केदारनाथ धाम के लिए बन रहा नया सुरक्षित मार्ग, केंद्र सरकार ने शुरू किया कार्य
उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ धाम में हर साल लाखों श्रद्धालु भोले बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन 2013 की भीषण आपदा और हाल ही में जुलाई 2024 में आई प्राकृतिक त्रासदी ने एक बार फिर सरकार और प्रशासन को चेताया है। इन घटनाओं को देखते हुए अब केंद्र सरकार ने केदारनाथ मंदिर तक एक नया और अधिक सुरक्षित मार्ग बनाने की योजना को आगे बढ़ा दिया है। इस परियोजना पर काम शुरू हो चुका है और यदि सब कुछ समय पर चलता रहा, तो अगले चार से पांच वर्षों में श्रद्धालुओं को केदारनाथ पहुंचने के लिए दो विकल्प मिलेंगे।
नया मार्ग: सुरक्षा और सुविधा की ओर एक बड़ा कदम
केदारनाथ की यात्रा अब तक मुख्य रूप से गौरीकुंड से 16 किलोमीटर लंबे ट्रैक के माध्यम से होती रही है। यह मार्ग प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील रहा है, जिस पर कई बार भूस्खलन, बर्फबारी और भारी बारिश के चलते यात्रियों की जान को खतरा भी हुआ है। अब नया मार्ग इन सभी जोखिमों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया जा रहा है, जिसमें वैज्ञानिक तकनीकों, भूगर्भीय अध्ययन और मौसमीय आंकड़ों का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।
आपदा प्रबंधन के सबक बने आधार
2013 की जलप्रलय और हाल की 2024 की आपदा ने साफ कर दिया है कि पुराने मार्ग में कई खतरनाक बिंदु हैं, जिनमें सुधार की आवश्यकता है। सरकार इस बात को लेकर गंभीर है कि ऐसी पवित्र तीर्थस्थली पर यात्रा को न केवल सुगम बल्कि अत्यधिक सुरक्षित भी बनाया जाए। नया मार्ग, आपदा प्रबंधन के सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। इसमें बेहतर जल निकासी व्यवस्था, चट्टानों की सुरक्षात्मक जाल प्रणाली और मौसम के पूर्वानुमान वाले सेंसर लगाए जाएंगे।
पर्यटन को मिलेगा नया बढ़ावा
यह नया मार्ग केवल एक सुरक्षा उपाय नहीं, बल्कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की एक बड़ी योजना का हिस्सा भी है। इससे न सिर्फ श्रद्धालुओं की यात्रा आसान होगी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा। निर्माण कार्य में हज़ारों स्थानीय श्रमिकों को रोजगार मिलने की संभावना है, वहीं नए मार्ग के आस-पास नए होटल, दुकानों और सुविधाओं के विकास से पर्यटन को नया आयाम मिलेगा।

