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चारधाम यात्रा के बीच केदारनाथ में लैंडस्लाइड, 2 यात्रियों की मौत

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उत्तराखंड में इन दिनों पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ चारधाम यात्रा जारी है। लाखों श्रद्धालु हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भगवान के दर्शन और आशीर्वाद की कामना लेकर हिमालय की ओर बढ़ रहे हैं। मगर इस आध्यात्मिक यात्रा के बीच एक दर्दनाक हादसा सामने आया है, जिसने न केवल श्रद्धालुओं बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।18 जून 2025, बुधवार की सुबह को केदारनाथ धाम की ओर बढ़ रहे यात्रियों के एक समूह पर भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई जबकि तीन अन्य घायल हो गए। घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन और राहत दलों ने तेजी से मोर्चा संभाला, लेकिन हादसे की गंभीरता ने यात्रा को सवालों के घेरे में ला दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार सुबह करीब 11 बजे यह हादसा हुआ। गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाले पैदल मार्ग पर, जंगलचट्टी गधेरे के पास अचानक लैंडस्लाइड हुआ। पहाड़ियों से भारी मात्रा में मलबा और पत्थर नीचे गिरने लगे। उसी वक्त 5 यात्री इस मार्ग पर मौजूद थे और अचानक आए इस प्राकृतिक कहर की चपेट में आ गए।स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ (SDRF) के जवान पहले से ही जंगलचट्टी क्षेत्र में तैनात थे। घटना की सूचना मिलते ही एनडीआरएफ (NDRF) और एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।

घायलों की स्थिति और रेस्क्यू अभियान

हादसे में तीन लोग घायल हुए हैं जिनमें एक महिला और दो पुरुष शामिल हैं। राहत की बात यह रही कि तीनों को हल्की चोटें आई हैं और उन्हें तुरंत प्राथमिक चिकित्सा देकर गौरीकुंड हॉस्पिटल भेजा गया। हालांकि, एक और घायल व्यक्ति की तलाश जारी है जो मलबे में फंसा हो सकता है।रेस्क्यू टीमें पूरे इलाके की सर्चिंग ऑपरेशन चला रही हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा हेलिकॉर की भी मांग की गई है ताकि जरूरत पड़ने पर घायलों को तत्काल शिफ्ट किया जा सके।

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परिवारों में मातम और श्रद्धालुओं में डर

हादसे की खबर मिलते ही मृतकों और घायलों के परिजनों में कोहराम मच गया है। चारधाम यात्रा पर गए श्रद्धालु अब डरे हुए हैं और कई लोगों ने यात्रा को बीच में ही रोक दिया है। वहीं, स्थानीय प्रशासन ने अस्थायी रूप से पैदल मार्ग को बंद कर दिया है ताकि किसी और अनहोनी से बचा जा सके।

भूस्खलन की वजह क्या रही?

जानकारों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से पहाड़ी इलाकों में हल्की बारिश हो रही थी जिससे ज़मीन में दरारें बन गई थीं। मौसम विभाग ने पहले भी कुछ इलाकों में भूस्खलन की चेतावनी जारी की थी लेकिन मार्ग पर यातायात जारी था। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, जंगलचट्टी क्षेत्र वैसे भी भूस्खलन संभावित जोन में आता है।

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प्रशासन की ओर से चेतावनी और दिशा-निर्देश

उत्तराखंड सरकार और यात्रा प्रबंधन समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मौसम अलर्ट का पालन करें और प्रशासन द्वारा तय निर्धारित मार्गों से ही यात्रा करें। साथ ही यह भी कहा गया है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में हेल्पलाइन नंबरों पर तुरंत संपर्क करें।इसके साथ ही पैदल मार्गों पर सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी गई है और जोखिम वाले इलाकों की नियमित मॉनिटरिंग भी की जा रही है।

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चारधाम यात्रा में सुरक्षा की चुनौती

यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि हर साल लाखों लोग जब चारधाम यात्रा करते हैं, तो क्या प्रशासन उनके लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम करता है? क्या हर वर्ष होने वाली ऐसी घटनाओं से कुछ सीखा गया है? पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करना हमेशा से जोखिम भरा रहा है, लेकिन आधुनिक तकनीक और तैयारी के बावजूद इस तरह की घटनाएं प्रशासन की तैयारियों पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं।

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