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हरिद्वार जमीन घोटाले में धामी सरकार का तगड़ा एक्शन, DM-SDM समेत दर्जन भर अधिकारी सस्पेंड, विजिलेंस विभाग करेगा जांच

उत्तराखंड की धामी सरकार ने हरिद्वार नगर निगम में सामने आए जमीन खरीद घोटाले में बड़ा एक्शन लिया है। इस घोटाले में प्रथम दृष्टया लापरवाही और अनियमितता सामने आने पर हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, नगर निगम के पूर्व नगर आयुक्त...
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उत्तराखंड की धामी सरकार ने हरिद्वार नगर निगम में सामने आए जमीन खरीद घोटाले में बड़ा एक्शन लिया है। इस घोटाले में प्रथम दृष्टया लापरवाही और अनियमितता सामने आने पर हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, नगर निगम के पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी, और तत्कालीन एसडीएम अजय वीर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। इस प्रकरण में अब तक कुल 10 अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जबकि 2 कार्मिकों का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है।

क्या है जमीन खरीद घोटाले का पूरा मामला?

यह मामला हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय गांव में खरीदी गई 33-34 बीघा जमीन से जुड़ा है। यह जमीन नवंबर 2023 में अलग-अलग तारीखों में, अलग-अलग लोगों से कुल ₹53.70 करोड़ में खरीदी गई थी, जबकि इसकी असल कीमत लगभग ₹13 करोड़ आंकी गई थी। इस खरीद की कागजी प्रक्रिया 19 सितंबर से शुरू होकर 26 अक्टूबर को पूरी हुई। जांच में पाया गया कि जमीन की भूमि श्रेणी में बदलाव कर उसे बाज़ार भाव से साढ़े तीन गुना अधिक कीमत पर खरीदा गया। भूमि श्रेणी बदलने की प्रक्रिया 3 अक्टूबर से शुरू होकर 21 अक्टूबर तक पूरी हुई – यानी कि यह बदलाव भी भूमि खरीद की प्रक्रिया के दौरान ही कर लिया गया, जो अपने आप में घोटाले का संकेत है।

प्रशासनिक प्रक्रिया में घोर अनियमितता

तत्कालीन एसडीएम अजय वीर सिंह ने सिर्फ 17 दिनों में पूरी श्रेणी परिवर्तन प्रक्रिया पूरी कर दी, जिसमें ना सिर्फ सरकारी नियमों की अवहेलना हुई, बल्कि रजिस्ट्रेशन दस्तावेजों में हेरफेर भी सामने आया। एसडीएम कोर्ट में "मिश्लबंद" यानी भूमि रिकार्ड पंजिका में नए दस्तावेज तैयार कर पुराने का उपयोग नहीं किया गया, जो कि कानूनी तौर पर गलत है।

सस्ती कृषि भूमि को बनाया महंगा सौदा

हरिद्वार नगर निगम ने यह जमीन कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त कृषि भूमि के रूप में खरीदी थी। शहरी विकास विभाग की जांच में सामने आया कि इस जमीन की न तो कोई तत्कालिक आवश्यकता थी, न ही कोई पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाई गई। भूमि उपयोग बदलने की प्रक्रिया में राज्य शासन के स्पष्ट नियमों की अवहेलना की गई और घोटाले की मंशा स्पष्ट दिखाई दी

मुख्यमंत्री धामी के सख्त निर्देश

जांच के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत एक्शन लेते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा: “उत्तराखंड में पद नहीं, कर्तव्य और जवाबदेही सर्वोपरि है। चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, अगर वह जनहित और नियमों की अनदेखी करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है। हम राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त कार्यसंस्कृति लाना चाहते हैं।” धामी सरकार ने इस घोटाले की जांच का जिम्मा शहरी विकास विभाग के सचिव आईएएस रणवीर सिंह चौहान को सौंपा था, जिन्होंने 29 मई को जांच रिपोर्ट सौंपी।

अब तक किन पर हुई कार्रवाई?

धामी सरकार द्वारा जिन 10 अधिकारियों और कार्मिकों पर अब तक कार्रवाई हुई है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

मंगलवार को निलंबित किए गए अधिकारी:

  • कर्मेंद्र सिंह (DM, हरिद्वार)

  • वरुण चौधरी (पूर्व नगर आयुक्त)

  • अजय वीर सिंह (तत्कालीन एसडीएम)

  • निकिता बिष्ट (वरिष्ठ वित्त अधिकारी)

  • विक्की (वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक)

  • राजेश कुमार (रजिस्ट्रार कानूनगो, हरिद्वार तहसील)

  • कमलदास (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, हरिद्वार तहसील)

पहले से निलंबित अधिकारी:

  • आनंद कुमार मिश्रवाण (प्रभारी अधिशासी अभियंता)

  • लक्ष्मीकांत भट्ट (कर एवं राजस्व अधीक्षक)

  • दिनेश चंद कांडपाल (अवर अभियंता)

सेवा विस्तार समाप्त:

  • रविंद्र कुमार दयाल (प्रभारी सहायक नगर आयुक्त)

  • नगर निगम संपत्ति लिपिक

शहरी विकास विभाग की जांच में क्या निकला?

जांच में पाया गया कि हरिद्वार नगर निगम के प्रशासक के रूप में कर्मेंद्र सिंह ने अपने पदीय दायित्वों की अनदेखी की। उन्होंने भूमि क्रय की अनुमति देते समय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों की भी अवहेलना की। जांच अधिकारी ने उन्हें नगर निगम अधिनियम 1959 की धाराओं का उल्लंघन करने का प्रथम दृष्टया दोषी पाया है। राज्यपाल द्वारा उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुमति भी दे दी गई है।

निष्कर्ष

हरिद्वार में जमीन खरीद घोटाले ने उत्तराखंड प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी की त्वरित कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अब उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस नीति' पर सख्ती से अमल किया जा रहा है। आने वाले समय में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं और संभव है कि कार्रवाई का दायरा और बढ़े।

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