'इन्फ्लुएंसर' शर्मिष्ठा को जेल में कैदियों से मिल रही धमकी, जरूरी सुविधाओं की कमी, जानें वकील ने क्या बताया

सोशल मीडिया पर एक्टिव कंटेंट क्रिएटर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने विवादों को जन्म दे दिया है। यह मामला न केवल सोशल मीडिया पर बल्कि राजनीतिक गलियारों और जनता के बीच भी तूल पकड़ता जा रहा है। कुछ लोग शर्मिष्ठा के समर्थन में खड़े हैं तो कई उनके खिलाफ आक्रामक हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस की कार्रवाई पर भी कड़ी आलोचना हो रही है। इस बीच, जेल में बंद शर्मिष्ठा को बाहर निकालने के प्रयास तेज हो गए हैं।
जेल में शर्मिष्ठा की स्थिति और वकील की अपील
शर्मिष्ठा पनोली के वकील मोहम्मद समीमुद्दीन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे 13 जून से पहले उन्हें जेल से बाहर लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम आज इस मामले पर विस्तार से चर्चा करेंगे और एक-दो दिन में फैसला लेंगे कि आगे क्या करना है।" समीमुद्दीन ने जेल में उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि शर्मिष्ठा को अलीपुर महिला सुधार गृह में अच्छा महसूस नहीं हो रहा है, खासकर उनके गुर्दे में पथरी की समस्या है। साथ ही उन्हें समाचार-पत्र और पत्रिकाएं पढ़ने की अनुमति भी नहीं दी जा रही है। वकील ने अदालत में एक याचिका भी दायर की है, ताकि शर्मिष्ठा को उनके मूल अधिकार मिल सकें। समीमुद्दीन ने यह भी कहा कि शर्मिष्ठा निर्दोष हैं और उनकी जल्द से जल्द जमानत पर रिहाई की पूरी कोशिश की जा रही है।
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण का बयान
इस मामले में आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने पश्चिम बंगाल पुलिस से न्यायसंगत और निष्पक्ष कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने कहा, “ईशनिंदा की हमेशा निंदा की जानी चाहिए, लेकिन धर्मनिरपेक्षता को कुछ लोगों द्वारा ढाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह सभी के लिए समान होनी चाहिए।” अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पवन कल्याण ने कहा, “पश्चिम बंगाल पुलिस, राष्ट्र देख रहा है। सभी के लिए न्यायपूर्ण तरीके से काम करें।” उन्होंने शर्मिष्ठा के खिलाफ कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि शर्मिष्ठा ने अपनी गलती स्वीकार की, वीडियो हटा लिया और माफी भी मांगी। पवन कल्याण ने सवाल उठाया कि जब टीएमसी के सांसद सनातन धर्म का मजाक उड़ाते हैं, जब हमारे धर्म को ‘गंदा धर्म’ कहा जाता है, तब आक्रोश और माफी कहां जाती है? तब उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं होती? उन्होंने इस दोगले रवैये पर भी कटाक्ष किया।
शर्मिष्ठा की विवादित टिप्पणी
शर्मिष्ठा पनोली ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बॉलीवुड की इस मुद्दे पर चुप्पी पर सवाल उठाए थे। आरोप है कि इस वीडियो में उन्होंने कुछ समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक और अभद्र भाषा का प्रयोग किया। इसके बाद 15 मई को गार्डनरीच थाने में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई। भारी आलोचनाओं के बीच शर्मिष्ठा ने वीडियो हटा दिया और सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी, लेकिन गिरफ्तारी से बच नहीं पाईं।
सोशल मीडिया और राजनीतिक जगत में उबाल
शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर उनकी छवि को लेकर जोरदार बहस छिड़ गई है। समर्थक उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हकदार बताते हुए गिरफ्तारी को अत्यधिक मान रहे हैं, जबकि विरोधी उनके कथित विवादित बयानों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह मामला केवल एक कंटेंट क्रिएटर का विवाद नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक चालबाजी और सियासी हित भी जुड़े हुए हैं। पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह विपक्ष या आलोचकों को दबाने के लिए इस तरह की कार्रवाई कर रही है।
निष्कर्ष
शर्मिष्ठा पनोली का मामला सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी बहस का विषय बन चुका है। जहां एक तरफ कानून व्यवस्था और धर्म की भावनाओं के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है, वहीं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी महत्वपूर्ण है। वर्तमान में इस मामले में कोर्ट की कार्रवाई, सोशल मीडिया का रिएक्शन और राजनीतिक बयानबाजी से स्पष्ट है कि यह विवाद जल्द ही ठंडा नहीं होगा। वकील की ओर से जल्द जेल से रिहाई की उम्मीद के बीच, जनता और प्रशासन दोनों की निगाहें इस मामले पर टिकी हैं कि आगे क्या होगा। सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की सीमा और कानून की मर्यादा के बीच का यह विवाद आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति और सामाजिक संवाद का अहम हिस्सा बना रहेगा।