
कभी ‘प्रकृति की गोद’ में बसा शहर कहलाने वाला देहरादून अब अपनी ही लोकप्रियता के बोझ तले दबता जा रहा है। विशेषकर गर्मियों की छुट्टियों और हर वीकेंड, जब हजारों की संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं, शहर में वाहनों की भीड़, ट्रैफिक जाम और तेजी से बढ़ता वायु प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय संकट को जन्म दे रहे हैं।
क्या है ताजा स्थिति?
पर्यावरणविदों और स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक:
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PM 2.5 और PM 10 जैसे हवा में खतरनाक कणों का स्तर देहरादून में बीते 5 वर्षों में दोगुना से भी अधिक हो गया है।
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खासतौर पर राजपुर रोड, पलटन बाजार, मसूरी डायवर्जन जैसे इलाकों में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंच चुका है।
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गर्मियों में जब पर्यटकों की संख्या चरम पर होती है, तब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई बार 300 के पार चला जाता है, जो कि अस्थमा, एलर्जी और दिल की बीमारी वालों के लिए बेहद खतरनाक है।
क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण?
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पर्यटक वाहनों की भारी आमद:
हर वीकेंड पर 5,000 से अधिक निजी वाहन देहरादून में प्रवेश करते हैं। -
यातायात व्यवस्था की कमजोरी:
संकरी सड़कों और खराब ट्रैफिक मैनेजमेंट के कारण लंबे ट्रैफिक जाम लगते हैं, जिससे इंजन निष्क्रिय अवस्था में धुंआ छोड़ते रहते हैं। -
वन क्षेत्र में कटौती और अवैध निर्माण:
शहरी विस्तार के कारण हरी पट्टियों और जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जिससे कार्बन अवशोषण करने वाली प्राकृतिक ढाल कमजोर हो रही है। -
धूल-गर्द और निर्माण कार्यों की भरमार:
बिना कवर किए निर्माण स्थलों से उड़ती धूल भी हवा को जहरीला बना रही है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर
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बच्चों और बुजुर्गों में सांस की बीमारियों में 30% तक वृद्धि देखी गई है।
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हिमालयी जैव विविधता और वन्यजीवों के आवास पर भी प्रदूषण का असर दिखने लगा है। कुछ इलाकों में पक्षियों की प्रजातियां गायब होने लगी हैं।
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क्लाइमेट साइंटिस्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि यदि यही रुझान जारी रहा, तो आने वाले दशक में देहरादून का तापमान औसतन 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।
क्या कर रही है सरकार?
उत्तराखंड सरकार और देहरादून प्रशासन ने कुछ प्रयास शुरू किए हैं:
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ई-वाहनों को बढ़ावा, लेकिन यह अभी शुरुआती चरण में है।
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स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कुछ क्षेत्रों में वाहनों की एंट्री प्रतिबंधित करने की योजना।
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ग्रीन जोन और नो व्हीकल जोन बनाने का प्रस्ताव।
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ऑड-ईवन ट्रैफिक स्कीम पर भी विचार किया जा रहा है, लेकिन स्थायी समाधान अभी दूर है।
समाधान की राह: क्या हो सकता है?
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स्थायी और सख्त पर्यटक नीति बनानी होगी।
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पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुदृढ़ और आकर्षक बनाना होगा।
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ग्रीन टैक्स और कंट्रोल एंट्री पास सिस्टम लागू कर सैलानियों की संख्या सीमित करनी होगी।
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स्थानीय लोगों को जागरूक करना और उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच की व्यवस्था जरूरी है।