मुर्शिदाबाद जल रहा है, हिंदू भाग रहे हैं...आखिर क्यों वक्फ विरोध पर सीएम ममता ने साधी चुप्पी?

वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और अनियमितताओं को समाप्त करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 अब देशभर में विवाद और टकराव का कारण बन गया है। भाजपा ने इस अधिनियम को "धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम" करार दिया है, जबकि कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने इसे "मुस्लिम विरोधी साजिश" बताकर सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
बंगाल बना हिंसा का केंद्र
VIDEO | Kolkata: Aliah University students hold protest over Waqf (Amendment) Act.
— Press Trust of India (@PTI_News) April 11, 2025
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvqRQz) pic.twitter.com/c1FI7VeQwd
VIDEO | Kolkata: Aliah University students hold protest over Waqf (Amendment) Act.
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मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) से आई तस्वीरें सबसे ज्यादा चिंताजनक हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार की नमाज़ के बाद एक उग्र भीड़ ने स्थानीय हिंदू समुदाय को निशाना बनाते हुए दुकानों में तोड़फोड़, पथराव और आगजनी की। वायरल वीडियो में एक व्यक्ति—जिसका चेहरा स्पष्ट रूप से दिख रहा है—को यह कहते हुए सुना जा सकता है: "हिंदू कुत्ते हैं। जब हम सत्ता में आएंगे तो उनका ख्याल रखेंगे।" अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन इलाके में तनाव बना हुआ है। कई हिंदू परिवार विस्थापन के लिए मजबूर हो गए हैं।
भाजपा का आरोप: 'कट्टरपंथियों को खुली छूट, टीएमसी मौन'
Over a thousand families have fled their homes in Murshidabad and taken shelter in nearby districts. Last week, I covered the Mothabari riot, and now this.
— Dr. Archana Majumdar (@DrArchanaWB) April 13, 2025
This video is proof of what women and children are enduring in West Bengal due to the Waqf Bill protests—fueled by… pic.twitter.com/JdfJOUa9Sn
भाजपा ने इस हिंसा को "अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की घातक परिणति" करार दिया है। वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी, दिलीप घोष और अभिजीत गंगोपाध्याय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि बंगाल में हिंदू असुरक्षित हैं। तरुण चुग ने तो ममता को "आधुनिक जिन्ना" करार देते हुए कहा: "उनकी राजनीति अल्पसंख्यकों की तुष्टीकरण के लिए हिंदू सुरक्षा से समझौता करती है।"
देशभर में विरोध, कुछ शांत तो कुछ उग्र
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हैदराबाद में प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से अधिनियम को खारिज करने की मांग की।
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सिलचर (असम) में भीड़ और पुलिस के बीच झड़पें हुईं।
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दिल्ली की जामा मस्जिद में शांतिपूर्ण विरोध देखने को मिला।
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मुंबई, कोलकाता, पटना, होसुर और लखनऊ जैसे शहरों में भी विरोध प्रदर्शन किए गए।
Videos which shows the situation in Kolkata today:#WaqfBill protestors blocked roads and swirled "Palestinian flag" on hijacked buses: pic.twitter.com/cFZ5hUDWGq
— @jxh45 (@jxh45) April 10, 2025
इन विरोधों की समानता यह दर्शाती है कि समाज के एक वर्ग द्वारा सुधारात्मक विधेयकों का विरोध अब खुले तौर पर सड़क पर उतरने की रणनीति बन चुका है। भाजपा का जवाब: 'संविधान सर्वोच्च है, वक्फ बोर्ड नहीं' भाजपा नेताओं का तर्क है कि वक्फ बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं हो सकता। यह संशोधन "वंशवादी मौलवियों और भू-माफियाओं" के एकाधिकार को खत्म करता है और पसमांदा मुसलमानों तक वक्फ संपत्तियों के लाभ पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त करता है। शहज़ाद पूनावाला ने कहा: "यह राज्य प्रायोजित हिंसा है। मंदिरों का अपवित्रीकरण, हिंदुओं का पलायन और आगजनी - क्या यही टीएमसी की धर्मनिरपेक्षता है?"
कांग्रेस और विपक्ष की भूमिका पर सवाल
Open announcements on trucks carrying #WaqfBill protestors in Kolkata:
— @jxh45 (@jxh45) April 10, 2025
"Kuch der ki khamoshi hai, phir shor aayega. Aaj kutto ka waqt hain, kal hamara daur aayega... Allahu Akbar".... pic.twitter.com/pltBCzoVHs
कांग्रेस, टीएमसी और AIMIM जैसे विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध किया है, लेकिन हिंसा और घृणास्पद भाषणों की सार्वजनिक निंदा से परहेज करने पर भाजपा ने उन्हें दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।
सरकार का रुख: कानून वापस नहीं होगा
केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह वक्फ संशोधन अधिनियम पर पीछे हटने वाली नहीं है। इसके बजाय, भाजपा ने 20 अप्रैल से 5 मई तक 'वक्फ सुधार जागरूकता अभियान' चलाने की घोषणा की है, ताकि मुस्लिम समाज को इस कानून के लाभों के बारे में जानकारी दी जा सके। वक्फ अधिनियम 2025 पर मचा यह राजनीतिक और सामाजिक भूचाल सिर्फ एक कानून का विरोध नहीं है, बल्कि यह देश में धार्मिक और राजनीतिक सोच के टकराव का प्रतीक बन गया है। सुधार बनाम तुष्टीकरण की यह लड़ाई किस दिशा में जाएगी, यह आने वाले चुनावी महीनों में स्पष्ट होगा।