले बसवराज बोम्मई येदयुरप्पा सरकार में गृहमंत्री भी रहे और उनके बेहद करीबी भी माने जाते हैं।

परिचय

बसवराज बोम्मई का जन्म 28 जनवरी 1960 को हुबली, कर्नाटक में हुआ था। पूर्व मुख्‍यमंत्री एस. आर. बोम्मई के पुत्र बसवराज बोम्मई कर्नाटक में भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार हैं। उन्होंने भूमाराद्दी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से 1982 में बीई की डिग्री ली। बसवराज बोम्मई की पत्नी का नाम चेन्नम्मा है और उनके दो बच्चे हैं। बसवराज बोम्मई साल 2021 की शुरुआत में कर्नाटक के गृहमंत्री बनाए गए थे। वे कर्नाटक विधानसभा के 2004 से 2008 तक सदस्य रहे हैं। वह धारवाड़ से 1998 और 2004 में विधायक चुने गए। जब येदयुरप्पा मुख्यमंत्री बने तो वे हावेरी जिले के शिगांव निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे।[1]

सिंचाई मामलों के एक्सपर्ट

इंजीनियर और खेती से जुड़े होने के नाते बसवराज बोम्मई को कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है। राज्य में कई सिंचाई प्रोजेक्ट शुरू करने की वजह से उनकी तारीफ होती है। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भारत की पहली 100% पाइप सिंचाई परियोजना लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है।

येदयुरप्पा ने सुझाया बोम्मई का नाम

कर्नाटक के गृहमंत्री रहे बसवराज बोम्मई येदयुरप्पा के चहेते और उनके शिष्य हैं। सूत्रों की मानें तो येदयुरप्पा ने इस्तीफा देने से पहले ही बसवराज बोम्मई का नाम भाजपा आलाकमान को सुझा दिया था। दरअसल, लिंगायत समुदाय के मठाधीशों के साथ हुई बैठक में येदयुरप्पा ने अपनी तरफ से इस नाम को उन सबके बीच रखा था। कर्नाटक के मशहूर लिंगेश्वर मंदिर के मठाधीश शरन बसवलिंग के अनुसार- 'अगर येदयुरप्पा एक इशारा करते तो पूरा समुदाय उनके लिए भाजपा के विरोध में उतर आता। चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ती, लेकिन खुद येदयुरप्पा ने बसवराज बोम्मई की हिमायत की। लिंगायत समुदाय के होने की वजह से उनके नाम पर सभी मठाधीश जल्दी राजी हो गए'।

लिंगायत समुदाय

येदयुरप्पा को सीएम पद से इस्तीफा न देने के लिए अड़े लिंगायत समुदाय के सामने येदयुरप्पा ने जब बसवराज बोम्मई के नाम का सुझाव रखा, तब जाकर भाजपा का विरोध रुका। दसअसल, लिंगायत समुदाय नहीं चाहता था कि येदयुरप्पा इस्तीफा दें, लेकिन येदयुरप्पा ने इस समुदाय की बैठक में कहा था, 'सीएम पद की शपथ लेने से पहले ही यह तय हो चुका था कि मुझे 2 साल बाद आलाकमान के निर्देश के हिसाब से काम करना होगा। शीर्ष नेतृत्व का पैगाम आ गया है। मुझे पद छोड़ना होगा'।

संघ से नजदीकी

बसवराज बोम्मई के अलावा मुर्गेश निरानी और अरविंद बल्लाड के नाम भी चर्चा में रहे। तीनों ही लिंगायत समुदाय से आते हैं, लेकिन बसवराज बोम्मई येदयुरप्पा के करीबी ही नहीं, उनके शिष्य भी माने जाते हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी काफी लोकप्रिय हैं। माना जाता है कि संघ और येदयुरप्पा के बीच की कड़ी के रूप में इन्होंने ही काम किया। बी. एस. येदयुरप्पा से संघ के बिगड़े रिश्तों का असर येदयुरप्पा के कामकाज पर न पड़े इसमें भी बड़ी भूमिका बसवराज बोम्मई ने निभाई।

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