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उत्तराखंड के अंकिता भंडारी मर्डर केस में तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा, न्याय हुआ पौने तीन साल बाद

उत्तराखंड के कोटद्वार की अदालत ने चर्चित अंकिता भंडारी मर्डर केस में फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया है और उन्हें आयुर्वरुद्ध कारावास (उम्रकैद) की सजा सुनाई है। सजा पाए आरोपियों में पूर्व मंत्री के बेटे पुलकित आर्य, और उसके....
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उत्तराखंड के कोटद्वार की अदालत ने चर्चित अंकिता भंडारी मर्डर केस में फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया है और उन्हें आयुर्वरुद्ध कारावास (उम्रकैद) की सजा सुनाई है। सजा पाए आरोपियों में पूर्व मंत्री के बेटे पुलकित आर्य, और उसके रिजॉर्ट में काम करने वाले दो कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता शामिल हैं। यह फैसला करीब पौने तीन साल की लंबी जांच और सुनवाई के बाद आया है। 19 वर्षीय अंकिता की लाश एक नहर में मिली थी। इस दर्दनाक केस के पीछे एक गहरे और बेहद काले सच का पर्दाफाश हुआ है, जो उत्तराखंड की राजनीति और समाज दोनों को हिला कर रख दिया।

अंकिता भंडारी की कहानी: संघर्ष, सच और साया

अंकिता भंडारी उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीकोट गांव की रहने वाली थी। 12वीं पास करने के बाद उसने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और 18 अगस्त 2020 को हरिद्वार के पास वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी ज्वाइन की। रिजॉर्ट उसके गांव से करीब 150 किलोमीटर दूर था, इसलिए अंकिता वहां के एक कमरे में रहने लगी। रोज़गार के लिए नए सिरे से कोशिश कर रही अंकिता को अपने काम के साथ-साथ रिजॉर्ट में चल रहे अवैध धंधे का पता चल गया था। इस रिजॉर्ट में जिस्मफरोशी का कारोबार चल रहा था, जिसे वह किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। यह सच अंकिता ने धीरे-धीरे समझ लिया था और इसी वजह से उसके साथ समस्याएं शुरू हुईं।

घटना की रात: 18 सितंबर 2020

18 सितंबर 2020 की शाम अंकिता और रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य के बीच विवाद हुआ। इसी दिन पुलकित और उसके दो कर्मचारियों के साथ अंकिता को ऋषिकेश के पास स्थित चीला बैराज ले जाया गया। झगड़े के दौरान पुलकित ने अंकिता को धक्का दिया, जिससे वह बैराज के पानी में गिर गई। इसके बाद पुलकित, सौरभ और अंकित गुप्ता ने उसे बचाने की बजाय वहां से चले गए। चीला बैराज का यह पानी इतना नियंत्रित था कि अंकिता की लाश छह दिनों तक पानी में तैरती रही और आखिरकार बैराज से लगभग 8 किलोमीटर दूर चीला पावर हाउस के पास मिली। अगर बैराज का पानी नियंत्रित नहीं किया जाता तो लाश शायद कभी नहीं मिलती। पुलिस के पास मौजूद सीसीटीवी फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि बैराज जाते वक्त चार लोग थे, लेकिन लौटते समय सिर्फ तीन ही लौटे।

लापरवाही, दबाव और पुलिस की भूमिका

अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने ही 19 सितंबर की सुबह लोकल पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई। हालांकि, अंकिता के परिवार को रिपोर्ट दर्ज कराने में कई दिनों तक पुलिस की ओर से बेरुखी का सामना करना पड़ा। उनके लगातार अनुरोधों के बाद 22 सितंबर को डीएम के आदेश पर पुलिस ने FIR दर्ज की। इस दौरान अंकिता के एक दोस्त, जो जम्मू में रहता था, ने अंकिता के पिता को अंतिम बातचीत के ऑडियो कॉल और चैट भेजी, जिसमें कई गंभीर बातें सामने आईं। इस ऑडियो और चैट ने मामले की दिशा बदल दी और आरोपियों पर दबाव बढ़ा। इसके बाद 23 सितंबर को पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया।

राजनीतिक रसूख और रिसॉर्ट का काला सच

पुलकित आर्य उत्तराखंड के पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे हैं। उनका परिवार इलाके में राजनीतिक रूप से बहुत प्रभावशाली है। पुलकित ने लगभग पांच साल पहले हरिद्वार के जंगल के अंदर एक रिसॉर्ट खोला था, जो पर्यटकों के लिए आकर्षक जगह थी। कोरोना महामारी के कारण रिजॉर्ट का व्यवसाय प्रभावित हुआ, तब पुलकित ने रिसॉर्ट में जिस्मफरोशी का गुप्त कारोबार चलाना शुरू किया। अंकिता को भी इस घिनौने खेल में धकेलने की कोशिश की गई, लेकिन उसने साफ मना कर दिया। अंकिता की निष्ठा और सच बोलने की हिम्मत उसके लिए महंगी साबित हुई।

मुकदमे की सुनवाई और फैसला

पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर मुकदमा दर्ज किया गया और लंबे समय तक चलने वाली सुनवाई के बाद आखिरकार कोटद्वार की अदालत ने 3 जून 2025 को तीनों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने इस बात को रेखांकित किया कि ये उम्रकैद की सजा कोई सामान्य सजा नहीं, बल्कि ऐसी सजा है जिसमें दोषी को पूरी जिंदगी जेल में बितानी पड़ती है। अदालत के फैसले ने साफ कर दिया है कि ऐसे संगीन अपराधों में सत्ता या रसूख के बावजूद कानून की नजर में सब बराबर हैं।

सामाजिक और कानूनी प्रभाव

अंकिता भंडारी केस ने उत्तराखंड के समाज में गहरा प्रभाव डाला है। यह केस न केवल एक युवती की हत्या का मामला है, बल्कि उस सिस्टम पर भी सवाल उठाता है जो महिलाओं की सुरक्षा में विफल रहा। इसके साथ ही यह केस बताता है कि भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से कैसे सामान्य इंसान पीड़ित होता है। इस केस से यह भी साफ हुआ कि आवाज उठाने वालों के साथ खड़ा होना और उनके हक के लिए लड़ना जरूरी है। इसके अलावा, पुलिस और प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी होगी, ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।

निष्कर्ष

अंकिता भंडारी की कहानी एक सामान्य लड़की की थी, जो अपने परिवार और खुद के सपनों के साथ संघर्ष कर रही थी। लेकिन सच्चाई से जुड़ा उसका सफर बहुत ही दर्दनाक और काला था। उस सच को दबाने के लिए उसकी जान ले ली गई। पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता की उम्रकैद की सजा एक न्यायपूर्ण कदम है, जो कानून की ताकत को दर्शाती है। यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए राहत भरा है और साथ ही उन सभी के लिए एक चेतावनी है जो कानून से ऊपर होने का दावा करते हैं। अंकिता का सपना अधूरा रह गया, लेकिन उसकी कहानी अब अन्याय के खिलाफ लड़ाई की मिसाल बन चुकी है। यह केस समाज को यह याद दिलाता है कि सच की आवाज़ दबाई नहीं जा सकती और न्याय की तलाश अंततः जीतती है।

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