शहीद नरपाल सिंह का परिवार न्याय की राह देख रहा, आपदा में बह गई जमीन, सरकार से अब तक नहीं मिला मुआवजा
कारगिल युद्ध में देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले उत्तराखंड के वीर सपूत नरपाल सिंह का परिवार आज भी सरकारी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। देहरादून जिले के रामनगर डांडा थानो गांव निवासी शहीद नरपाल सिंह के परिवार को उनकी शहादत के बाद राज्य सरकार द्वारा छिद्दरवाला में पांच बीघा जमीन आवंटित की गई थी। लेकिन दुर्भाग्यवश, 2013 में आई विनाशकारी आपदा में यह जमीन सौंग नदी में पूरी तरह बह गई।
उसके बाद से शहीद का परिवार लगातार जिलाधिकारी कार्यालय और राजस्व विभाग के चक्कर काट रहा है, लेकिन अब तक उन्हें न तो मुआवजा मिला और न ही कोई वैकल्पिक जमीन। सरकार और प्रशासन की उदासीनता के चलते परिवार मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान है। एक ओर जहां देश आज 26वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है, वहीं दूसरी ओर उसी युद्ध में बलिदान देने वाले सपूत के परिजनों को उनका हक मिलने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
परिवार का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन फाइलें केवल इधर-उधर घूमती रहीं और कार्रवाई शून्य रही। शहीद की पत्नी और बच्चों को उम्मीद थी कि सरकार उनके साथ न्याय करेगी, लेकिन वर्षों बाद भी न कोई जवाब मिला और न कोई समाधान।
इस मामले को लेकर क्षेत्र के लोग भी प्रशासन से नाराजगी जता रहे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि देश के लिए जान देने वाले सिपाही के परिवार को इस तरह से उपेक्षित किया जाना शर्मनाक है। उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार तत्काल प्रभाव से इस मामले में संज्ञान ले और शहीद परिवार को वैकल्पिक भूमि या उचित मुआवजा प्रदान करे।
कारगिल विजय दिवस जैसे पावन अवसर पर यह प्रश्न बेहद विचलित करने वाला है कि जिनकी शहादत पर हम गर्व करते हैं, उन्हीं के परिजन आज भी अपनी तकलीफों से जूझ रहे हैं। यह वक्त है कि सरकार केवल श्रद्धांजलि समारोहों तक सीमित न रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्रवाई करके शहीदों के परिवारों का मान बढ़ाए।

