मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी’ नाम से मस्जिद निर्माण के दावे पर सियासी घमासान, वीडियो में समझें क्यों हुए टीएमसी विधायक निलंबित
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक राजनीतिक बयान ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। भरतपुर से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक हुमायूं कबीर ने दावा किया था कि वे 6 दिसंबर 2025 को बेलडांगा क्षेत्र में ‘बाबरी मस्जिद’ नाम से मस्जिद का शिलान्यास करेंगे। उन्होंने कहा कि यह तारीख अयोध्या में 1992 को हुई घटना से जुड़ी होने के कारण चुनी गई है। कबीर का यह तर्क था कि मुस्लिम समुदाय की भावनाएँ आहत हुई हैं, और उन्हें सांत्वना देने के लिए पहल जरूरी है।
हालांकि, उनके इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरमाते ही टीएमसी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कबीर को पार्टी से निलंबित कर दिया। पार्टी का कहना है कि किसी भी तरह के धार्मिक टकराव या विवादित नाम से जुड़ी राजनीति को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
विपक्ष का पलटवार
इस बयान के बाद बीजेपी और कुछ हिंदू संगठनों ने भी आपत्ति जताई है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी निजी भूमि पर धार्मिक स्थल बना सकता है, लेकिन “विवादित ऐतिहासिक व्यक्तियों के नाम” पर निर्माण से सापेक्ष तनाव बढ़ सकता है। विपक्ष के कुछ हलकों ने मुर्शिदाबाद में अयोध्या की तर्ज पर दो अलग-अलग राम मंदिर निर्माण का दावा भी किया है, जिसके कारण स्थिति और संवेदनशील हो गई है।
(नोट: विपक्ष की कड़ी टिप्पणियों को कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द की संवेदनशीलता को देखते हुए यहाँ संतुलित रूप में प्रस्तुत किया गया है।)
सामाजिक सौहार्द को लेकर चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि धार्मिक नामों और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े दावे अक्सर समुदायों के बीच तनाव बढ़ाते हैं। इस विवाद के बाद प्रशासन ने एहतियाती कदम बढ़ाते हुए स्थानीय स्तर पर निगरानी और संवाद प्रक्रिया तेज कर दी है, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति को टाला जा सके।
टीएमसी ने साफ किया है कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी ऐसे कदम या बयान का समर्थन नहीं करेगी, जो धार्मिक या साम्प्रदायिक तनाव पैदा करे।
आगे क्या?
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हुमायूं कबीर पर पार्टी स्तर पर आगे और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।
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प्रशासन धार्मिक नेताओं और स्थानीय संगठनों के साथ बातचीत कर रहा है।
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सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि किसी भी निर्माण के लिए कानूनी अनुमतियाँ और शांतिपूर्ण वातावरण अनिवार्य हैं।
देशभर में इस मामले पर निगाहें टिकी हुई हैं। आगामी समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या यह मुद्दा कानूनी और संवैधानिक दायरे में सुलझ पाया, या राजनीतिक संघर्ष और गहराता है।

