उत्तराखंड में फिर बिगड़ा मौसम, केदारनाथ यात्रा अस्थायी रूप से रोकी गई, रेस्क्यू में जुटी SDRF-NDRF की टीमें

उत्तराखंड में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और भूस्खलन (लैंड स्लाइड) ने चारधाम यात्रा पर बड़ा असर डाला है। इस बार केदारनाथ यात्रा मार्ग पर सोनप्रयाग-गौरीकुंड के बीच मुनकटिया नामक स्थान पर भारी भूस्खलन के कारण मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो गया, जिसके चलते केदारनाथ यात्रा को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा है।
इस मार्ग में गुरुवार रात को लगातार भारी बारिश के चलते ऊपरी पहाड़ियों से भारी मलबा और बोल्डर नीचे गिरने लगे, जिससे पैदल चलने वालों और शटल सेवा के यात्रियों को जान का खतरा पैदा हो गया। मलबा गिरने के बाद सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच की सड़क कई जगह से टूट गई और असुरक्षित हो गई।
श्रद्धालु रास्ते में फंसे, रेस्क्यू जारी
मार्ग टूटने की वजह से केदारनाथ धाम से दर्शन कर लौट रहे करीब 40 से अधिक श्रद्धालु रास्ते में फंस गए। सभी यात्री देर रात 10 बजे के आसपास मुनकटिया के स्लाइड जोन में फंसे थे। सूचना मिलते ही एसडीआरएफ (SDRF) और एनडीआरएफ (NDRF) की टीमें तुरंत मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान SDRF के जवानों ने सुरक्षित रास्ते तैयार कर एक-एक श्रद्धालु को बाहर निकाला और उन्हें नजदीकी सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया। राहत की बात यह रही कि इस घटना में कोई प्राणहानि नहीं हुई, लेकिन श्रद्धालुओं में दहशत का माहौल जरूर बना रहा।
मार्ग अब भी क्षतिग्रस्त, यात्रा पर अस्थाई रोक
एसडीआरएफ की टीमों ने बताया कि मलबा हटाने और रास्ते की मरम्मत का काम लगातार जारी है, लेकिन रास्ता पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है और दोबारा इसे चालू करने में समय लग सकता है। ऊपरी इलाकों से आने वाले श्रद्धालुओं को फिलहाल रोका गया है और यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।
दस दिन में दूसरी बार रोकी गई यात्रा
गौर करने वाली बात है कि बीते दस दिनों में यह दूसरी बार है जब खराब मौसम की वजह से केदारनाथ यात्रा को रोका गया है। इससे पहले भी सोनप्रयाग के पास लैंड स्लाइड की वजह से यात्रा कुछ घंटों के लिए रोकी गई थी। बीते दिनों की तरह अब भी लगातार बारिश के कारण पहाड़ियों से मलबा गिरने का सिलसिला जारी है, जिससे रास्तों की स्थिति और ज्यादा खराब होती जा रही है।
प्रशासन की अपील: मौसम देखकर ही करें यात्रा
उत्तराखंड प्रशासन और मौसम विभाग की ओर से श्रद्धालुओं से बार-बार यह अपील की जा रही है कि वे यात्रा पर निकलने से पहले मौसम की स्थिति को जरूर देखें, और जब तक रास्ता पूरी तरह से सुचारू नहीं हो जाता, तब तक केदारनाथ यात्रा न करें। पिछले वर्ष 31 जुलाई 2024 को भी भारी बारिश और भूस्खलन के चलते सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग का लगभग 6 किलोमीटर हिस्सा ध्वस्त हो गया था, जिसमें हजारों यात्री फंस गए थे। तब भी प्रशासन ने बड़े पैमाने पर राहत और बचाव अभियान चलाया था।