सप्ताह भर बाद भी नहीं खुला यमुनोत्री हाईवे, धाम में पसरा सन्नाटा, स्थानीयों को भारी परेशानी

बारिश और भूस्खलन के चलते यमुनोत्री हाईवे का यातायात एक सप्ताह से ठप पड़ा है। अब तक मार्ग सुचारू नहीं हो सका है, जिससे यमुनोत्री धाम और उसके प्रमुख पड़ावों में सन्नाटा पसरा हुआ है। तीर्थ यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आई है, और स्थानीय लोगों को रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
धाम तक नहीं पहुंच पा रहे श्रद्धालु
बारिश के बाद आए भूस्खलन और मलबा अब भी सड़क से पूरी तरह नहीं हट पाया है, जिससे यात्रियों की आवाजाही थमी हुई है। नतीजतन, यमुनोत्री धाम के होटल, धर्मशालाएं, दुकानदार और घोड़ा-खच्चर व्यवसायी आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
धाम के प्रमुख पड़ाव जानकीचट्टी, खरसाली, हनुमानचट्टी व फाटा में वीरानी का आलम है।
स्थानीय लोगों को उठानी पड़ रही भारी दिक्कत
यात्रियों की बात छोड़िए, स्थानीय लोगों को भी बाजार, स्कूल, दवाइयों और जरूरी सामान लाने-ले जाने के लिए कठिन रास्तों से गुजरना पड़ रहा है।
कई स्थानों पर लोग पैदल ही लंबी दूरी तय करने को मजबूर हैं, क्योंकि वाहन अब भी मलबे और टूटी सड़कों के कारण वहां नहीं पहुंच पा रहे हैं।
प्रशासन की ओर से राहत के प्रयास धीमे
हालांकि प्रशासन की ओर से जेसीबी और अन्य मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम जारी है, लेकिन काम की गति बेहद धीमी है। सड़क के कई हिस्से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिन्हें ठीक करने में और समय लग सकता है।
स्थानीय लोगों ने सड़क खोलने के काम में तेजी लाने की मांग की है।
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर
यमुनोत्री धाम हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। लेकिन सड़क बंद होने से चारधाम यात्रा प्रभावित हुई है, जिससे पर्यटन से जुड़ी स्थानीय अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।
घोड़ा-खच्चर चालकों, होटल मालिकों, दुकानदारों और गाइड्स के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय निवासी भगवान सिंह का कहना है,
"सड़क बंद होने से दूध, सब्जी और दवाइयों की सप्लाई बंद हो गई है। बच्चों को स्कूल जाने में भी परेशानी हो रही है। अगर जल्दी से रास्ता नहीं खुला तो हालात और बिगड़ सकते हैं।"