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'बेसुध मां और पत्नी के सूखे आंसू…' अब भी धराली में लापता पति को खोज रही कोमल की आंखें, झकझोर कर रख देगी ये करुण कहानी 

'बेसुध मां और पत्नी के सूखे आंसू…' अब भी धराली में लापता पति को खोज रही कोमल की आंखें, झकझोर कर रख देगी ये करुण कहानी 

खीर गंगा नदी के लाखों टन मलबे को पार करके, लगभग सात सौ मीटर ऊँची खड़ी पहाड़ी पर चढ़कर, पुराने धराली गाँव में चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है। इस बेहद पुराने लकड़ी के घर में पाँच-छह लोग बैठे दिखाई दिए। यह घर 30 वर्षीय शुभम का है। उनके पिता धर्मेंद्र नेगी, माँ और उनके बगल में 26 वर्षीय कोमल नेगी बैठी हैं। शुभम धराली के बाज़ार में एक होटल चलाते थे। धराली त्रासदी से ठीक एक घंटा पहले, उत्तरकाशी में काम करने वाली कोमल ने अपने पति शुभम से बात की थी।

कोमल की शादी एक साल पहले हुई थी
यह बातचीत रोज़ाना इसी समय होती थी। कोमल की शुभम से शादी एक साल पहले ही हुई थी। कोमल ने बताया कि जब उन्हें धराली त्रासदी की खबर दोपहर ढाई बजे मिली, तो उन्होंने शुभम को फ़ोन किया, लेकिन उनका फ़ोन नहीं लग रहा था। फिर उन्होंने अपने ससुर धर्मेंद्र नेगी को फ़ोन किया तो पता चला कि शुभम का कोई पता नहीं है।

प्रशासन ने उन्हें तीन दिन तक मातली में ही रखा
वह बस स्टैंड की ओर दौड़ीं ताकि जल्दी से धराली पहुँच सकें, लेकिन टूटी सड़क के कारण यातायात बाधित था। तभी किसी ने उन्हें बताया कि हेलीकॉप्टर धराली जा रहे हैं। वह मातली पहुँच गईं। कोमल ने बताया कि मैं बार-बार कहती रही कि मुझे धराली ले चलो, मेरे पति लापता हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें तीन दिन तक मातली में ही रखा... 9 तारीख को वह किसी तरह हेलीकॉप्टर से धराली पहुँचीं। तब से उन्होंने खुद कई जगहों पर मलबे में अपने पति को ढूँढने की कोशिश की।

रोते हुए कोमल बोली- सरकार बताए कि मेरे पति ज़िंदा हैं या मर गए
कोमल ने कहा कि जब राहत कार्य चल रहा है, तो प्रशासन को बताना चाहिए कि मेरे पति ज़िंदा हैं या मर गए। मुझे तो पता ही नहीं कि मेरे साथ क्या हो रहा है। यह कहते हुए वह रोने लगीं। उनके बगल में बैठे शुभम के पिता धर्मेंद्र नेगी की आँखें भर आईं। धराली त्रासदी के बाद इन परिवारों के सामने ज़िंदगी और मौत के बीच उलझा यह सवाल उनकी बेचैनी का एक बड़ा कारण बन गया है। यह सवाल एक-दो घरों या परिवारों का नहीं, बल्कि सौ से ज़्यादा लापता परिवारों का है।

लापता लोगों के परिवारों के लिए दोहरी त्रासदी, कब मिलेगा मृत्यु प्रमाण पत्र?

धराली में सौ से ज़्यादा लापता लोगों का इंतज़ार कब खत्म होगा? ये सवाल कई बार अधिकारियों के सामने उठाए जा चुके हैं...आपदा में लापता लोगों के परिवारों का आरोप है कि अभी तक सिर्फ़ राशन ही दिया गया है। प्रशासन यह बताने में नाकाम रहा है कि लापता लोग ज़िंदा हैं या मर गए।

15-30 दिनों में मिल जाएगा मृत्यु प्रमाण पत्र
मुख्यमंत्री कार्यालय के गढ़वाल संभाग के समन्वयक किशोर भट्ट से पूछी, तो उन्होंने बताया कि पहले लापता लोगों के लिए सात साल का नियम था। लेकिन केदारनाथ में आई आपदा के बाद इस नियम को बदल दिया गया। किशोर भट्ट ने कहा कि लापता लोगों की मोबाइल लोकेशन और स्थानीय निवासियों के बयानों के आधार पर न्यायिक जाँच की जा रही है...लेकिन इसमें कुछ समय लग सकता है। किशोर भट्ट ने कहा कि लेकिन यह सारी प्रक्रिया बहुत तेज़ी से हो रही है। उम्मीद है कि 15-30 दिनों के भीतर मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा।

प्रशासन ने 60 से ज़्यादा लापता लोगों की सूची तैयार की: सूत्र
सूत्रों ने बताया कि फिलहाल पुलिस प्रशासन ने लोगों के बयानों के आधार पर 60 से ज़्यादा लापता लोगों की सूची तैयार कर ली है। लेकिन अभी तक प्रशासन के पास इस बात का सीधा जवाब नहीं है कि इस आपदा में कितने लोगों की जान गई है। धराली में लाखों टन मलबा जमा है। बड़े-बड़े पत्थर और सड़क नेटवर्क बह जाने के कारण लापता लोगों की तलाश का काम लगभग नामुमकिन होता जा रहा है। ऐसे में, परिजनों का इंतज़ार... समय बीतने के साथ, क्या अपनों को खोने का ज़ख्म कभी भर पाएगा... इस सवाल का जवाब मैं आप पर छोड़ता हूँ।

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