
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के विरोध के दौरान 10 से 12 अप्रैल के बीच हुई हिंसा में एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस हिंसक घटनाक्रम में पिता-पुत्र की निर्मम हत्या के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के अनुसार, एक आरोपी को बीरभूम जिले से और दूसरे को भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक से पकड़ा गया है।
इस मामले में लगातार जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय पुलिस को यह अहम सफलता तब मिली, जब हिंसा के वीडियो फुटेज और गुप्त सूचनाओं के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई। दोनों आरोपी कथित रूप से हिंसक भीड़ का हिस्सा थे और हत्या की वारदात में सीधे तौर पर शामिल पाए गए हैं।
बांग्लादेश से घुसपैठ का शक गहराया
इस बीच, गृह मंत्रालय को हिंसा से जुड़ी एक शुरुआती जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि हिंसा की साजिश में बाहरी तत्वों की भूमिका हो सकती है। खासकर, बांग्लादेश से संभावित घुसपैठ के संकेत मिले हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि कुछ उपद्रवियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों से घुसपैठ की और स्थानीय लोगों को भड़काकर स्थिति को हिंसक बना दिया।
प्रशासन पर उठे सवाल
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्थानीय प्रशासन ने समय रहते हालात पर नियंत्रण नहीं किया। प्रशासनिक लापरवाही और खुफिया तंत्र की विफलता के चलते हिंसा को रोका नहीं जा सका, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार से विस्तृत स्पष्टीकरण और कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है।
राजनीतिक माहौल गर्माया
इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी गर्माहट बढ़ गई है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, खासतौर पर कानून-व्यवस्था की विफलता को लेकर। भाजपा नेताओं ने बांग्लादेशी घुसपैठ और वक्फ कानून के नाम पर लोगों को भड़काने की साजिश को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। वहीं, सत्ताधारी पार्टी टीएमसी ने मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है और किसी भी दोषी को बख्शने से इनकार किया है।