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ममता बनर्जी की राजनीति से घिरी कांग्रेस, केरल के नीलांबुर उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस का बड़ा दांव

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमेशा से राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को जो मात ममता ने दी, वह सभी के सामने है। अब 2026 के पश्चिम बंगाल...
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमेशा से राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को जो मात ममता ने दी, वह सभी के सामने है। अब 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भी ममता बनर्जी कांग्रेस को बीजेपी के समान दुश्मन मानती हैं और लगातार अपने राजनीतिक कदम इसी दिशा में बढ़ा रही हैं।

हालांकि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और टीएमसी के कई सांसद उन्हें ‘हमारे नेता’ कहकर संबोधित करते हैं, ममता की राजनीति में छिपा हुआ प्रतिस्पर्धात्मक तेवर साफ दिखता है। विपक्षी गठबंधन में उनकी सक्रियता, लालू यादव जैसे कई विपक्षी नेताओं का समर्थन भी शामिल है, जिससे ऐसा लगता है कि ममता विपक्ष के नेतृत्व पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं।

केरल के नीलांबुर में ममता बनर्जी का बड़ा दांव

पश्चिम बंगाल चुनाव भले अभी दूर हो, लेकिन ममता बनर्जी ने कांग्रेस के प्रिय इलाके वायनाड पर हमला बोल दिया है। राहुल गांधी के वायनाड लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व अब उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा करती हैं। कांग्रेस के लिए केरल पहले से ही राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, जहां शशि थरूर भी कांग्रेस नेतृत्व को टक्कर दे रहे हैं। लेकिन ममता बनर्जी का केरल का प्लान कांग्रेस के लिए कहीं ज्यादा खतरनाक नजर आ रहा है।

19 जून को केरल के नीलांबुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, जो वायनाड लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इस चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पीवी अनवर को उम्मीदवार बनाया है। खास बात यह है कि यह उपचुनाव पीवी अनवर के इस्तीफे के कारण हो रहा है।

पीवी अनवर और तृणमूल कांग्रेस का गठबंधन

पीवी अनवर दो बार केरल के विपक्षी गठबंधन LDF से विधायक रह चुके हैं, लेकिन बाद में UDF में शामिल हो गए थे। मुख्यमंत्री पी. विजयन से मतभेद के बाद अब वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। ममता बनर्जी ने उन्हें केरल का तृणमूल कांग्रेस संयोजक भी नियुक्त किया है, जो इस क्षेत्र में उनकी पैठ का संकेत है।

नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम, हिंदू और ईसाई समुदाय के लोग रहते हैं, और इस क्षेत्र में ममता का कदम मुस्लिम वोट बैंक पर भी नजर रखकर उठाया गया माना जा रहा है। यदि पीवी अनवर उपचुनाव जीतते हैं, तो वे यूडीएफ और एलडीएफ दोनों के लिए परेशानी बन सकते हैं, लेकिन उनका मुख्य निशाना कांग्रेस होगी।

कांग्रेस के लिए केरल में बढ़ती मुश्किलें

केरल कांग्रेस पहले से गुटबाजी का सामना कर रही है। राहुल गांधी का भरोसा संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल पर है, जबकि शशि थरूर अलग राह पर चलते नजर आ रहे हैं। हाल ही में पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश दौरे पर गये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की कांग्रेस में हुई फजीहत से राहुल और प्रियंका गांधी की परेशानियां बढ़ी हैं।

अब ममता बनर्जी की रणनीति ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। नीलांबुर उपचुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो, यह कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा और ममता बनर्जी के लिए भी एक मौका होगा अपनी पकड़ मजबूत करने का।

बंगाल चुनाव से पहले कांग्रेस पर दबाव

यूपी चुनाव में असफल रहने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा मन ही मन केरल और बंगाल चुनाव की तैयारियों में लगी हैं। राहुल गांधी भी केरल चुनाव में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हालांकि केरल चुनाव के दौरान राहुल गांधी के कुछ विवादित बयान और राजनीति के कारण कांग्रेस पहले से ही संघर्षरत है।

ममता बनर्जी चाहे नीलांबुर उपचुनाव जीतें या नहीं, यह तय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस पर दबाव बढ़ाने का जो इंतजाम किया है, वह राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनेगा। इस राजनीतिक लड़ाई में ममता बनर्जी की चाल कांग्रेस की कमजोरियों को भुनाने की रणनीति लग रही है, जो आने वाले समय में और भी चर्चा में रहेगी।

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